‘Crash Course’ Review: 2004 यानी आज से 18 साल पहले एक बैंकर चेतन भगत नौकरी छोड़ छाड़कर फुल टाइम लेखक बनने का ख्वाब लेकर किताब लिखते हैं ‘फाइव प्वाइंट समवन- व्हाट नॉट टू डू एट आईआईटी’. किताब बहुत प्रसिद्ध हो जाती है. हज़ारों कॉपियां किताब की दुकानों में और हज़ारों कॉपियां शहर के व्यस्त चौराहों पर बिकती नज़र आती हैं. राजू हिरानी जैसे जानेमाने निर्देशक इस किताब पर आमिर खान को लेकर फिल्म भी रच लेते हैं, लेकिन फाइव प्वाइंट समवन का ज़िक्र यहां इसलिए ज़रूरी है कि इस किताब के छपने और प्रसिद्धि पाने के बाद भारत के पुस्तक जगत में एक क्रांति सी आयी.
कॉलेज और कॉलेज हॉस्टल में बसी ज़िंदगी पर अचानक ही 100 से ऊपर किताबें छपकर बाजार में आ गयी. 2019 में टीवीएफ ने कोटा फैक्ट्री नाम की वेब सीरीज रिलीज़ की और उसके बाद कॉलेज लाइफ पर बनी वेब सीरीज आने लगी जैसे हॉस्टल डेज़, कॉलेज रोमांस, गर्ल्स हॉस्टल आदि इत्यादि. कोटा फैक्ट्री बेहतरीन थी तो बाकी सब ठीक ठाक सी थीं. कोटा में आईआईटी एडमिशन तैयारी करवाने वाली कोचिंग क्लासेज की काली दुनिया को दिखाने के लिए अमेजन प्राइम वीडियो पर अब रिलीज़ हुई है एक काफी बड़ी वेब सीरीज- क्रैश कोर्स. सही उद्देश्य के साथ बनी इस वेब सीरीज की एक मात्र गलती है निर्माता-निर्देशक इस वेब सीरीज को दर्शकों की मेरिट में अव्वल नंबर दिलाना चाहते थे और इसलिए उन्होंने इसे बनाने में हर वो एंगल का इस्तेमाल किया जो उन्हें ज़रूरी लगा.
कोटा फैक्ट्री टीवीएफ से तुलना करना क्रैश कोर्स के भाग्य में है. निर्माता मनीष और निर्देशक विजय मौर्य चाहे जितना ज़ोर लगा लें, क्रैश कोर्स के लिए बेंचमार्क पहले से बना हुआ है. क्या क्रैश कोर्स दर्शकों को कोटा फैक्ट्री भुलाने की ताकत रखता है? नहीं. क्रैश कोर्स में कुछ ऐसे चैप्टर्स हैं जो कि अच्छे हैं जैसे अन्नू कपूर. बड़े दिनों बाद अन्नू कपूर को अभिनय करते देखकर लगता है कि इस शख्स को ज़्यादा काम मिल सकता है. अन्नू कपूर के लिए रतनराज जिंदल का किरदार उन्हीं के माफिक है. एक पारम्परिक व्यावसायिक परिवार से आये और हमेशा समाज में अपना नाम करने के उद्देश्य से कोचिंग के धंधे में कूड़े रतनराज की जड़ें उसके व्यवहार, आचार-विचार, और कपड़ों से बार बार सामने आ ही जाती है.
कुछ भी कर लो, लेकिन रतनराज सूट बूट पहनकर भी मां-बहन की गालियां देता नज़र आता है और अपने बारे में छपी गलत खबर के लिए अख़बार के संपादक की ऐसी तैसी कर देता है. अन्नू कपूर की अपनी सीमायें हैं लेकिन वो घृणास्पद किरदार बनने में कामयाब हुए हैं. दूसरा कामयाब चैप्टर है अनुष्का कौशिक जो पहले वेब सीरीज में छोटे छोटे किरदार निभाती रही हैं. उन्होंने अपना नाम अनुष्का शर्मा से बदल कर अनुष्का कौशिक कर लिया. टिक टॉक से अपना सफर शुरू करने वाली सहारनपुर की अनुष्का कौशिक ने विधि गुप्ता का किरदार निभाया है. पूरी सीरीज में एक ही किरदार है जिसके अभिनय में कई तरह के शेड्स देखने को मिलते हैं.
आईआईटी में टॉप 10 की रैंक लाने का सपना लेकर ये लड़की कोटा आती है और इसकी ज़िंदगी के अलग अलग पहलुओं की वजह से दर्शक इसके साथ होने वाली घटनाओं को देख कर उसके साथ साथ खुश और दुखी होते हैं. विधि गुप्ता के भाई के रोल में बिन्नी अग्रवाल (उदित अरोरा) का किरदार बहुत अच्छा लिखा गया है और उदित ने उसे निभाने में अपनी पूरी ताक़त झोंक दी है. उदित को और काम मिलना चाहिए. उनका किरदार और अभिनय जामतारा में भी अच्छा था.
