इस्लामाबाद4 दिन पहले
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इमरान खान करप्शन केस में दोषी पाए जाने के बाद अडियाला जेल में कैद हैं। (फाइल)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के एक बहुत बड़े झूठ को उनके ही पूर्व एंबेसडर ने अदालत के सामने उजागर कर दिया। 27 मार्च 2023 से इमरान दावा करते रहे हैं कि उनकी सरकार अमेरिका के इशारे पर गिराई गई थी।
इस झूठ के सबूत के तौर पर इमरान हर रैली में एक कागज लहराया करते थे। खान कहते थे- यह लेटर अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत (उस वक्त) ने लिखा है। इसमें एक अमेरिकी डिप्लोमैट का बयान है, जिसमें उसने कहा था कि या तो मैं अमेरिका के इशारे पर चलूं या कुर्सी गंवाने के लिए तैयार रहूं।
बहरहाल, अब इसी राजदूत ने कोर्ट के सामने दिए बयान में कहा है कि खान की सरकार गिराने में अमेरिका का कोई हाथ नहीं था और अमेरिकी डिप्लोमैट ने सरकार गिराने की धमकी दी थी। इस कागज को सीक्रेट लेटर या डिप्लोमैटिक लैंग्वेज में सायफर कहते हैं।
पहली बार कोर्ट में पेश हुए डिप्लोमैट
इमरान जब प्रधानमंत्री थे, तब असद मजीद खान अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत थे। उन्हें इमरान का करीबी माना जाता है और अब इन्ही मजीद ने कोर्ट में इमरान का झूठ उजागर कर दिया है।
मजीद मंगलवार को अडियाला जेल में बनी टेम्परेरी कोर्ट में पेश हुए और सायफर केस में सबसे अहम गवाही दी। कहा- मैंने विदेश मंत्रालय को एक बिल्कुल सामान्य नोट भेजा था। इसमें अमेरिकी डिप्लोमैट डोनाल्ड लू से बातचीत का जिक्र था। हमारी सियासत पर बातचीत नहीं हुई थी। खान ये भी गलत दावा करते हैं कि अमेरिका ने उनकी सरकार गिराने की धमकी दी थी और इसका जिक्र मैंने उस लेटर में किया था। मैंने ऐसा कुछ नहीं लिखा था।
27 मार्च 2022 को इस्लामाबाद की रैली में इमरान के हाथ में एक कागज नजर आया था। खान का दावा है कि इसमें उनकी सरकार गिराने की अमेरिकी साजिश का जिक्र है।
अब इस केस में भी सजा होना तय
सायफर नेशनल सीक्रेट होता है और इसको किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर नहीं दिखाया जा सकता। इमरान ने अपने चीफ सेक्रेटरी से यह लेटर लिया और इसे वापस भी नहीं किया। लिहाजा, ये मामला चोरी का भी बन गया। असद मजीद जनवरी 2019 से मार्च 2022 तक अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे।
मजीद ने कोर्ट में कहा- मैंने 7 मार्च 2022 को अमेरिका के असिस्टेंट सेक्रेटरी डोनाल्ड लू से मुलाकात की थी। हमने लंच किया था। यह पहले से तय मीटिंग थी। इस दौरान कुछ और लोग भी मौजूद थे। मैंने बातचीत की जानकारी टेलिग्राम के जरिए इस्लामाबाद भेजी। मीटिंग के हर मिनिट को नोट किया गया। इसमें कहीं भी साजिश शब्द का जिक्र तक नहीं था। इमरान ने अपने समर्थकों से झूठ बोला। इस मामले में 25 गवाह हैं।
इमरान जब PM थे, तब आजम खान उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी थे। आजम भी जांच एजेंसी के सामने पेश होकर इमरान के झूठ का पर्दाफाश कर चुके हैं। (फाइल)
क्या है सायफर गेट स्कैंडल या सीक्रेट लेटर चोरी केस
