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वॉशिंगटन8 मिनट पहले
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साल 2003 की बात है। भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला अपना मिशन पूरा करने के बाद नासा के कोलंबिया स्पेस शटल से धरती पर लौट रही थीं। रीएंट्री के दौरान उनका स्पेस शटल हादसे का शिकार हो गया और इसमें सवार सभी 7 क्रू मेंबर्स की मौत हो गई।
इस हादसे से दुनिया का स्पेस शटल से भरोसा उठ गया। 2011 में नासा को अपना स्पेस शटल प्रोग्राम को बंद करना पड़ा था। अब नासा के पास इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) जाने के लिए कोई भी स्पेसक्राफ्ट नहीं था। उसे रूस के सोयूज स्पेसक्राफ्ट पर निर्भर होना पड़ा।
ऐसे में नासा ने 2014 में स्पेस पर इंसान को भेजने के लिए दो प्राइवेट कंपनियों स्पेसएक्स और एयरक्राफ्ट कंपनी बोइंग के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया। इसी कॉन्ट्रैक्ट के तहत आज यानी 7 मई 2024 को भारतवंशी सुनीता विलियम्स स्टारलाइनर मिशन के तहत स्पेश स्टेशन के लिए रवाना होंगी। ये उनकी अंतरिक्ष यात्रा होगी। वो इस मिशन पायलट हैं।
भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला कोलंबिया स्पेस शटल से पृथ्वी पर लौटते समय हादसे का शिकार हो गई थीं।
एटलस V रॉकेट से लॉन्च होगा सुनीता का स्टारलाइनर एयरक्राफ्ट
भारतवंशी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स के अलावा इस मिशन में बुच विल्मोर भी स्पेस स्टेशन (ISS) जा रहे हैं। सूनीता के स्टारलाइनर एयरक्राफ्ट को एटलस V रॉकेट से सुबह 8:04 बजे लॉन्च किया जाएगा। मिशन सफल होता है, तो इतिहास में पहली बार अमेरिका के पास एस्ट्रोनॉट को स्पेस में भेजने के लिए 2 स्पेसक्राफ्ट होंगे। अभी अमेरिका के पास स्पेसएक्स का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ही है।
2014 में नासा ने इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को 2 बिलियन डॉलर (अभी करीब ₹21,000 करोड़) दिए गए थे। जबकि एयरक्राफ्ट कंपनी बोइंग के साथ 4.2 बिलियन डॉलर (अभी करीब ₹35,000 करोड़) का कॉन्ट्रैक्ट किया।
दोनों कंपनियों के बीच सबसे पहले ऐसी व्यवस्था लाने की होड़ थी, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए धरती से स्पेस स्टेशन तक का सफर आसान हो सके। कम कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू के बावजूद स्पेसएक्स ने बोइंग से पहले नासा के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन भेजना शुरू कर दिया। स्पेसएक्स अब तक अपने ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से 13 मिशन पूरे कर चुकी है। बोइंग भी अब स्पेसएक्स की बराबरी करना चाहती है।
बाएं से दाएं, नासा के एस्ट्रोनॉट बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स यूनाइटेड लॉन्च एलायंस एटलस V रॉकेट और बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के साथ पोज देते हुए। फोटो क्रेडिट: NASA
सुनीता के एयरक्राफ्ट में हवा-पानी और तापमान कंट्रोल करेगा सर्विस मॉड्यूल
स्टारलाइनर में एक क्रू कैप्सूल और एक सर्विस मॉड्यूल है। क्रू कैप्सूल में एस्ट्रोनॉट रहेंगे। वहीं सर्विस मॉड्यूल में वे उपकरण और सिस्टम्स शामिल हैं जिनकी अंतरिक्ष में जीवित रहने के लिए जरूरत होती है। जैसे हवा और तापमान नियंत्रण, वाटर सप्लाई। सर्विस मॉड्यूल रीयूजेबल नहीं होगा।
9 पॉइंट में जानें स्टारलाइन का पृथ्वी से स्पेस स्टेशन और वापस पृथ्वी पर आने का सफर
- एटलस V रॉकेट भारतीय समय के अनुसार 7 मई 2024 को सुबह 8:04 बजे लॉन्च होगा। 15 मिनट बाद ये स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट को रिलीज कर देगा। स्पेसक्राफ्ट के इंजन फायर होंगे और ये स्पेस स्टेशन की लगभग 24 घंटे की यात्रा के लिए कक्षा में स्थापित हो जाएगा।
- स्टारलाइनर हार्मनी मॉड्यूल के आगे वाले पोर्ट पर डॉक करेगा। अपने स्टे के दौरान क्रू स्टारलाइनर के अंदर जाएगा, हैच बंद करेगा और दिखाएगा कि भविष्य में आग या मलबे के साथ टकराव के रिस्क जैसी स्थिति में स्पेसक्राफ्ट “सुरक्षित आश्रय” के रूप में काम कर सकता है।
- विल्मोर और विलियम्स पृथ्वी पर लौटने से पहले लगभग एक हफ्ते तक एक्सपेडिशन 71 क्रू के साथ रहेंगे और काम करेंगे। अनडॉकिंग के बाद, स्टारलाइनर के मैनुअल पायलटिंग का आकलन होगा। चालक दल अनडॉकिंग से लेकर लैंडिंग तक लगभग छह घंटे बिताएगा।
