20 मिनट पहले
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UN में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने एक भार फिर से UNSC में बदलाव की मांग उठाई।
UNSC में भारत ने एक बार फिर से बदलाव की मांग उठाई है। UN में भारत की परमानेंट प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने कहा- सुरक्षा परिषद में सुधारों पर चर्चा 1990 के दशक में शुरू हुई थी। दुनिया और हमारी आने वाली पीढ़ियों को अब और कितना इंतजार करना होगा? हम और इंतजार नहीं कर सकते।
रुचिरा ने आगे कहा- साल 2000 में पहली बार मिलेनियल समिट में वर्ल्ड लीडर्स ने UNSC में सुधार के लिए संकल्प लिया था। इस बात को करीब 25 साल बीत चुके हैं। अब भी अगर बदलाव नहीं हुए तो UNSC एक ऐसा संगठन बन जाएगा जो गुमनामी की तरफ बढ़ रहा है।
UNSC के 5 परमानेंट मेंबर हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन। इनमें 4 देश भारत का समर्थन करने को तैयार हैं, लेकिन चीन रोड़ा बन रहा है।
भारत बोला- भविष्य की पीढ़ियों की आवाज पर ध्यान देने की जरूरत
रुचिरा कंबोज ने सुझाव दिया कि अगले साल UN की 80वीं सालगिरह है और सितंबर में एक अहम शिखर सम्मेलन होने वाला है। ऐसे मौकों पर इन जरूरी सुधारों को पेश किया जाना चाहिए। भारतीय प्रतिनिधि ने कहा- हमें अफ्रीका समेत युवा और भविष्य की पीढ़ियों की आवाज पर ध्यान देते हुए सुधार करने की जरूरत है।
रुचिरा ने आगे कहा- UNSC में बदलाव के नाम पर सिर्फ नॉन-परमानेंट सदस्यों को बढ़ाने से संगठन में असमानताएं बढ़ सकती हैं। परिषद की वैधता में सुधार के लिए इसके कम्पोजिशन में सभी सदस्यों की समान भागीदारी जरूरी है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वीटो पावर UNSC में सुधार को लेकर अड़चन डालने का काम न करे।
भारत के इन सुझावों का UNSC के स्थायी सदस्य ब्रिटेन से समर्थन किया। इसके अलावा G4 के सहयोगी देश जैसे ब्राजील, जापान और जर्मनी ने भी 193 सदस्य देशों के विचारों की अहमियत पर जोर देते हुए नॉन-परमानेंट केटेगरी में ज्यादा प्रतिनिधित्व के लिए भारत के बयान का समर्थन किया।
भारत ने कहा था- कब तक 5 स्थायी सदस्यों की इच्छा 193 देशों पर हावी होती रहेगी
इससे पहले फरवरी में भी भारत ने UNSC में परमानेंट सीट मिलने को लेकर सवाल उठाए थे। भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने कहा था- भारत के बिना दुनिया में सबको साथ लेकर चलना मुश्किल होगा। सुरक्षा परिषद में सुधारों की जरूरत है। कब तक 5 स्थायी सदस्यों की इच्छा UN के 193 सदस्य देशों की सामूहिक आवाज पर हावी होती रहेगी।
वहीं सितंबर 2023 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था- UNSC की व्यवस्था में बदलाव नहीं हुआ तो लोग बाहर समाधान ढूंढना शुरू कर देंगे। UNSC ओल्ड क्लब के जैसा हो गया है। UNSC में शामिल कुछ सदस्य देश अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहते हैं। क्लब के मेंबर नहीं चाहते कि उनके कामों पर कोई सवाल खड़ा करे। बिना किसी सुधार के संयुक्त राष्ट्र का प्रभाव कम होता जा रहा है।
भारत UNSC में परमानेंट सीट क्यों चाहता है
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है। यह UN की सबसे पावरफुल संस्था है। इस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने की जिम्मेदारी है।
कुछ मामलों में UNSC अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने या बहाल करने के लिए प्रतिबंध लगाने या बल उपयोग करने का सहारा ले सकती है। यानी अगर भारत भी UNSC का परमानेंट मेंबर बन गया तो दुनिया के किसी भी बड़े मसले पर उसकी सहमति जरूरी होगी।
सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य देश हैं, जिनमें 5 स्थायी (P-5) और 10 अस्थायी हैं। स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं। स्थायी सदस्यों में से यदि कोई भी देश किसी फैसले से असहमत होता है तो वीटो पावर का इस्तेमाल कर उसे पास होने से रोक सकता है।
भारत UNSC में छठी परमानेंट सीट का सबसे मजबूत दावेदार
- दुनिया की 17% आबादी भारत में रहती है। 142 करोड़ जनसंख्या के साथ भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी का देश है। UNSC में इतनी बड़ी आबादी का रिप्रेजेंटेशन होना जरूरी है।
- पिछले एक दशक में भारत की औसतन सालाना विकास दर 7% से ज्यादा रही है। यह चीन के बाद किसी भी दूसरे बड़े देश की तुलना में सबसे ज्यादा है। इस आर्थिक ताकत को UNSC में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
- भारत परमाणु शक्ति संपन्न है, लेकिन वो इसका दिखावा नहीं करता। अगर भारत को सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है तो परमाणु निरस्त्रीकरण प्रोग्राम में वह अहम भूमिका निभा सकता है।
- इंटरनेशनल थिंक टैंक ‘अटलांटिक काउंसिल’ के सर्वे के मुताबिक यदि अगले एक दशक में UNSC का विस्तार होता है तो उसमें सबसे ज्यादा मौके भारत के लिए होंगे। एक्सपर्ट्स के बीच कराए गए सर्वे के अनुसार, भारत के स्थायी सदस्य बनने की संभावना 26% रहेगी।
भारत की सदस्यता में सबसे बड़ा रोड़ा चीन
UNSC के 5 परमानेंट मेंबर हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन। इनमें 4 देश भारत का समर्थन करने को तैयार हैं, लेकिन चीन नहीं चाहता कि UN की सबसे ताकतवर बॉडी पर भारत को एंट्री मिले। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कोई भी प्रस्ताव पारित करने के लिए सभी 5 स्थायी देशों का समर्थन जरूरी है।
फ्रांस, अमेरिका, रूस और ब्रिटेन अपनी सहमति जता चुके हैं, लेकिन चीन अलग-अलग बहानों से भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध करता रहा है। जबकि भारत ने UNSC में चीन के परमानेंट मेंबर बनने का समर्थन किया था।
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