1 मिनट पहले
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पाकिस्तानी आर्मी ने पहली बार कारगिल जंग में अपनी भूमिका की बात स्वीकार की है। पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर ने एक कार्यक्रम के दौरान ये माना कि कारगिल जंग में पाकिस्तानी सेना शामिल थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के खिलाफ जंग में मारे गए पाकिस्तान के लोगों के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में मुनीर ने कहा, “पाकिस्तानी समुदाय बहादुरों का समुदाय है जो ये जानता है कि आजादी की कीमत कैसे चुकानी है। चाहे वो 1948 की जंग हो या 1965, 1971 या 1999 का कारगिल युद्ध, हजारों सैनिकों ने इस्लाम और देश के लिए अपनी जान कुर्बान की है।”
पाकिस्तानी आर्मी चीफ का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। दरअसल, यह पहली बार है जब पाकिस्तानी सेना के किसी अधिकारी ने जंग में पाकिस्तानी सैनिकों के शहीद होने की बात कही है।
इससे पहले तक पाकिस्तान ये दावे करता रहा है कि कारगिल जंग कश्मीर के मुजाहिदों ने छेड़ी थी। उसमें पाकिस्तान की कोई भूमिका नहीं थी। वहीं भारत लगातार यह आरोप लगाता आया है कि कारगिल जंग LOC को बदलकर कश्मीर पर कब्जा करने के लिए पाकिस्तान की सोची-समझी साजिश थी।
ये तस्वीर 1999 में कारगिल जंग खत्म होने के बाद की है। तब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के मारे गए जवानों की डेड बॉडी सम्मान के साथ उन्हें वापस की थीं। भारतीय सेना के पूर्व ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा का दावा है कि उस वक्त वीडियो बनाया गया था, ताकि साबित हो सके कि पाकिस्तानी सेना भारतीय सीमा में घुसी थी।
पाकिस्तानी सेना ने कारगिल की पहाड़ियों पर बनाए थे ठिकाने कारगिल में लड़ाई की शुरुआत तब हुई, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने करगिल की ऊंची पहाड़ियों पर चुपचाप कब्जा कर अपने ठिकाने बना लिए थे। 8 मई 1999 को करगिल की आजम चौकी पर पाकिस्तान के करीब 12 जवानों ने कब्जा कर लिया था।
इन पाकिस्तानी सैनिकों को एक भारतीय चरवाहे ने देख लिया था। इस चरवाहे ने भारतीय सेना के जवानों को पाकिस्तानी सैनिकों के घुसपैठ की सूचना दी। इस तरह भारत को पहली बार घुसपैठ की जानकारी मिली। अभी तक भारत समझ रहा था कि थोड़े बहुत आतंकियों ने ही कश्मीर की घाटी पर कब्जा किया है, इसलिए भारत ने चंद सैनिकों को ही इन्हें खदेड़ने के लिए भेजा।
जब भारतीय सेना पर अलग-अलग चोटियों से जवाबी हमले हुए तब पता चला कि ये एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। तत्काल भारतीय रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने अपना रूस दौरा रद्द कर दिया। भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की तैयारी शुरू की।
पाक सैनिक ऊंची पहाड़ियों पर बैठे थे, इस वजह से भारतीय सैनिकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। भारतीय जवानों ने दुश्मन की नजर से बचने के लिए रात में मुश्किल चढ़ाई की। शुरुआत में भारतीय सेना को इसी वजह से खासा नुकसान उठाना पड़ा।
भारत ने मिग-29 और मिराज 2000 से पाकिस्तानी सैनिकों पर गिराए थे बम इस युद्ध में वायुसेना और नौसेना की भी बड़ी भूमिका रही। वायुसेना ने मिग-29 और मिराज – 2000 विमानों के जरिए पाक सैनिकों पर बम बरसाए। इस दौरान पाकिस्तान ने हमारे दो लड़ाकू विमान मार गिराए थे जबकि एक क्रैश हो गया था।
नौसेना ने ऑपरेशन तलवार चलाया। इसके तहत कराची समेत कई पाक बंदरगाहों के रास्ते रोक दिए गए ताकि वह करगिल युद्ध के लिए जरूरी तेल व ईंधन की सप्लाई न कर सके। साथ ही भारत ने अरब सागर में अपने जहाजी बेड़े को लाकर पाकिस्तान के समुद्री व्यापार रास्ते को भी बंद कर दिया था।
26 जुलाई 1999 को भारत ने करगिल के आखिरी चोटी पर भी कब्जा कर लिया था।
बोफोर्स तोपों ने बदला जंग का रुख इस युद्ध में एक निर्णायक मोड़ तब आया जब भारत ने बोफोर्स तोपों को भी युद्ध मैदान में उतारने का फैसला लिया। आसमान से वायुसेना का हमला और जमीन से बोफोर्स तोप के भारी-भरकम गोलों ने पाकिस्तानी सैनिकों को भागने पर मजबूर कर दिया।
करीब 2 महीने तक दोनों देशों के बीच भीषण युद्ध चलता रहा। इस युद्ध में 527 भारतीय जवान शहीद हुए और पाकिस्तान के भी करीब 3000 सैनिक मारे गए। हालांकि, पाकिस्तान केवल 357 सैनिकों के मरने का ही दावा करता है। आखिरकार 26 जुलाई 1999 को भारत ने करगिल के आखिरी चोटी पर भी कब्जा कर लिया। पाकिस्तान को इस युद्ध में मुंह की खानी पड़ी थी।
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