16 मिनट पहले
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यूक्रेन युद्ध के पहले रूस व्यापार के लिए यूरोप पर ही निर्भर था लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। अमेरिका और यूरोपीय देशों के प्रतिबंधों को मात देने के लिए रूस नए तरीके खोज रहा है।
इसी क्रम में रूस ने भारत, चीन और मिडल ईस्ट के देशों के साथ संबंध मजबूत कर दिए हैं। रूस अपनी पहुंच भारत और एशिया तक बढ़ाने के लिए मॉस्को से मुंबई तक मल्टी मोड ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर बना रहा है।
इंटरनेशनल नॉर्थ- साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर प्रोजेक्ट में तेजी
ग्लोबल प्रतिबंधों के बीच में रूस ने इंटरनेशनल नॉर्थ- साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर प्रोजेक्ट में तेजी दिखाई है। रूस ने अब 160 किमी लंबे रेलरूट के लिए ईरान को 12 हजार करोड़ रुपए का फंड जारी किया है। ईरान के रास्त शहर को अस्तारा से जोड़ने वाले इस रेल ट्रैक का काम शुरू हो गया है। अजरबैजान में रेलवे ट्रैक और यार्ड काम इस साल पूरा हो जाएगा। पूरे कॉरिडोर का काम 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है।
कॉरिडोर की कुल लंबाई 7,200 किमी है
आईएनएसटीसी की कुल लंबाई 7,200 किमी है। इस कॉरिडोर में भारत और रूस के अलावा ईरान, अजरबैजान भी सदस्य हैं। समुद्र, रेल और हाइवे के इस मल्टी मोड कॉरिडोर का मुख्य उद्देश्य लागत कम करना और समय बचाना है।
नए रूट से माल भेजने का समय पारंपरिक स्वेजरूट के 45 दिनों से घटकर सिर्फ 10 दिन रह जाएगा, जो कि स्वेज नहर से मुकाबला करेगा। स्वेज मार्ग से मुंबई से मॉस्को की दूरी 14 हजार किमी थी, इसे तय करने में 45 दिन से ज्यादा का समय लगता था। जहां अभी हूती विद्रोहियों का खतरा है।
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