वाशिंगटनकुछ ही क्षण पहले
- कॉपी लिंक
महिलाओं का कहना है कि अगर पुरुष उनकी स्वतंत्रता का सम्मान नहीं करेंगे तो वह उनके साथ किसी भी तरह के संबंध में नहीं आएंगी।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत के बाद महिलाओं ने अबॉर्शन राइट के लिए आंदोलन शुरू कर दिया है।
महिलाओं के एक वर्ग ने कोरिया जैसा 4B आंदोलन शुरू किया है। उनका कहना है कि अधिकार मिलने तक न तो पुरुषों से संबंध बनाएंगे, न ही उनसे शादी करेंगे।
दरअसल, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में अबॉर्शन राइट्स खत्म कर दिया था। तब डोनाल्ड ट्रम्प ने इस फैसले का समर्थन किया था। ट्रम्प की जीत के बाद महिलाओं में इस बात का डर है कि उनकी सत्ता में वापसी से अबॉर्शन से जुड़े कानून और सख्त कर दिए जाएंगे।
महिलाओं का मानना है कि रिपब्लिकन्स अबॉर्शन तक उनकी पहुंच को और कठिन कर देंगे।
अब जानिए कोरियाई आंदोलन 4बी क्या है?
साउथ कोरिया में 2016 में 4बी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। यह #MeToo जैसा ही मूवमेंट था, जिसमें महिलाओं के लिए समानता और अधिकारों की बात कही गई थी। साउथ कोरिया से निकल कर यह आंदोलन एशिया और अब अमेरिका तक पहुंच गया है। आंदोलन के दौरान विरोध के रूप में महिलाओं ने चार चीजों के लिए मना करना शुरू किया।
महिलाएं विरोध में सिर मुड़वा रहीं
4बी आंदोलन से जुड़े पोस्ट्स पर एक्स में 10 लाख से भी ज्यादा इंगेजमेंट्स आ चुके हैं। जबकि इनकी पहुंच 4 करोड़ से भी ज्यादा अकाउन्ट्स तक हो चुकी है। कुछ पोस्ट में महिलाओं ने अपना सिर मुड़वाते हुए वीडियो पोस्ट किए हैं। ऐसा करने वाली महिलाओं का कहना है कि वह पितृ सत्तात्मक समाज द्वारा तय किए गए ब्यूटी के पैमानों को नहीं मानेंगी।
आम तौर पर लंबे बाल और मेकअप को महिलाओं की सुन्दरता से जोड़ा जाता है। मगर विरोध कर रही महिलाओं का कहना है कि वह ना तो लंबे बाल रखेंगी और ना ही मेकअप करेंगी।
ऐसे वीडियो पोस्ट करते हुए महिलाएं 4बी आंदोलन का समर्थन कर रही हैं।
महिलाओं का मानना, ट्रम्प उनके अधिकारों के खिलाफ
अपने चुनाव प्रचार के दौरान डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस ने अबॉर्शन को एक प्रमुख मुद्दा बनाया था। जबकि ट्रम्प ने कहा था कि 2022 में अबॉर्शन राइट्स के खिलाफ आये फैसले में उनके द्वारा नियुक्त किए गए तीन जजों की प्रमुख भूमिका थी।
CNN के एग्जिट पोल के अनुसार ट्रम्प को महिलाओं के 46% वोट मिले थे। जबकि 54% महिलाओं ने हैरिस को वोट दिया था। वहीं 56.5% पुरुषों ने ट्रम्प को वोट किया था। जबकि हैरिस को केवल 43.5% पुरुषों ने ही वोट दिया था।
युवा महिलाओं ने सोशल मीडिया पर इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि पुरुषों ने एक ऐसे उम्मीदवार का समर्थन किया जो उनके शरीर पर खुद के अधिकार का सम्मान नहीं करता।
2022 में कोर्ट के फैसले के खिलाफ पूरे अमेरिका में महिलाओं ने प्रदर्शन किए थे।
ट्रम्प के कार्यकाल में अबॉर्शन पर बैन लगा था
अमेरिका में 1880 तक अबॉर्शन करवाना आसान और कानूनी था। हालांकि 1873 में अमेरिकी कांग्रेस में कॉमस्टॉक लॉ पास करके अबॉर्शन की दवाओं पर बैन लगा दिया गया था। 1900 तक लगभग सभी राज्यों में अबॉर्शन बैन कर दिया गया था।
अबॉर्शन तभी किया जा सकता था, जब प्रग्नेंसी से मां की जान को खतरा हो। 1960 के दशक में महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए आंदोलन शुरू किया। 1969 में नोर्मा मैककॉर्वी ने गर्भपात के कानून को चुनौती दी थी। मामला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उन्हें जीत मिली। 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिका में अबॉर्शन को लीगल कर दिया था।
लेकिन 24 जून 2022 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया। इसके बाद महिलाओं को अबॉर्शन के लिए मिली संवैधानिक सुरक्षा भी खत्म हो गई।
…………………………………………………….
अमेरिका से जुड़ी हुई ये खबरें भी पढ़ें –
ट्रम्प की एरिजोना समेत सभी 7 स्विंग स्टेट्स में जीत:पूरे नतीजे आए, 312 सीटें मिलीं; बुधवार को डोनाल्ड व्हाइट हाउस में बाइडेन से मिलेंगे
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के सभी नतीजे सामने आ गए हैं। डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को अमेरिकी राज्य एरिजोना में भी जीत हासिल कर ली। इसके साथ ही उन्होंने सभी 7 स्विंग स्टेट्स में जीत लिए हैं। एरिजोना की 11 सीटें (इलेक्टोरल वोट) भी उनके खाते में आ गई हैं। राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी ने 50 राज्यों की 538 में से 312 सीटें जीती हैं….पूरी खबर यहां पढ़ें
अमेरिका में अबॉर्शन पर फिर हंगामा:ट्रम्प के नियुक्त किए जज ने गर्भनिरोधक दवा पर रोक लगाई, दूसरे जज ने हटाई, आगे क्या होगा?
अमेरिका के टेक्सास राज्य के एक जज ने लगभग 2 साल पहले गर्भ निरोधक दवा माइफप्रिस्टोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने का फैसला सुनाया था। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक जिस जज मैथ्यू कासमारिक ने ये फैसला सुनाया था उसे डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में नियुक्त किया था। इस फैसले से अमेरिका के जिन राज्यों में गर्भपात पर पाबंदी नहीं लगी थी, वहां की महिलाओं के लिए भी अबॉर्शन में कठिनाई बढ़ने की आशंका जताई गई थी। हालांकि वाशिंगटन में एक जज ने एक घंटे में ही यह फैसला पटल दिया था…पूरी खबर यहां पढ़िए
Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.
Source link