India China Border Dispute; LAC Patrolling Agreement | Upendra Dwivedi | भारत-चीन पेट्रोलिंग समझौता, आर्मी चीफ बोले-भरोसा जमने में वक्त लगेगा: सीमा पर गश्त इसका जरिया, इसके बाद अगला स्टेप आएगा; चीन ने कहा- मिलकर विवाद सुलझाएंगे


नई दिल्ली2 मिनट पहले

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आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि LAC पर पेट्रोलिंग से दोनों पक्षों को एक-दूसरे को समझाने का मौका मिलेगा। (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar

आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि LAC पर पेट्रोलिंग से दोनों पक्षों को एक-दूसरे को समझाने का मौका मिलेगा। (फाइल फोटो)

भारत-चीन के बीच LAC पर पेट्रोलिंग की सहमति के बाद मंगलवार को चीन ने विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम अपना सीमा विवाद मिलकर सुलझाएंगे।

भारतीय आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को इस समझौते को अच्छा कदम बताया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले दोनों देशों को दोबारा विश्वास पैदा करना होगा। इसके लिए सैनिकों का एक-दूसरे को देखना और बातचीत करना जरूरी है। पेट्रोलिंग के जरिए इसके लिए सही माहौल मिलेगा।

भारत और चीन ने एक दिन पहले 21 अक्टूबर को पेट्रोलिंग पर सहमति जताई थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन में सीमा पर पेट्रोलिंग सिस्टम को लेकर समझौता हुआ है। इससे मई, 2020 (गलवान टकराव) से पहले की स्थिति वापस आएगी। यह सकारात्मक है।

लद्दाख से पीछे हटते हुए टैंको का वीडियो भारतीय सेना ने जारी किया है।

लद्दाख से पीछे हटते हुए टैंको का वीडियो भारतीय सेना ने जारी किया है।

आर्मी चीफ बोले- बफर जोन मैनेजमेंट, डी-एस्केलेशन जरूरी भारत और चीन के बीच समझौता होने के बाद आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, “हम दोबारा भरोसा हासिल करने की प्रॉसेस में हैं। इसमें वक्त लगेगा। सेनाओं का पीछे हटना, बफर जोन मैनेजमेंट भी इसके लिए अहम है। हम भरोसा कैसे पैदा करेंगे? जब हम एक-दूसरे को सुन सकेंगे और एक-दूसरे को संतुष्ट कर सकेंगे। हम यह भरोसा जता पाएंगे कि जो बफर जोन बनाए गए हैं, हम उसमें जाएंगे।

पेट्रोलिंग से आपको ये प्रॉसेस करने में आसानी होगी। दोनों पक्षों को एक-दूसरे को समझाने का मौका मिलेगा। एक बार भरोसा जम गया तो इसके बाद अगला कदम उठाया जाएगा।”

क्या है भारत-चीन समझौता पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए चीन और भारत राजी हो गए हैं। यानी अब चीन की आर्मी उन इलाकों से हटेगी, जहां उसने अतिक्रमण किया था।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने सोमवार को बताया था कि भारत-चीन के सीमावर्ती इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ 2020 के बाद उठे मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार हुआ है। इस पर दोनों देश कदम उठाएंगे।

अप्रैल 2020 में चीन ने एक सैन्य अभ्यास के बाद पूर्वी लद्दाख के 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था। 2022 तक 4 इलाकों से चीन की सेना पीछे हट गई। दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक पर इंडियन आर्मी को पेट्रोलिंग नहीं करने दी जा रही थी।

2020 में गलवान में हुआ था चीन-भारत की सेना में टकराव

तस्वीर लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प की है। इसी के बाद दोनों देशों के बीच विवाद गहराया।

तस्वीर लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प की है। इसी के बाद दोनों देशों के बीच विवाद गहराया।

आर्मी चीफ ने कहा था- हमें लड़ना भी है, सहयोग भी करना है अप्रैल 2020 में एक सैन्य अभ्यास के बाद चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में कम से कम 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था। लेकिन दो साल बाद चीनी पीएलए 4 स्थानों से पीछे हट गई थी। दौलत बेग ओल्डी और डेमचौक के फ्रिक्शन प्वाइंट्स पर गश्त पर सहमति नहीं बनी थी और भारतीय सेना को कई इलाकों में रोका जा रहा था। अब भारत सभी जगहों पर पेट्रोलिंग कर सकेगा।

1 अक्टूबर को भारत के आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि चीन के साथ भारत के हालात स्थिर हैं, लेकिन ये सामान्य नहीं हैं, काफी संवेदनशील हैं। चीन के साथ हमें लड़ना भी है, सहयोग करना है, साथ रहना है, सामना करना है और चुनौती भी देनी है। उन्होंने कहा था कि भारत और चीन के बीच अप्रैल से अब तक कमांडर लेवल की 17 बैठकें हुई हैं। इन बैठकों में हमने कई मुद्दों पर चर्चा की है।

जिनेवा में विदेश मंत्री ने कहा था- चीन से विवाद का 75% हल निकला

जयशंकर ने कहा था कि समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए दोनों पक्षों में बातचीत चल रही है।

जयशंकर ने कहा था कि समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए दोनों पक्षों में बातचीत चल रही है।

विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा में एक समिट के दौरान कहा था कि चीन के साथ विवाद का 75% हल निकल गया है। विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण का मुद्दा अभी भी गंभीर है।

जयशंकर ने कहा कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया है। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे।

हालांकि, 25 सितंबर को न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में उन्होंने 75% विवाद हल होने वाले अपने बयान को लेकर सफाई दी। उन्होंने कहा, ‘मैंने यह बात सिर्फ सैनिकों के पीछे हटने के संदर्भ में कही थी। पूरी खबर यहां पढ़ें…

बैठकों की मदद से तनाव खत्म करने की कोशिशें जारी

सितंबर की शुरुआत में विदेश मंत्रालय ने भारत-चीन रिश्तों के मौजूदा हालात को लेकर अपडेट दिया था। उन्होंने कहा था कि बातचीत जारी रखने और वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) बैठकों के माध्यम से तनाव को सुलझाने की कोशिशें जारी हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि विदेश मंत्री एस जयशंकर कई फोरम में लगातार चीन के साथ संबंधों पर चर्चा कर चुके हैं।

गलवान घाटी में क्या हुआ था

15 जून 2020 को चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगह पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं।

भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे। हालात इतने खराब हो गए कि LAC पर गोलियां चलीं।

इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। बाद में भारत ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसमें करीब 60 चीनी जवान मारे गए थे।

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चीन के विदेश मंत्री से मिले एस जयशंकर:कहा- LAC और पहले हुए समझौतों का हो सम्मान, तभी दोनों देशों के बीच रिश्ते सही होंगे

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच लाओस में अहम बैठक हुई। इसमें नेताओं के बीच भारत-चीन सीमा विवाद पर चर्चा हुई। जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री से LAC और पहले हो चुके समझौतों का सम्मान करने की बात कही।

जयशंकर ने कहा कि संबंधों को स्थिर करना ही दोनों देशों के हित में है। उन्होंने वांग यी से भारत-चीन संबंधों को फिर से बहाल करने की राह में सीमा विवाद को मुख्य वजह बताया। उन्होंने कहा कि सीमा पर जैसे हालात होंगे वैसे ही हमारे रिश्तों में भी दिखेगा। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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