मुंबई45 मिनट पहले
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मार्केट वैल्यूएशन के हिसाब से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 की वैल्यू पिछले कारोबारी हफ्ते कंबाइन रूप से ₹68,417.14 करोड़ कम हुई है। इसमें सबसे बड़ी लूजर भारती एयरटेल रही है। कंपनी के मार्केट कैप में इस दौरान ₹27,635.65 की कमी आई है। अब एयरटेल की वैल्यू ₹7.24 लाख करोड़ रह गई है।
इसके अलावा देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप भी ₹23,341.56 करोड़ गिरकर ₹19.41 लाख करोड़ रह गया है। एक सप्ताह पहले यह 19.64 लाख करोड़ रुपए था। वहीं, इस लिस्ट में चार कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन टोटल ₹67,908.44 करोड़ बढ़ा भी है।
SBI का मार्केट-कैप एक हफ्ते में ₹26,907 करोड़ बढ़ा
पिछले हफ्ते मार्केट का टॉप गेनर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) रहा। इसका मार्केट कैप ₹26,907.71 करोड़ बढ़कर ₹7.42 लाख करोड़ हो गया है। जबकि, दूसरे नंबर पर ICICI बैंक है। इसके मार्केट वैल्यू में ₹24,651.55 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। अब कंपनी का मार्केट कैप ₹8.02 लाख करोड़ हो गाय है।
3 मई को निफ्टी ने 22,794 का ऑल टाइम हाई बनाया
बीते कारोबारी हफ्ते के आखिरी दिन यानी 3 मई को शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला था। कारोबार के दौरान निफ्टी ने 22,794 का ऑल टाइम हाई बनाया। हालांकि, बाद ये यह नीचे आकर 172 अंक की गिरावट के साथ 22,475 के स्तर पर बंद हुआ।
वहीं, सेंसेक्स दिन के हाई 75,095 से 1,217 अंक गिरा। ये 732 अंक की गिरावट के साथ 73,878 के स्तर पर बंद हुआ। इसके 30 शेयरों में से 24 में गिरावट और 6 में तेजी देखने को मिली थी।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
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