कुछ ही क्षण पहले
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बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन को अमेरिका से जोड़कर देखा जा रहा है।
अप्रैल 2023 की बात है। शेख हसीना बांग्लादेश की संसद में भाषण देते हुए कहती हैं, “अमेरिका चाहे तो किसी भी देश में सत्ता बदल सकता है। अगर उन्होंने यहां कोई सरकार बनवाई तो वो लोगों की चुनी सरकार नहीं होगी।”
हसीना के इस बयान के एक साल और 3 महीने बाद 5 अगस्त को न सिर्फ उन्हें इस्तीफा देना पड़ता है बल्कि देश तक छोड़ना पड़ा। 3 दिन बाद बांग्लादेश में गुरुवार रात को अंतरिम सरकार बनी। सेना ने इस सरकार को एडवाइजरी काउंसिल नाम दिया है। नोबेल पीस प्राइज विजेता मोहम्मद यूनुस को इसका चीफ बनाया गया है।
वही मोहम्मद यूनुस जिन पर हसीना विदेशी एजेंट होने के आरोप लगाती रही हैं। यूनुस के अमेरिका से अच्छे संबंध हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या अमेरिका ने हसीना के तख्तापलट में कोई भूमिका निभाई है। 3 वजहें जो इसकी तरफ इशारा करती हैं…
शेख हसीना ने पिछले साल कहा था कि अमेरिका, बांग्लादेश में लोकतंत्र को खत्म करना चाहता है। तस्वीर (फाइल)
1. शेख हसीना और अमेरिका की पुरानी अदावत
तारीख- 26 मई, जगह- बांग्लादेश पीएम आवास। शेख हसीना ने 14 पार्टियों की बैठक बुलाई थी। इसमें हसीना ने कहा- “बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ इलाकों को तोड़कर ईस्ट तिमोर जैसा ‘ईसाई देश’ बनाने की साजिश रची जा रही है। एक ‘व्हाइट मैन’ ने चुनाव से पहले मुझे ये ऑफर दिया था कि यदि वह अपने देश की सीमा में आर्मी बेस बनाने की अनुमति देती हैं तो बिना किसी परेशानी के चुनाव कराने दिया जाएगा।”
शेख हसीना ने ये नहीं बताया कि वो देश और वो ‘व्हाइट मैन’ कौन है, लेकिन शक की सुई अमेरिका पर उठी। दरअसल जून 2021 में बांग्ला अखबारों में दावा किया गया कि अमेरिका, बांग्लादेश से सेंट मार्टिन द्वीप की मांग कर रहा है। यहां मिलिट्री बेस बनाना चाहता है।
इसके बाद बांग्लादेश वर्कर्स पार्टी के अध्यक्ष रशीद खान मेनन ने भी संसद में कहा कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप हासिल करना चाहता है और क्वाड का मेंबर बनने के लिए दबाव बना रहा है।
सेंट मार्टिन द्वीप जिसे लेकर बांग्लादेश की राजनीति में इतना हंगामा मचा वह सिर्फ 3 वर्ग किमी का एक द्वीप है। म्यांमार से इसकी दूरी सिर्फ 5 मील है। जून 2023 को PM हसीना ने कहा था कि विपक्षी BNP पार्टी अगर सत्ता में आई तो वे सेंट मार्टिन बेच देंगे।
हसीना ने कहा था कि अगर वो सेंट मार्टिन को पट्टे पर दे देंगी तो उन्हें देश चलाने में कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन वे देश की धरती को किसी विदेशी के हवाले नहीं कर सकतीं। हालांकि, सेंट मार्टिन पर मचे हंगामे के बाद अमेरिका ने कहा कि उसकी इस द्वीप को हासिल करने की कोई इच्छा नहीं है।
अमेरिका ने सेंट मार्टिन पर स्थिति साफ कर दी थी लेकिन उसने कभी भी क्वाड को लेकर बयान नहीं दिया। हालांकि चीन ने जरूर इसे लेकर चिंता जताई थी। अप्रैल 2020 में चीनी रक्षा मंत्री ने बांग्लादेश को क्वाड में शामिल होने को लेकर चेतावनी दी थी। बाद में बांग्लादेश ने साफ कहा कि वो इस ग्रुप में शामिल नहीं होगा।
