Bihar Political Crisis Vs BJP Strategy; Nitish Kumar | Tejashwi Yadav Lalu Prasad – INDIA Alliance | नीतीश कुमार के लिए क्यों खुले BJP के दरवाजे: नीतीश को साधते ही बिखर जाएगा I.N.D.I.A; चुनौती- भाजपा कार्यकर्ताओं को भी खुश रखना


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पटना23 घंटे पहलेलेखक: शंभू नाथ

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नीतीश-तेजस्वी डेढ़ घंटे गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में रहे, लेकिन एक-दूसरे से बात नहीं की। - Dainik Bhaskar

नीतीश-तेजस्वी डेढ़ घंटे गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में रहे, लेकिन एक-दूसरे से बात नहीं की।

सियासत में कभी भी कोई दरवाजा परमानेंटली बंद नहीं होता। यहां अगर दरवाजे बंद होते हैं तो खुलते भी हैं।
-सुशील कुमार मोदी, पूर्व डिप्टी CM, बिहार (27 जनवरी दिल्ली से लौटने के बाद)

सुशील कुमार मोदी के इस बयान से स्पष्ट हो गया है कि नीतीश के लिए BJP के दरवाजे एक बार फिर से खोल दिए गए हैं। इसके बाद बिहार में NDA सरकार का बनना भी लगभग तय माना जा रहा है।

अब सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है कि आखिर एक साल में ऐसा क्या हुआ कि नीतीश के लिए दरवाजे बंद करने वाली BJP उनके स्वागत के लिए तैयार हो गई? किन शर्तों के साथ BJP नीतीश कुमार को अपने साथ लाएगी। क्या बिहार में एक बार फिर से BJP नीतीश कुमार की ताजपोशी करने की तैयारी कर रही है?

तीन साल पहले यह पोस्टर BJP की तरफ से पटना में लगाया गया था।

तीन साल पहले यह पोस्टर BJP की तरफ से पटना में लगाया गया था।

सूत्रों की माने तो BJP का पूरा का पूरा नेतृत्व पिछले 48 घंटों से इन्हीं सवालों को सुलझाने की कोशिश में जुटा है। पहले आनन-फानन में बिहार BJP की कोर कमेटी के मेंबर को दिल्ली बुलाया गया। यहां प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े के आवास पर आधे की मीटिंग चली।

इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर लगभग 95 मिनट का मंथन हुआ। जेपी नड्‌डा और अमित शाह की अलग मीटिंग हुई। BJP सूत्रों और पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मदद से हमने BJP के भीतर चल रही गतिविधियों को समझने की कोशिश की है।

सबसे पहले 2 पॉइंट में समझिए, नीतीश कुमार के लिए दरवाजे क्यों खुले

1. BJP चुनाव से पहले I.N.D.I.A. गठबंधन को खत्म करना चाहती है: पॉलिटिकल एक्सपर्ट की माने तो लोकसभा चुनाव में BJP के सामने सबसे बड़ी चुनौती नीतीश कुमार ही पेश कर रहे थे। विपक्ष के बिखरे कुनबे को एक मंच पर लाने का श्रेय नीतीश कुमार को जाता है। ये नीतीश कुमार ही थे जिन्होंने सबसे पहले कांग्रेस को गठबंधन के लिए तैयार किया।

इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश, बंगाल, दिल्ली,महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु जैसे राज्यों का ताबड़तोड़ दौरा किया। उन्होंने ममता बनर्जी और अखिलेश यादव को कांग्रेस के साथ आने के लिए राजी किया। जुलाई 2023 में वे ही पटना में BJP विरोधी नेताओं को औपचारिक तौर पर एक प्लेटफॉर्म पर लाए।

नीतीश कुमार देशभर की 400 लोकसभा सीटों पर BJP के खिलाफ वन वर्सेज वन कैंडिडेट उतारने के फॉर्मूले पर काम कर रहे थे। उनका सबसे ज्यादा फोकस बिहार की 40, UP की 80, झारखंड की 14, और बंगाल की 42 लोकसभा सीटों पर BJP को पटखनी देनी की थी।