कोटा की एडमिशन फैक्ट्री और कोचिंग क्लासेज मशरुम के बारे में हम सब जानते हैं. कोचिंग क्लास का कल्चर, कोटा के हर घर को हॉस्टल में बदलते देखना, एक कोचिंग क्लास का दूसरे कोचिंग क्लास के होनहार बच्चों को मुफ्त पढाई के अलावा कई तरह के लालच देकर अपने साथ मिलाना, अच्छे टीचर्स पर लाखों रुपये खर्च करना, दूसरी क्लासेज को ख़त्म करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाना. ये सब और इसके अलावा भी बहुत कुछ जो कोटा में होता आया है, उसके बारे में अख़बारों में कम से कम दस साल से छाप रहा है. परिस्थितियां बदलती नहीं हैं. हर साल पूरे देश से लाखों स्टूडेंट्स कोटा स्टेशन पर उतरते हैं, जिसमें से करीब करीब 95% स्टूडेंट्स आईआईटी के अपने सपने को टूटते हुए और अपने परिवार को उसका दंश झेलते हुए देखते हैं.
पहले कोचिंग क्लासेज अच्छे टीचर्स चलाते थे जो बच्चों को सचमुच मदद करना चाहते थे. अब कोचिंग क्लासेज चलाने के लिए बिजनेसमैन हाज़िर हैं, साथ है प्रोफेशनल्स की एक पूरी टोली जो हर काम को एक कॉर्पोरेट तरीके से करती है, यहां तक की पढाई में अव्वल आने वालों की मार्केटिंग भी ढोल-ताशे-रैली के साथ करने में लग जाती है. पढाई का सहनीय दबाव, कम से कम समय में ज़्यादा से ज़्यादा विषयों का ज्ञान हासिल करो ताकि परीक्षा में उतार पुस्तिकाएं भर सको. कभी परीक्षा में पास न हो सको या अपने गंतव्य तक न पहुंच सको, तो या तो नशा करने लगो या फिर आत्महत्या कर लो. इतना सिंपल सा गणित है कोटा का.
क्रैश कोर्स बहुत सारी चीज़ें करना चाहता है. दो कोचिंग क्लासेज की राइवलरी भी दिखाना चाहता है और इसमें से एक क्लास एक क्वालिफाइड टीचर की है और दूसरी एक बिजनेसमैन की, ये भी दिखाना चाहता है. टीनएज रोमांस भी है, सेक्स भी है, प्रेगनेंसी भी है, इललीगल एबॉर्शन भी है. पढाई का स्ट्रेस भी है, माता पिता की अभिलाषा भी, माता पिता का अनचाहा प्रेशर भी है, माता पिता का स्नेह भी है. लोकल मवालियों की एक गैंग भी है, थोड़ी मार पीट भी है. ड्रग्स भी हैं, ड्रग्स बेचने वाली लड़की से एक तरफ़ा इश्क़ भी है. रातों को हॉस्टल से गायब हो कर कोटा की सड़कें नापना भी है, कैफ़े में बैठ कर अपनी दोस्त से पढ़ना और पार्ट टाइम प्यार करना भी है. मनीष हरिप्रसाद और रैना रॉय ने एक भी ऐसी बात नहीं छोड़ी है जो कि कोटा पर बानी किसी भी वेब सीरीज में होनी ही चाहिए.
इस मामले में निर्देशक विजय मौर्य को समस्या नहीं आयी होगी क्योंकि एक कमर्शियल वेब सीरीज के हर तत्व को इसमें शामिल किया है. वैसे भी ये हफ्ता विजय का है. ज़ी 5 के रंगबाज़ में बतौर अभिनेता नज़र आये. नेटफ्लिक्स पर डार्लिंग्स में पुलिस इंस्पेक्टर बने. और अब क्रैश कोर्स के ज़रिये वेब सीरीज निर्देशन में कूद पड़े हैं. विजय मूलतः एडवरटाइजिंग फिल्म बनाते हैं. एक फिल्म भी बनायीं थी “फोटोकॉपी”. एडवरटाइजिंग एक शॉर्ट फॉर्म है. 30 सेकंड की कहानी है. वेब सीरीज का विस्तार सागर जितना होता है इसलिए वेब सीरीज निर्देशक और लेखक को कहानी की मूल आत्मा को ध्यान में रखना ज़रूरी है. क्रैश कोर्स में कोई एक प्लॉट नहीं है जिस के इर्द गिर्द और सभी प्लॉट रचे गए हों.
क्रैश कोर्स एक भेलपुरी बन के रह जाती अगर इसमें जो युवा अभिनेता हैं उन्होंने अच्छा काम नहीं किया होता और पीकू वाले चंद्रशेखर प्रजापति ने एडिटिंग में कमाल नहीं किया होता. बहुत सा समय हो और कोटा फैक्ट्री नहीं देखी हो तो क्रैश कोर्स देख कर शुरुआत कीजिये. वेब सीरीज ठीक ठाक है.
डिटेल्ड रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
संगीत | : |
एवी प्रफुलचन्द्र/5 |
.
Tags: Review, Web Series
FIRST PUBLISHED : August 8, 2022, 18:26 IST
{*Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.}
Source by [author_name]