इसके बाद अमेरिका और बांग्लादेश के बीच तनाव उनके रिश्ते में दिखाई देने लगा। अमेरिका ने दिसंबर 2021 में बांग्लादेश के रैपिड एक्शन बटालियन पर बैन लगा दिया। ये पारा मिलिट्री फोर्स 2003 में आतंकवाद रोकने के लिए बनी थी, लेकिन विपक्षी नेताओं पर अत्याचार करने के लिए बदनाम थी।
2023 में अमेरिका ने बांग्लादेश के कई नेताओं पर वीजा प्रतिबंध लगाए। अमेरिका ने तर्क दिया कि बांग्लादेश में चुनाव की प्रक्रिया को कमजोर करने वाले हर शख्स पर वो प्रतिबंध लगाएगा। अप्रैल 2023 में हसीना ने साफ कहा कि अमेरिका, बांग्लादेश में सरकार बदलना चाहता है। इस दशक में अमेरिका और बांग्लादेश के बीच संबंध इतने खराब कभी नहीं हुए।
संयुक्त राष्ट्र के एक प्रोग्राम में जो बाइडेन के साथ शेख हसीना। तस्वीर 2014 की है। बाइडेन तक अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे।
2. विपक्षी पार्टी के नेताओं से मुलाकात कर रहे थे अमेरिकी अधिकारी इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की प्रियंका सिंह ने बताया कि बांग्लादेश में अमेरिका का प्रभाव उसके बनने से पहले से है। जब बांग्लादेश की आजादी का संघर्ष चल रहा था तब अमेरिका पश्चिमी पाकिस्तान का साथ दे रहा था। शेख मुजीब-उर-रहमान और अवामी लीग के साथ अमेरिका का टकराव बहुत पहले से है। हालांकि शेख हसीना की सरकार में उसके अमेरिका के रिश्ते कायम थे मगर ये बहुत अच्छे नहीं रहे।
बांग्लादेश में चुनाव से पहले ऐसी खबरें आम थीं कि अमेरिकी अधिकारी विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं। वे कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी पार्टी के नेताओं से भी मिल रहे थे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि बांग्लादेश की स्थिति में अमेरिका का हाथ भी हो सकता है। हालांकि बांग्लादेश में जो मौजूदा स्थिति है उसके पीछे पूरी तरह अमेरिका का हाथ होगा ऐसा दावा नहीं किया जा सकता। बांग्लादेश की घरेलू समस्याओं ने भी हसीना सरकार के पतन में बड़ी भूमिका निभाई है।
मोहम्मद यूनुस को अमेरिका समर्थक कहा जाता है। वे कई साल अमेरिका में रहे हैं।
3. मोहम्मद यूनुस के सत्ता में आने से अमेरिका को फायदा
प्रियंका सिंह कहती हैं कि बांग्लादेश में सरकार बदलने से अमेरिका को फायदा हो सकता है। मोहम्मद यूनुस पश्चिमी देशों से जुड़े रहे हैं। वहां काफी काम कर चुके हैं। अमेरिकी सिस्टम से काफी फैमिलियर हैं। वे अमेरिकी हितों पर ध्यान दे सकते हैं। यदि उन्हें अमेरिका का समर्थन मिल रहा होगा तो ये बहुत आश्चर्यजनक नहीं है।
मोहम्मद यूनुस ही को शांति का नोबेल मिल चुका है। उन्हें प्रतिष्ठित रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। इस अवॉर्ड की फंडिंग फॉर्ड फाउंडेशन करता है, जो अमेरिका का एक प्रतिष्ठित फाउंडेशन है। उनकी अमेरिका से निकटता है ये किसी से छुपी नहीं है। हसीना सरकार में जब उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी तो उन्होंने अमेरिकी दूतावास में ही शरण ली थी।
अमेरिका ने भी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को अपना समर्थन दिया है। अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक बयान में कहा कि ‘हम बांग्लादेश की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया है और हमें लगता है कि अंतरिम सरकार बांग्लादेश में स्थिरता और शांति बनाने के लिए काम करेगी।
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