भाजपा ये भी जानती थी कि अगर विपक्ष का ये फॉर्मूला कामयाब होता तो BJP को लोकसभा चुनाव में मिशन 400 को बड़ा झटका लग सकता था। ऐसे में नीतीश अगर NDA में शामिल हो जाते हैं तो I.N.D.I.A का कुनबा लगभग पूरी तरह बिखर जाएगा। ममता बनर्जी बंगाल में, अखिलेश यादव UP में और आप पंजाब में पहले ही अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि कांग्रेस के अलावा नीतीश कुमार ही एक ऐसे नेता हैं, जिनकी पकड़ पूरी हिंदी पट्‌टी में है। इतना ही नहीं, नीतीश का संबंध देश की सभी क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं से भी बेहतर हैं। नीतीश के अलावा I.N.D.I.A गठबंधन में किसी नेता की इतनी पकड़ नहीं है कि वे सभी पार्टियों के साथ समन्वय स्थापित कर सकें।

2. नीतीश कुमार मतलब 16% वोट की गारंटी, ये BJP भी जानती है: नीतीश कुमार की ताकत को भाजपा से ज्यादा बेहतर तरीके से कोई दल नहीं जानता। 2014 लोकसभा चुनाव को छोड़कर कभी भी नीतीश कुमार का वोट प्रतिशत 22% से नीचे नहीं रहा है। नीतीश को 2014 की मोदी लहर में भी 16% वोट मिले थे। नीतीश का प्रभाव केवल बिहार तक सीमित नहीं है। वे पड़ोसी राज्य झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी असर डाल सकते हैं।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में JDU अकेले लड़ी और 16.04% वोट लाने में कामयाब रही। तब पार्टी को 2 सीट मिली थीं और मोदी लहर में 36.48% वोट पाकर NDA 31 सीटों पर जीती था, लेकिन BJP को पता है कि उनको इतनी बड़ी जीत तब मिली थी, जब मुकाबला त्रिकोणीय हुआ था।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने जैसे ही BJP से हाथ मिलाया, NDA का वोट शेयर करीब 18% बढ़कर 54.34% हो गया। प्रदेश की 40 सीटों में से NDA को 39 सीटें मिलीं और विपक्ष से सिर्फ कांग्रेस 1 सीट ही जीत सकी थी। यही वजह है कि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में किसी भी हाल में नीतीश का साथ नहीं छोड़ना चाहती।

अब जानिए नीतीश कुमार के लिए क्या है भाजपा का प्लान

नीतीश कुमार को सम्मानजनक पद देकर बिहार से विदाई दी जाए

सूत्रों की मानें तो ‌BJP का प्रदेश नेतृत्व किसी भी सूरत में नीतीश कुमार की अगुआई में बिहार में सरकार नहीं बनाना चाहता। उनका मानना है कि इसका सीधा असर कार्यकर्ताओं पर पड़ेगा। भाजपा के संगठन में उपाध्यक्ष स्तर के एक नेता ने दैनिक भास्कर को नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यहीं पर आ रही है कि उन्हें किस तरह बिहार से बाहर निकाला जाए।

भाजपा सूत्रों की मानें तो उन्हें NDA संयोजक का पद ऑफर दिया जा सकता है। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें राज्यसभा और JDU को दो केंद्रीय मंत्री के साथ एक राज्य मंत्री का पद दे सकती है। हालांकि, BJP के कोई नेता इस पर खुलकर बोलने के लिए राजी नहीं हो रहे हैं।

लोकसभा चुनाव तक नीतीश कुमार बने रह सकते हैं CM, BJP के दो डिप्टी CM होंगे

वहीं, नीतीश कुमार किसी भी सूरत में CM की कुर्सी छोड़ने के लिए राजी नहीं हैं। इस स्थिति में BJP लोकसभा चुनाव तक CM बनाए रख सकती है। इसके साथ BJP के दो डिप्टी CM होंगे।

BJP सूत्रों की मानें तो सुशील मोदी की एक बार फिर से बिहार सरकार में वापसी हो सकती है। इनके अलावा BJP कोटे से 7-8 मंत्री बनाए जा सकते हैं। हालांकि, ये नए चेहरे होंगे या पुराने को ही रिपीट किया जाएगा, इस पर फिलहाल पार्टी के कोई नेता स्पष्ट बोलने से बच रहे हैं।

अमित शाह खुद संभाल रहे हैं पूरे अभियान की बागडोर

BJP नेताओं की मानें तो बिहार हो रहे पूरे सियासी हलचल की बागडोर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद अपने हाथ में रखे हुए हैं। पूरे अभियान को सीक्रेट रखा जा रहा है। BJP के किसी नेता को पब्लिक में बाइट देने से मना किया गया है। यही कारण है कि कोई भी नेता न तो नीतीश कुमार के खिलाफ कोई भी सख्त बयान दे रहे हैं और न ही गठबंधन पर कुछ भी खुलकर बोल रहे हैं।

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