Ukrainian children who lost loved ones in war to address UN security council | जंग से प्रभावित यूक्रेनी बच्चे UNSC में संबोधन देंगे: यह प्राइवेट सेशन होगा; यूक्रेन की यह पहल अमेरिका से मदद मांगने की कोशिश


9 मिनट पहले

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UNSC पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने की जिम्मेदारी है। - Dainik Bhaskar

UNSC पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने की जिम्मेदारी है।

24 फरवरी 2024 को रूस-यूक्रेन जंग के दो साल पूरे हो जाएंगे। इसके एक दिन पहले यानी आज जंग से प्रभावित हुए कुछ यूक्रेनी बच्चे यूनाइटिड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) के प्राइवेट सेशन को संबोधित करेंगे।

ब्रिटिश मीडिया ‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह संबोधन जंग में यूक्रेन को हुए मानवीय नुकसान पर ध्यान खींचने के लिए आयोजित किया जा रहा है। यूक्रेन ने इसकी पहल की। यूक्रेन को उम्मीद है कि बच्चों की बातें सुनने के बाद अमेरिका उसकी मदद करेगा।

दरअसल, अमेरिका की तरफ से यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद रुकी हुई है। इसकी वजह अमेरिकी संसद में मदद प्रस्ताव को बहुमत नहीं मिलना है। बाइडेन ने यूक्रेन की मदद के लिए 4.97 लाख करोड़ रुपए के मिलिट्री पैकेज का प्रस्ताव दिया था। इस पर ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी अड़ंगा लगा रही है।

14 साल की कीरा समेत कुछ यूक्रेनी बच्चे यूनाइटिड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) के प्राइवेट सेशन को संबोधित करेंगे।

14 साल की कीरा समेत कुछ यूक्रेनी बच्चे यूनाइटिड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) के प्राइवेट सेशन को संबोधित करेंगे।

मारियुपोल में रहने वाले बच्चे संबोधन देंगे
14 साल की कीरा और 11 साल की इल्या समेत कुछ बच्चे न्यूयॉर्क स्थित UNSC में संबोधन देंगे। ये बच्चे मारियुपोल के रहने वाले हैं। 24 फरवरी 2022 में शुरू हुई जंग के एक महीने में ही रूसी सेना ने 90% मारियुपोल को तबाह कर दिया था। शहर का संपर्क भी बाहरी दुनिया से कट गया था। बाद में इस शहर पर रूसी सेना ने कब्जा कर लिया था।

न्यूयॉर्क जाने के लिए रवाना होने से पहले कीरा ने ‘द गार्डियन’ से बात की। उसने कहा- मैं सुबह 6 बजे बस स्टॉप पर खड़ी थी। तभी बमबारी की आवाज सुनाई दी।

‘द गार्डियन’ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा- मारियुपोल में एक वक्त ऐसा आया था जब शहर में बिजली-पानी नहीं था। कीरा ने इस दौरान माता-पिता को खो दिया। वो घरों-बेसमेंट में छुपकर रहती थी। जान बचाने के लिए भागती रहती थी। फिर मारियुपोल से निकलकर शेल्टर में रहने लगी। उसने अब तक का समय शेल्टर्स में ही गुजारा।

रूसी सैनिकों ने यूक्रेन बच्चों को किडनैप किया
यूक्रेन की तरफ से जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अब तक 528 यूक्रेनी बच्चे जंग में मारे जा चुके हैं। 3 हजार से ज्यादा बच्चे लापता हैं। रूसी सैनिकों ने 19 हजार 500 बच्चों का अपहरण किया और इन्हें रूस ले गए।

द हेग स्थित इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने 2023 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। कोर्ट ने कहा था- पुतिन ने यूक्रेन में वॉर क्राइम किए हैं। वो यूक्रेनी बच्चों के अपहरण और डिपोर्टेशन के अपराध के लिए जिम्मेदार हैं।

रूसी सैनिक हजारों यूक्रेनी बच्चों को रूस डिपोर्ट कर रहे हैं।

रूसी सैनिक हजारों यूक्रेनी बच्चों को रूस डिपोर्ट कर रहे हैं।

ICC ने कहा था- पुतिन ने बच्चों का अपहरण होने से नहीं रोका
ICC ने कहा था कि उसके पास यह मानने के लिए उचित आधार है कि पुतिन ने न सिर्फ इन अपराधों को अंजाम दिया, बल्कि इसमें दूसरों की भी मदद की। कोर्ट ने कहा था- पुतिन ने बच्चों के अपहरण को रोकने के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने बच्चों को डिपोर्ट करने वाले अन्य लोगों को रोका नहीं, कार्रवाई नहीं की।

रूसी चाइल्ड राइट कमिशनर के खिलाफ भी वारंट जारी
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की चाइल्ड राइट कमिशनर मारिया लवोवा-बेलोवा के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी गया था। जंग शुरू होने के बाद से कई बार रूसी सैनिकों पर यूक्रेनी बच्चों के अपहरण के आरोप लगे। रूस ने इन आरोपों को खारिज किया लेकिन कभी इस बात को नहीं नकारा कि बच्चों को रूस भेजा जा रहा।

मारिया लवोवा-बेलोवा ने हमेशा रूस के इस काम को देशभक्ति और मानवीय प्रयास बताया। उनका कहना है कि रूसी परिवार जंग में बेघर हुए यूक्रेनी बच्चों को अडॉप्ट कर रहे हैं।

वहीं, कानूनी तौर पर रूस के लिए इस गिरफ्तारी वारंट का कोई मतलब नहीं है। क्योंकि रूस इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की रोम स्टैट्यूट (Rome Statute) का हिस्सा नहीं है। दरअसल, 123 देशों ने कोर्ट की स्थापना वाले एक समझौते पर साइन किए थे। रूस ने हस्ताक्षर नहीं किए थे। इसी वजह से रूस ICC के किसी फैसले को नहीं मानता।

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7 से 11 साल की उम्र से बच्चे रूस-यूक्रेन युद्ध का विरोध करने के लिए अपनी मां के साथ मॉस्को में युक्रेन दूतावास के बाहर पहुंचे थे। नन्हें-नन्हें हाथों में ‘नो टू वॉर’ के बैनर लिए यह बच्चे पुतिन सरकार को बिलकुल भी हजम नहीं हुए और इन्हें रूस पुलिस अपनी वैन में बिठाकर पुलिस स्टेशन ले गई। पढ़ें पूरी खबर…



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