48 मिनट पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र
- कॉपी लिंक
फिल्म मेकिंग के हर डिपार्टमेंट में प्रोड्यूसर की भागीदारी होती है। प्रोड्यूसर के लिए सबसे मुश्किल काम लोगों को हैंडल करना और फंड इकट्ठा करना होता है। किस तरह से कहानी का चयन करके प्रोड्यूसर फिल्म का निर्माण करता है। फिल्म की शूटिंग से रिलीज तक किस तरह की चुनौतियां आती हैं। इस हफ्ते के रील टु रियल के इस एपिसोड में जानेंगे।
फिल्म मेकिंग के पूरी प्रोसेस को समझने के लिए हमने फिल्ममेकर विवेक शर्मा और सुनील दर्शन से बात की।
फिल्म के मुखिया होते हैं प्रोड्यूसर
किसी भी फिल्म की पूरी जिम्मेदारी प्रोड्यूसर के ऊपर ही होती है। प्रोड्यूसर का काम सिर्फ फंडिंग तक ही नहीं होता है। बल्कि फिल्म मेकिंग के हर डिपार्टमेंट में प्रोड्यूसर की भागीदारी होती है।
फिल्म के लिए एक्टर को कास्ट करने की जिम्मेदारी डायरेक्टर और प्रोड्यूसर दोनों पर
फिल्म के लिए एक्टर की कास्टिंग डायरेक्टर और प्रोड्यूसर दोनों करते हैं। हालांकि आमतौर पर एक्टर और प्रोड्यूसर के बीच कॉन्ट्रैक्ट होता है। कॉन्ट्रैक्ट में यह मेंशन होता है कि डबिंग से पहले उनकी लगभग पेमेंट कर दीजाएगी। लेकिन 20 परसेंट रोक दी जाती है, ताकि वे प्रमोशनल इवेंट में जरूर शामिल हों। बाकी क्रू वगरैह का भी पेमेंट प्रोड्यूसर ही मैनेज करते हैं।
फिल्म की अधिक कमाई का हिस्सा प्रोड्यूसर को मिलता है
जब फिल्में एग्रीमेंट में तय कीमत से ज्यादा की कमाई कर लेती हैं, तो उस कमाई को ओवर फ्लो कहते हैं। जैसे कि फिल्म RRR ने रिलीज के पहले ही करीब 500 करोड़ की कमाई की थी और फिल्म का कुल कलेक्शन करीब 1100 करोड़ का था। इस ओवर फ्लो की कमाई का कुछ हिस्सा डिस्ट्रीब्यूटर के अलावा फिल्म प्रोड्यूसर को भी जाता है। कितने प्रतिशत की हिस्सेदारी प्रोड्यूसर की होगी, ये एग्रीमेंट में पहले से ही लिखा होता है।
फिल्मों की कमाई में प्रोड्यूसर की हिस्सेदारी कैसे होती है?
प्रोड्यूसर जब डिस्ट्रीब्यूटर को फिल्म बेचता है तो उसका 50% का मालिकाना हक होता है। अगर इन्वेस्टर ने फिल्म में 20 करोड़ लगाए हैं तो पहले उनको 20 करोड़ वापस करेंगे। उसके बाद नेट प्रॉफिट में से 50% अपने इन्वेस्टर को देता है।
फिल्मों के अलग-अलग राइट्स से भी प्रोड्यूसर कमाते हैं पैसें
आजकल फिल्मों के बहुत सारे राइट्स होते हैं। फिल्में रीजनल भाषाओं में डब की जाती हैं। फिल्मों के रीमेक राइट्स, कॉपी राइट्स, डिजिटल राइट्स भी होते हैं। आम तौर पर प्रोड्यूसर को थिएटर, ओटीटी ( डिजिटल राइट्स ) और सेटेलाइट राइट्स से कमाई होती है। प्रोड्यूसर डबिंग राइट्स भेजता है। 7-8 घंटे चलने वाली फ्लाइट्स में जो फिल्में दिखाई जाती हैं, उसके अलग से राइट्स होते हैं। इस तरह से 30-35 राइट्स होते हैं, जिससे प्रोड्यूसर पूरी जिंदगी प्रॉफिट कमाता है।
हालांकि बहुत सारी बातें आपसी सहमति पर निर्भर करती हैं। मान लीजिए कोई फिल्म बड़ी हिट हो गई तो प्रोड्यूसर तय करता है कि उसे कितना प्रॉफिट मिलना चाहिए। डिस्ट्रीब्यूटर और थिएटर मालिक के बीच इतनी स्ट्रॉन्ग बॉन्डिंग होती है कि वो लोग प्रोड्यूसर से प्रॉफिट में कम हिस्सा कराने की कोशिश करते हैं।
प्रोड्यूसर के साथ डिस्ट्रीब्यूटर को भी नुकसान होता है
अगर फिल्म फ्लॉप हो गई तो प्रोड्यूसर को बहुत नुकसान होता है। इन्वेस्टर के पैसे वापस करने में घर ऑफिस भी बिक जाते हैं। कई बार डिस्ट्रीब्यूटर का भी बहुत नुकसान होता है। डिस्ट्रीब्यूटर कभी ज्यादा प्राइज में फिल्म खरीद लेता है। जिसकी रिकवरी नहीं होती है। थिएटर मालिक को भी नुकसान होता है। कई बार ऐसा होता है कि फिल्म नहीं चली तो थिएटर के AC का भी भाड़ा नहीं निकलता है।
एग्रीमेंट पर कभी भी फिक्स अमाउंट नहीं होता है
