भास्कर संवाददाता शानीर एन सिद्दीकी16 मिनट पहले
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14 फरवरी को UAE की राजधानी अबू धाबी में देश के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन होगा।
अरब देश संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अबू धाबी में राम मंदिर जैसा भव्य मंदिर बनाने का काम अब पूरा होने वाला है। इस मंदिर (BAPS) में 14 फरवरी को वसंत पंचमी पर प्राण-प्रतिष्ठा के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। हिंदू मंदिर का निर्माण अबू धाबी के कल्चरल डिस्ट्रिक्ट में 27 एकड़ क्षेत्र में किया गया है।
इसके आधे हिस्से में पार्किंग है। इसकी आधारशिला 6 साल पहले रखी गई थी। मंदिर के मुख्य गुंबद में पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु के साथ अरबी आर्किटेक्चर में चंद्रमा को दर्शाया गया है, जिसका मुस्लिम समुदाय में भी बेहद महत्व है। यह मंदिर सभी धर्मों का स्वागत करेगा और भारत और अरब की संस्कृति के मिलाप की मिसाल होगा।
मंदिर की दीवारों पर अरबी क्षेत्र, चीनी, एज्टेक और मेसोपोटामिया से 14 कहानियां होंगी, जो सभी संस्कृतियों में जुड़ाव दिखाती हैं।
मंदिर को लोहे-स्टील नहीं बल्कि पत्थर से बनाया गया
अबू धाबी में मंदिर का निर्माण आखिरी दौर में है। 700 करोड़ की लागत वाले इस मंदिर में लोहे या स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है। वॉलंटियर योगेश ठक्कर ने बताया कि स्तंभ से लेकर तक छत तक नक्काशी की गई है। 700 कंटेनरों में 20 ज्यादा टन से ज्यादा पत्थर, संगमरमर भारत से भेजा गया। मंदिर में 10 हजार लोग आ सकते हैं।
मंदिर के प्रांगण में एक वॉल ऑफ हार्मनी का भी निर्माण किया गया है। मंदिर की दीवारों पर अरबी क्षेत्र, चीनी, एज्टेक और मेसोपोटामिया से 14 कहानियां होंगी, जो सभी संस्कृतियों में जुड़ाव दिखाती हैं। यह मंदिर UAE की सद्भाव और सह-अस्तित्व की नीति की मिसाल होगा।
1997 में गुरु प्रमुख स्वामी महाराज ने देखा था मंदिर का सपना
BAPS स्वामीरायण संस्था के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख ब्रह्मविहारी स्वामी ने बताया कि यह अरब देश में पहला विचार आधारित BAPS होगा। 1997 में गुरु प्रमुख स्वामी महाराज जब यहां आए थे, तो उन्होंने एक सपना देखा था कि यहां हिंदू मंदिर बने। आज 27 साल बाद यह सपना साकार हो रहा है।
मंदिर के गेट पर रेत के टीले की रचना की गई है, जिसे सातों अमीरात से रेत लाकर बनाया गया है। आगे गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है जिसमें मुख्य प्रवेश द्वार से पहले सीढ़ियों के दोनों तरफ गंगा और यमुना का प्रवाह रहेगा और सरस्वती नदी की कल्पना एक लाइट से की गई है।
गंगा के साथ 96 घंटों को स्थापित किया गया है, जो 96 साल की तपस्या दर्शाते हैं। मंदिर की मार्ग पर ठंडी रहने वाली नैनो टाइल्स लगाई गई हैं। वहीं, मंदिर के दाईं ओर गंगा घाट है, जिसमें गंगा जल की व्यवस्था होगी।
मंदिर के मुख्य गुंबद में पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु के साथ अरबी आर्किटेक्चर में चंद्रमा को दर्शाया गया है।
7 एमिरेट्स को दर्शाने वाले 7 शिखर
मंदिर में सात शिखर हैं, जो UAE के सात एमिरेट्स को दर्शाते हैं। मंदिर में सात देवी-देवता विराजेंगे, जिसमें राम-सीता, शिव-पार्वती शामिल हैं। बाहरी दीवारों के पत्थरों पर हैंड क्राफ्ट से महाभारत, गीता की कहानियां दर्शाई गई हैं।
दीवारों पर पत्थरों द्वारा पूरी रामायण, जगन्नाथ यात्रा और शिव पुराण भी उकेरे गए हैं। पूरी अयोध्या नगरी को पत्थर की संरचना में 3डी प्रारूप में उकेरा गया है, जितनी कहानियां हमने बचपन में सुनी हैं, मंदिर परिक्रमा में नक्काशी के रूप में देख सकेंगे।