2 मिनट पहले
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IMF के बेलआउट पैकेज की तीन किश्तों को मिलाकर पाकिस्तान पर IMF का कुल कर्ज 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है।
अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष ( IMF) ने आर्थिक तंगहाली से जूझ रहे पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज की तीसरी किश्त को मंजूरी दे दी है। यह किश्त 1.1 बिलियन डॉलर यानि 9 हजार करोड़ रुपए की है। IMF ने कहा है कि पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है। इस किश्त के बाद पाकिस्तान पर IMF का कुल कर्ज 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है।
IMF के बेल आउट पैकेज पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। पाक पीएम ने कहा है कि IMF के बेलआउट पैकेज से पाकिस्तान में आर्थिक स्थिरता आएगी। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई कड़े फैसले लिए थे, अब यह फैसले लाभकारी साबित हो रहे हैं। हालांकि शहबाज शरीफ ने यह भी कहा है कि असली सफलता कर्ज पाने में नहीं, बल्कि कर्ज से मुक्ति पाने में है।
पाकिस्तान के PM शरीफ ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान साइडलाइन्स पर IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के साथ बैठक की थी।
भारत IMF बोर्ड की वोटिंग में शामिल नहीं हुआ
सोमवार 29 अप्रैल को वॉशिंगटन में IMF के कार्यकारी बोर्ड की बैठक हुई। यह बैठक ग्लोबल लैंडर्स के पाकिस्तान की आर्थिक सुधार कार्यक्रम के दूसरे और आखिरी रिव्यू के बाद की गई थी। पाकिस्तान के इस आर्थिक सुधार कार्यक्रम को IMF के स्टैड इन अरेंजमेंट का सपोर्ट था। सभी सदस्य देशों ने पाकिस्तान को बेल आउट पैकेज देने का समर्थन किया, लेकिन भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
सऊदी अरब में IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर से मिले थे शहबाज
IMF से पाकिस्तान को यह मंजूरी ऐसे समय में मिली है जब एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री शहबाज ने रियाद में वर्ल्ड इकोनॉनिक फोरम (WEF) की विशेष बैठक के दौरान IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से मुलाकात की थी। शहबाज ने क्रिस्टालिना जॉर्जीवा को आश्वासन दिया था कि सरकार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को “वापस पटरी पर लाने” के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
पाकिस्तान को IMF की तीसरी किश्त देने पर IMF के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा है कि आगे आने वाली चुनौतियों को देखते हुए, पाकिस्तान को इस बेल आउट पैकेज का फायदा उठाना चाहिए ताकि देश में स्थिरता आ सके। मौजूदा स्थिति से अलग होकर पाकिस्तान को मजबूत व्यापक आर्थिक नीतियां बनाना चाहिए। इसके साथ ही कई क्षेत्रों में सुधार लाना चाहिए।
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