परसेंटेज के हिसाब से एग्रीमेंट होता है। उसी हिसाब से डिस्ट्रीब्यूटर, प्रोड्यूसर को प्रॉफिट देता है। फिल्म की प्रॉफिट में इन्वेस्टर, प्रोड्यूसर और डिस्ट्रीब्यूटर का कॉम्बिनेशन होता है। मान लीजिए किसी इन्वेस्टर ने फिल्म में 100 करोड़ रुपए लगाए हैं तो प्रोड्यूसर पहले इन्वेस्टर को कैपिटल अमाउंट वापस करेगा। डिस्ट्रीब्यूटर अपनी प्रॉफिट से जो परसेंटेज प्रोड्यूसर को भेजेगा। उसी में से प्रोड्यूसर इन्वेस्टर को प्रॉफिट शेयर करेगा।
आज के दौर में प्रोड्यूसर की हालत सबसे ज्यादा खराब
विवेक शर्मा ने बताया कि आज के दौर में प्रोड्यूसर बनना बहुत मुश्किल काम है। पहले प्रोड्यूसर के लिए फंडिंग इक्ट्ठा करना आसान होता था। एक्टर्स की फीस भी बहुत ज्यादा नहीं होती। लेकिन आज के दौर में एक्टर्स की फीस ही बहुत ज्यादा होती है। दूसरा, एक्टर्स अपनी डिमांड भी प्रोड्यूसर्स पर थोपते हैं। पहले प्रोडक्शन के काम में एक्टर्स या किसी दूसरे की दखलअंदाजी नहीं होती थी। हालांकि अब सब कुछ इसके विपरीत है।
साउथ में प्रोड्यूसर एक्टर को बैन कर देते हैं
हालांकि हैदराबाद में प्रोड्यूसर आपस में मिलते हैं और एक दूसरे से अपने अनुभव शेयर करते हैं। उनकी प्रोड्यूसर लॉबी बहुत ही स्ट्रॉन्ग है। अगर कोई एक्टर या एक्ट्रेस किसी प्रोड्यूसर को परेशान करते हैं तो उन्हें बैन कर दिया जाता है। इसलिए वहां के एक्टर प्रोड्यूसर के कंट्रोल में हैं।
स्टार्स का अब फिल्मों की प्रॉफिट मांगना गलत
विवेक कहते हैं कि आज कल स्टार्स फिल्मों की प्रॉफिट में हिस्सा मांगने लगे हैं। यह बहुत ही गलत चलन है। अगर स्टार्स प्रॉफिट में शेयर मांग रहे हैं तो उन्हें नुकसान भी सहना चाहिए। फिल्म का मालिक प्रोड्यूसर होता है, स्टार नहीं। स्टार कहानी का एक प्रवक्ता होता है।
शाहरुख ने डिस्ट्रीब्यूटर से नहीं लिए 25 लाख
शाहरुख खान की फिल्म ‘फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी’ नहीं चली थी। मुंबई में इस फिल्म को यशराज ने डिस्ट्रीब्यूट किया था। यहां फिल्म को सिर्फ 3 लाख प्रॉफिट हुआ था, लेकिन बाकी सेंटर पर फिल्म नहीं चली थी। राजस्थान के डिस्ट्रीब्यूटर राज बंसल ने फिल्म को 25 लाख में लिया था, लेकिन उनको नुकसान हुआ।
शाहरुख खान को जब यह बात पता चली तो उन्होंने डिस्ट्रीब्यूटर से 25 लाख नहीं लिए। राज बंसल को लगा कि शाहरुख नाराज हो गए। इसलिए पैसे नहीं लिए। शाहरुख ने उन्हें समझाया कि आप हमारी फैमिली मेंबर की तरह हैं। आप का नुकसान नहीं होना चाहिए, मैं अगली फिल्म में मैनेज कर लूंगा। उसके बाद शाहरुख खान ने फिल्म ‘मैं हूं ना’ में 25 लाख बढ़ाकर लिए थे। उस फिल्म से डिस्ट्रीब्यूटर ने अच्छा कमाया था।
पहले प्रोड्यूसर का बहुत सम्मान होता था
फिल्ममेकर सुनील दर्शन ने कहा- पहले प्रोड्यूसर का बहुत सम्मान होता था। प्रोड्यूसर का मतलब सिर्फ यह नहीं होता था कि वो फिल्मों के लिए फंड इकट्ठा कर रहा है। प्रोड्यूसर फिल्ममेकिंग की हर विधा में इनवाल्व होता था। अब कॉरपोरेट कंपनियों के आने से काफी बदलाव हो गया है। अब तो सब कुछ स्टार्स तय करने लगे हैं।
_____________________________________________________
बॉलीवुड से जुड़ी ये स्टोरी भी पढ़ें..
पिता के निधन के बाद तंगी छाई:कभी 35 रुपए थी कमाई, एक्ट्रेस के कपड़े प्रेस किए; आज रोहित शेट्टी ने दी कई हिट फिल्में
‘छोटा ही था कि तभी पिता का साया सिर से उठ गया। घर की हालत से वाकिफ था। इस वजह से परिवार की जिम्मेदारियां खुद के कंधों पर ले लीं। दिन-रात मेहनत की। एक दिन में 3-3 शिफ्ट की, ताकि काम की कमी न रहे। लोगों को लगता है कि मैंने स्ट्रगल नहीं किया है। पूरी खबर पढ़ें..
{*Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.}
Source by [author_name]