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नॉर्थ कोरिया ने रूस के साथ एक रक्षा समझौते की पुष्टि की है। इस समझौते के बाद दोनों देश एक-दूसरे को सैन्य मदद मुहैया करवाएंगे। इस साल जून में नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में दोनों देश के बीच हुए शिखर सम्मेलन इस समझौते पर सहमति बनी थी।
रूस की न्यूज एजेंसी TASS के अनुसार 9 नवंबर को पुतिन ने इस पर हस्ताक्षर किए। रूस की संसद ने भी इसे मंजूरी दे दी है। जिससे अब यह समझौता कानून बन गया है। इसके बाद 11 नवंबर को नॉर्थ कोरिया ने भी इस समझौते की पुष्टि कर दी।
यह कोल्ड वॉर के बाद दोनों देशों के बीच होने वाला सबसे बड़ा समझौता है। इसके मुताबिक अगर दोनों में से किसी देश पर हमला होता है, तो एक-दूसरे को सैन्य मदद दी जाएगी। इसके बाद से रूस-यूक्रेन युद्ध में नॉर्थ कोरिया के शामिल होने के आसार बढ़ गए हैं।
नॉर्थ कोरिया ने 12000 सैनिकों को युद्ध में भेजा
अमेरिका, दक्षिण कोरिया और यूक्रेन की खुफिया एजेंसियों का कहना है कि नॉर्थ कोरिया ने 12000 सैनिकों को यूक्रेन के खिलाफ रूस की मदद करने के लिए भेजा है। यह फैसला प्योंगयांग में हुए शिखर सम्मेलन के बाद ही लिया गया था।
यूक्रेनी सैनिकों की रूस के कुर्स्क इलाके में नॉर्थ कोरियाई सैनिकों के साथ छोटे स्तर पर लड़ाई भी हुई थी। पिछले हफ्ते यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी कहा था कि नॉर्थ कोरिया के सैनिक रूस के साथ जंग में शामिल हैं, जिनसे यूक्रेनी सैनिकों की झड़प हुई है।
इसके अलावा 2023 के बाद नॉर्थ कोरिया ने रूस को 13 हजार हथियारों के कंटेनर भी दिए है। जिनका इस्तेमाल रूस यूक्रेन के खिलाफ कर रहा है।
समझौते को लेकर दुनिया की चिंता बढ़ी
नॉर्थ कोरिया की कोरियन पीपुल्स आर्मी दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक है, जिसमें 13 लाख से ज्यादा एक्टिव जवान हैं। अगर नॉर्थ कोरिया यूक्रेन के खिलाफ जंग में शामिल होता है तो 1950-53 के कोरियाई युद्ध के बाद ये पहला मौका होगा जब नॉर्थ कोरिया किसी दूसरे देश के साथ जंग करेगा।
टाइम मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक रूस और नॉर्थ कोरिया के बीच हुए समझौते को लेकर अमेरिका और दक्षिण कोरिया की चिंताएं बढ़ गई हैं। दोनों देश इस बात को लेकर चिंतित है कि नॉर्थ कोरिया से मिलने वाली सैन्य मदद के बदले में रूस उसे क्या देगा।
अमेरिकी एजेंसियों को डर है कि रूस एडवांस तकनीक देकर नॉर्थ कोरिया की परमाणु हथियारों के विकास में मदद कर सकता है।
फरवरी 2022 में यूक्रेन जंग की शुरुआत के बाद से ही रूस, नॉर्थ कोरिया के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश में लगा हुआ था
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दावा- तानाशाह किम जोंग ने 30 अधिकारियों को सजा-ए-मौत दी:नॉर्थ कोरिया में बाढ़ से निपटने में नाकाम रहे; 1 हजार लोग मारे गए थे
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