- पृथ्वी के वायुमंडल में रीएंट्री के दौरान, स्पेसक्राफ्ट 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से धीमा होना शुरू हो जाएगा। इस दौरान क्रू 3.5 g तक भार महसूस कर सकता है। रीएंट्री के बाद पैराशूट सिस्टम की सुरक्षा के लिए स्पेसक्राफ्ट की आगे लगी हीट शील्ड को हटा दिया जाएगा।
- दो ड्रैग और तीन मुख्य पैराशूट स्टारलाइनर की गति को और धीमा कर देंगे। बेस हीट शील्ड डुअल एयरबैग सिस्टम को एक्सपोज करते हुए डिप्लॉय हो जाएगी। 6 प्राइमरी एयरबैग कैप्सूल के बेस पर डिप्लॉय होंगे। ये लैंडिंग के दौरान कुशन की तरह काम करेंगी।
- लैंडिंग के दौरान स्पेसक्राफ्ट की गति करीब 6 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी। संभावित लैंडिंग स्थानों में एरिजोना का विलकॉक्स और यूटा का डगवे प्रोविंग ग्राउंड शामिल है। कैलिफोर्निया में एडवर्ड्स एयर फोर्स बेस एक इमरजेंसी लैंडिंग साइट के रूप में उपलब्ध है।
- टचडाउन के बाद, चालक दल पैराशूट हटाएगा, स्पेसक्राफ्ट की बिजली बंद करेगा और मिशन कंट्रोल लैंडिंग और रिकवरी टीमों से सैटेलाइट फोन कॉल के जरिए संपर्क करेगा। रिकवरी टीम स्टारलाइनर के चारों ओर एक टेंट लगाएगी और स्पेसक्राफ्ट में ठंडी हवा पंप करेगी।
- स्टारलाइनर का हैच खुलने और, लैंडिंग के एक घंटे से भी कम समय बीतने के बाद, दोनों एस्ट्रोनॉट्स इनिशियल हेल्थ चेक के लिए मेडिकल व्हीकल में जाएंगे। फिर नासा के विमान तक पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर में उड़ान भरेंगे। ये विमान उन्हें ह्यूस्टन के एलिंगटन फील्ड लेकर जाएगा।
- लैंडिंग और सक्सेसफुल रिकवरी के बाद, नासा स्पेस स्टेशन पर रोटेशन मिशनों के लिए एक ऑपरेशनल क्रू सिस्टम के रूप में स्पेसक्राफ्ट को सर्टिफाई करने का काम पूरा करेगा। सर्टिफिकेशन के बाद मिशन्स की शुरुआत बोइंग स्टारलाइनर -1 के साथ 2025 में होने की उम्मीद है।
अब 5 जरूरी सवालों के जवाब…
सवाल 1: स्टारलाइनर पर कितने लोग उड़ान भर सकते हैं?
जवाब: स्टारलाइनर को मैक्सिमम सात लोगों के क्रू को फिट करने के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन नासा मिशन चार लोगों के क्रू को ले जाएगा।
सवाल 2: क्या स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट रीयूजेबल है? जवाब: हां, क्रू मॉड्यूल को 10 मिशनों तक उड़ान भरने के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन सर्विस मॉड्यूल रीयूजेबल नहीं है।
सवाल 3: क्या प्राइवेट एस्ट्रोनॉट भी स्टारलाइन में जाएंगे?
जवाब: हां, नासा मिशनों पर अतिरिक्त पांचवीं सीट को बोइंग सेल करेगा। प्राइवेट सिटिजन इसमें टूरिस्ट की तरह फ्लाई कर सकेंगे।
सवाल 4: नासा को प्राइवेट प्लेयर्स की जरूरत क्यों पड़ी? जवाब: नासा को प्राइवेट कंपनियों के स्पेस सेक्टर में आने से एडवांस टेक्नोलॉजी डेवलप करने में मदद मिली है। इससे मिशन कॉस्ट भी घटी है। 2011 स्पेस शटल प्रोग्राम बंद होने के बाद अमेरिका ISS तक पहुंचने के लिए रूस के सोयूज स्पेसक्राफ्ट पर निर्भर हो गया था। हालांकि, स्पेसएक्स जैसे प्राइवेट प्लेयर के आने से उसकी रूस पर निर्भरता कम हुई है।
स्पेसएक्स के मालिक इलॉन मस्क अपने ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के साथ। नासा इसी स्पेसक्राफ्ट से एस्ट्रोनॉट्स के स्पेस स्टेशन भेजता है।
सवाल 5: बोइंग के लिए क्यों अहम है स्टारलाइनर मिशन?
जवाब: बोइंग लंबे समय से अपने 737 मैक्स 8 विमानों को लेकर विवादों में है। इसे यूरोपियन कंपनी एयरबस के A320 नियो विमान को टक्कर देने के लिए उतारा गया था। हालांकि, अक्टूबर 2018 में इस्तेमाल शुरू होने के एक साल बाद ही ये हादसे का शिकार हो गया। इथियोपिया एयरलाइन्स के बेड़े में शामिल ये विमान उड़ान भरने के 13 मिनट बाद क्रैश हो गया। इसमें 189 लोगों की मौत हो गई।
2019 में फिर एक हादसा हुआ, जिसमें 157 लोग मारे गए। इससे मैक्स 8 विमानों के पूरे सिस्टम पर ही सवाल उठने लगे। इस साल जनवरी में बोइंग के 737 सीरीज के एक और विमान मैक्स-9 का दरवाजा 16 हजार फीट की ऊंचाई से टूट कर गिर गया। इससे एक बार फिर बोइंग के विमानों में सेफ्टी से जुड़े सवाल उठने लगे।
इन सब घटनाओं के बीच बोइंग नासा के लिए एक बड़े मिशन को अंजाम देने की तैयारी में है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर स्टारलाइनर मिशन कामयाब रहा तो ये बोइंग की इमेज को सुधारने का काम करेगा। हालांकि, अगर मिशन में गड़बड़ी हुई तो कंपनी की साख को बड़ी ठेस पहुंचेगी।
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