- 27 मार्च 2023 से इमरान की तरफ से लगातार दावा किया गया कि यह लेटर (डिप्लोमैटिक टर्म में सायफर) अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट यानी फॉरेन मिनिस्ट्री की तरफ से पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को भेजा गया। इमरान का दावा रहा कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन उनको प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं देखना चाहती थी और अमेरिका के इशारे पर ही उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
- ‘सायफर गेट या केबल गेट या नेशनल सीक्रेट गेट’ केस में इमरान का फंसना तय है। इसकी वजह यह है कि जब वो प्रधानमंत्री थे, तब आजम खान उनके चीफ सेक्रेटरी थे। आजम से जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम (JIT) दो बार पूछताछ कर चुकी है। आजम ने बिल्कुल साफ कहा है कि उन्होंने यह सायफर इमरान को दिया था। बाद में आजम ने जब इसे खान से वापस मांगा तो उन्होंने कहा कि यह तो कहीं गुम हो गया है।
- हैरानी की बात है कि खान ने बाद में यही सायफर कई रैलियों में खुलेआम लहराया। खान ने कहा- ये वो सबूत है जो यह साबित करता है कि मेरी सरकार अमेरिका के इशारे पर फौज ने गिराई। आजम के इकबालिया बयान ने यह तय कर दिया है कि इमरान चाहकर भी इसे झुठला नहीं सकेंगे। खास बात यह भी है कि आजम ने अपना बयान जांच एजेंसी और मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया है। इसकी कॉपी पर सिग्नेचर भी किए हैं।
- इसके अलावा खान का एक ऑडियो टेप भी वायरल हुआ था। इसमें इमरान, उस वक्त के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और आजम खान की आवाजें थीं। फोरेंसिक जांच में यह साबित हो चुका है कि यह ऑडियो सही है, इससे कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी। टेप में खान कुरैशी और आजम से कहते हैं- अब हम इस सायफर को रैलियों में दिखाकर इससे खेलेंगे।
पाकिस्तान पर भरोसा नहीं करेगी दुनिया
- पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी वकील और पॉलिटिकल एनालिस्ट साजिद तराड़ के मुताबिक- पहली बात तो यह कि यह ऑफिशियल कम्युनिकेशन नहीं था। यह एक एंबेसडर का अपने विदेश मंत्रालय को लिखा इंटरनल मेमो है, जिसकी कोई कानूनी या डिप्लोमैटिक हैसियत नहीं। हां, इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह नेशनल सीक्रेट होता है और इसका पब्लिक प्लेस पर न तो जिक्र किया जा सकता है और न दिखाया जा सकता।
- तराड़ आगे कहते हैं- अमेरिका को अब पाकिस्तान की कोई जरूरत नहीं है। अगर होगी भी तो वो इमरान से मंजूरी क्यों मांगता? वो फौज से बात करता है और करता रहेगा। इसे आप इंटरनल मेमो, इंटरनल केबल, वायर या बहुत हुआ तो डिप्लोमैटिक नोट कह सकते हैं। ये तो बेहद आम चीज है। इमरान की गलती की वजह से अब दूसरे देश भी पाकिस्तान पर आसानी से भरोसा नहीं करेंगे।
- पाकिस्तान के पूर्व रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक टीवी चैनल पर खुलासा किया था कि इमरान की पार्टी PTI ने साजिश के मनगढ़ंत आरोपों के लिए अमेरिका से माफी मांगी है।
- बकौल ख्वाजा आसिफ- हमारे पास सबूत हैं कि खान की पार्टी PTI ने अमेरिकी डिप्लोमैट डोनाल्ड लू से माफी मांगी। खान पहले अपनी सभाओं में अमेरिका के खिलाफ नारे लगा रहे थे, अब गलतियों के लिए माफी मांग रहे हैं। ख्वाजा आसिफ ने यह भी खुलासा किया कि, इमरान ने अमेरिका को मैसेज भेज कर संबंध सुधारने की ख्वाहिश जाहिर की है।