Time-100 health list; Indians in Health department across world, Cancer, Alzheimer treatment | टाइम-100 हेल्थ लिस्ट में 5 भारतीय: इनकी बदौलत कैंसर का इलाज 10 गुना सस्ता, अकेलेपन से लड़ाई आसान, अल्जाइमर की पहचान भी जल्द होगी


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4 मिनट पहले

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महामारी के बाद अब नए इलाज, नई खोजों और बीमारियों पर वैश्विक जीत का एक युग शुरू हुआ है। वैज्ञानिकों के साथ ही आम लोगों को सेहत की अहमियत और बेहतर तरीके से समझ में आई है।

टाइम ने 2023 में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े बदलाव लाने वाले 100 लोगों की सूची जारी की है। इनमें भारतीय मूल के वैज्ञानिक भी हैं। जानते हैं भारत या भारतीय मूल की इन 5 शख्सियतों के बारे में, जिन्होंने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया…

1. डॉ. अलका द्विवेदी: ​​​ब्लड कैंसर के इलाज के लिए लाईं ‘नेक्स्टकार19’

डॉ. अल्का द्विवेदी अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की फेलो हैं।

डॉ. अल्का द्विवेदी अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की फेलो हैं।

डॉ. अल्का द्विवेदी अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की फेलो हैं। इन्होंने ब्लड कैंसर से लड़ने के लिए नेक्स्टकार19 थेरेपी का विकास किया है। भारत में इस थेरेपी से इलाज पर 30 से 40 लाख का खर्च आएगा। यह दुनियाभर में प्रचलित सीएआर-टी के मुकाबले 10 गुना सस्ती है। सीएआर-टी थेरेपी में 3 से 4 करोड़ रुपए तक का खर्च आता है।

2. डॉ. अविंद्र नाथ: महिलाओं में अत्यधिक थकान का कारण ढूंढा
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के डॉ. अविंद्र नाथ ने क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम का कारण ढूंढा। आमतौर पर महिलाओं में होने वाले इस सिंड्रोम में अत्यधिक थकान, नींद की समस्या और गंभीर दर्द की शिकायत होती हैं। नाथ ने शोध से बताया कि इस सिंड्रोम में प्रतिरक्षा प्रणाली अति सक्रिय होने से परेशानी होती है।

3. डॉ. वेंकट शास्त्री: ब्लड टेस्ट से अल्जाइमर की पहचान का नया तरीका
अमेरिक के एलजी पैथ के CEO डॉ वेंकट शास्त्री ने ​​​​​​​अल्जाइमर की टेस्टिंग का नया तरीका खोजा। इस खोज के बाद डॉक्टर अब एक आसान ब्लड टेस्ट के जरिए अल्जाइमर की जल्दी पहचान कर सकते हैं। वे और उनकी कंपनी इसी तकनीक के जरिये अब पार्किंसंस बीमारी का जल्द पता लगाने पर भी काम कर रहे हैं।

डॉ वेंकट शास्त्री अमेरिका के एलजी पैथ के CEO हैं।

डॉ वेंकट शास्त्री अमेरिका के एलजी पैथ के CEO हैं।

4. डॉ. विवेक मूर्ति: युवाओं में अकेलापन दूर करने के लिए बने प्रोग्राम
​​​​​​​अमेरिका में बतौर जनरल सर्जन काम कर रहे डॉ विवेक मूर्ती ने कॉलेज के छात्रों और युवाओं में अकेलेपन की समस्या सबसे ज्यादा देखी। अमेरिकी सर्जन जनरल रहते हुए इससे निपटने के प्रयास शुरू किए। इसकी वजह से शिक्षण संस्थानों व कंपनियों ने अकेलेपन को दूर करने के लिए प्रोग्राम बनाना शुरू किया।

5. डॉ. सुंबुल देसाई: टेक के इस्तेमाल से मेंटल हेल्थ से ले रही हैं टक्कर
एपल हेल्थ की वाइस प्रेसिडेंट डॉ सुंबुल देसाई ने ​​​​​​​कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर अवसाद के बारे में जानने के लिए एपल वॉच और आईफोन का उपयोग किया। शोध में पता चला कि देर से सोना, घर पर ज्यादा रहना, अधिक समय बैठे रहना और कम व्यायाम अवसाद के कारण हैं।

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