Israel will summon ambassadors of pro-Palestine countries | ‘फिलिस्तीन को UN में लाना मतलब आतंक को पुरस्कार देना’: इजराइल ने कहा- फिलिस्तीन की परमानेंट मेंबरशिप का समर्थन करने वाले देशों को समन भेजेंगे


7 मिनट पहले

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फिलिस्तीन की स्थायी सदस्यता पर वीटो लगाने के अमेरिकी  फैसले की इजराइल ने तारीफ की थी।         
 (फाइल) - Dainik Bhaskar

फिलिस्तीन की स्थायी सदस्यता पर वीटो लगाने के अमेरिकी फैसले की इजराइल ने तारीफ की थी। (फाइल)

संयुक्त राष्ट्र (UN) में फिलिस्तीन की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने वाले देशों के राजदूतों को इजराइल समन भेजेगा। इजराइल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि “हम आतंकी राज्य की स्थापना के लिए सहमत नहीं हैं। फिलिस्तीन को UN की परमानेंट मेंबरशिप देना आतंकवाद को पुरस्कार देने जैसा है।”

दरअसल 18 अप्रैल को UNSC में अल्जीरिया ने फिलिस्तीन को यूएन में स्थायी सदस्यता देने का प्रस्ताव पेश किया था, जिसका 12 देशों ने समर्थन किया। लेकिन अमेरिका के वीटो के कारण प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका। UN मेंबरशिप के लिए पहले UNSC में प्रस्ताव लाया जाता है। अगर प्रस्ताव UNSC में पास हो जाता है, तो उसे वोटिंग के लिए UN में भेजा जाता है।

‘बंधकों को छुड़वाने के लिए हमास पर दबाव बनाएं’
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इजराइली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मार्मोरस्टीन ने कहा है कि इजराइल रविवार( 21 अप्रैल) को फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया, माल्टा, स्लोवेनिया और इक्वाडोर के राजदूतों को बुलाएगा और अपना विरोध जताएगा। इन देशों ने UN में फिलिस्तीन को स्थायी सदस्यता मिलने का समर्थन किया था।

मार्मोरस्टीन ने आगे कहा कि ऐसी चीजों का कभी समर्थन नही करेंगे, जो उसके नागरिकों को खतरे में डाल दें। इजराइल फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले देशों के राजदूतों से यह मांग भी करेगा कि हमास आतंकवादी संगठन को पुरस्कृत करने के बजाय, उन पर दवाब बनाएं ताकि वे 133 इजराइली महिलाओं और पुरुष बंधकों को तुरंत रिहा कर दें।

इजराइल के विदेश मंत्री इजराइल काट्ज का कहना है कि फिलिस्तीन समर्थक देश हमास पर बंधकों को छोड़ने का दवाब बनाएं।

इजराइल के विदेश मंत्री इजराइल काट्ज का कहना है कि फिलिस्तीन समर्थक देश हमास पर बंधकों को छोड़ने का दवाब बनाएं।

परमानेंट मेंबरशिप पर अमेरिका ने लगाया वीटो
UNSC में गुरुवार(18 अप्रैल) को फिलिस्तीन को परमानेंट मेंबरशिप देने वाले प्रस्ताव पर वोटिंग हुई थी। 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद में फिलिस्तीन के पक्ष में 12 वोट पड़े, जबकि 2 देश वोटिंग से दूर रहे थे। माना जा रहा था कि गाजा में हुई तबाही के बाद अमेरिका प्रस्ताव पर वीटो नहीं करेगा, लेकिन अमेरिका अपने स्टैंड पर बना रहा है और वीटो पावर का इस्तेमाल किया।

UN में पूर्ण सदस्यता हासिल करने का फिलिस्तीन की यह दूसरी कोशिश थी। इससे पहले 2011 में भी फिलिस्तीन को मेंबरशिप देने को लेकर UNSC में वोटिंग हुई थी, लेकिन उस समय भी अमेरिका ने प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया था। UNSC में किसी भी प्रस्ताव को पास करवाने के लिए 9 वोटों की जरूरत होती है, लेकिन अगर वीटो लग जाता है तो वो प्रस्ताव वहीं गिर जाता है।

UNSC में ब्रिटेन और स्विटजरलैंड ने फिलिस्तीन की सदस्यता वाले प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं की।

UNSC में ब्रिटेन और स्विटजरलैंड ने फिलिस्तीन की सदस्यता वाले प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं की।

फिलिस्तीन है UN का गैर-सदस्यीय देश
फिलिस्तीन को दुनिया के 140 से ज्यादा देशों ने मान्यता दे रखी है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन अभी भी पूर्ण सदस्य नहीं बन सका है। जबकि इजराइल को 1947 में ही UN की परमानेंट मेंबरशिप मिल गई थी। फिलहाल फिलिस्तीन UN में गैर-सदस्यीय देश है।

2012 में फिलिस्तीन को UN का गैर सदस्यीय देश बनाया गया था। गैर सदस्यीय देश वे देश होते हैं, जो UN में अपना पक्ष रख सकते हैं। लेकिन वोटिंग नहीं कर सकते। फिलिस्तीन के अलावा वेटिकन सिटी भी गैर-सदस्यीय देश है।



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