3 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
तारीख- 18 अक्टूबर 2011
इजराइल ने अपने एक सैनिक गिलाद शालित को छुड़ाने के लिए 1027 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया था। इसमें कैदी नंबर 955266978 था। जो 2 इजराइली सैनिकों की हत्या के आरोप में 1988 से कैद में था। इजराइल इस कैदी की रिहाई को अपनी सबसे बड़ी गलती मानता था।
ये कैदी कोई और नहीं बल्कि हमास का सबसे बड़ा लीडर याह्या सिनवार था। रिहाई के बाद से ही इजराइल ने सिनवार की तलाश फिर शुरू कर दी थी। जो 16 अक्टूबर 2024 को अचानक से खत्म हुई। ये सब एक चांस एंकाउंटर की वजह से हुआ।
चांस एंकाउंटर क्या है, इजराइल ने सिनवार को कैसे ढूंढा और मारा, इजराइल के रूटीन ऑपरेशन की पूरी कहानी…
तारीख- 16 अक्टूबर जगह- दक्षिणी गाजा का शहर राफा इजराइल डिफेंस फोर्स (IDF) की डिवीजन 162 और 828 बिस्लामाक ब्रिगेड राफा के ताल अल-सुल्तान इलाके में गश्त कर रही थी। इस दौरान इजराइली सैनिक को एक संदिग्ध व्यक्ति इमारत में घुसता दिखा। सैनिक ने अपने कमांडर को सूचना दी जिसके बाद इमारत को घेरकर वहां गोलियां चलाने का आदेश दिया गया। कुछ देर बाद उन्होंने ड्रोन के जरिए देखा कि तीन लोग उस इमारत से दूसरी दूसरी इमारत में जाने की कोशिश कर रहे थे। दो व्यक्ति खुद को कंबल से ढंके हुए आगे चल रहे थे, जबकि तीसरा व्यक्ति पीछे था।
इजराइली सेना ने फिर से उन तीनों पर गोलियां चलाईं जिससे वे अलग हो गए। दो लोग एक इमारत में चले गए वहीं, तीसरा एक दूसरी इमारत में घुस गया। इजराइली सेना उसे घेर लिया।
जैसे ही सैनिक इमारत के पास पहुंचे, उनके ऊपर अंदर से ग्रेनेड फेंके गए। इसके बाद सैनिक पीछे हट गए। उन्होंने इमारत के अंदर ड्रोन भेजा। ड्रोन को इमारत के अंदर सोफे पर बैठा एक घायल व्यक्ति दिखा। स्कार्फ से उसका चेहरा ढका हुआ था।
जब ड्रोन उसके करीब पहुंचा तो उसने छड़ी को फेंककर ड्रोन को गिराने की कोशिश की। इसके बाद इजराइली सेना ने टैंक से इमारत पर हमला किया और वे लौट गए। उन्हें पता भी नहीं था कि उन्होंने जिस शख्स को मारा है वह कौन है।
अगले दिन गुरुवार सुबह इजराइली सैनिक घटनास्थल पर वापस लौटे। सफाई के दौरान उन्हें एक शव मिला जो सिनवार से काफी मिलता जुलता था। किसी को यकीन नहीं था कि जिस सिनवार को इजराइल इतने सालों से ढूंढ़ रहा है वो इतनी आसानी से मिल जाएगा।
इसी साल 23 सितंबर को भी इजराइली सेना ने सिनवार को मारने का दावा किया था। हालांकि, कुछ ही दिन बाद उसके जिंदा होने की खबर मिली थी। इसके चलते इजराइल ने एकदम से उसकी मौत की पु्ष्टि नहीं की।
सैनिकों ने पहले शव को सिनवार के चेहरे से मिलाने की कोशिश की। दोनों के चेहरे, दांत और हाथ में घड़ी को मिलाकर देखा। इसके बाद भी पूरी तरह से कंफर्म होने के लिए उन्हें शव की उंगलियां काट कर फिंगर प्रिंट और DNA टेस्ट करने के लिए इजराइल भेजा गया।
17 अक्टूबर को वापस लौटने के बाद सिनवार की पहचान करते हुए इजराइली सैनिक
सैनिकों ने शुरुआत में शव को नहीं हटाया, उन्हें इस बात का डर था कि वहां कोई विस्फोटक हो सकता है। गुरुवार (17 अक्टूबर) देर शाम को जानकारी मिली कि इमारत में मरा पड़ा शख्स हमास के चीफ याह्या सिनवार ही है।
इससे पहले जब भी सिनवार को देखा गया था वह अपने साथ बंधकों को ढाल बनाकर चलता हुआ दिखा था। लेकिन इस बार उसके साथ कोई बंधक नहीं था। ऐसा माना जा रहा है कि वह चुपचाप किसी की नजर आए बिना राफा से उत्तरी इलाके में जाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन ये उसकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई। जिस तरह से सिनवार मारा गया उसे चांस एनकाउंटर कहा जाता है।
क्या है चांस एनकाउंटर जिसने सिनवार की जान ली…. चांस एनकाउंटर एक ऐसी मुलाकात जिसकी आप उम्मीद ना कर रहे हो, उसे चांस एनकाउंटर कहा जाता है। चांस एनकाउंचर के कई और उदाहरण है, जिन्होंने नई कहानियां लिखी। ऐसा ही एक किस्सा है, एप्पल के को-फाउंडर्स स्टीव जॉब्स और स्टीव वोजनिएक की अचानक मुलाकात। दरअसल, जॉब्स और वोजनिएक की मुलाकात 1970 में एक दोस्त बिल फर्नान्डेज ने करवाई थी। इसके बाद वे दोनों दोस्त बन गए और एप्पल कंपनी की शुरूआत की।
अब कौन संभालेगा हमास की कमान सिनवार से पहले इजराइली सेना ने 31 जुलाई को हमास के पूर्व चीफ इस्माइल हानियेह और 13 जुलाई को हमास के मिलिट्री चीफ मोहम्मद दाइफ को मार दिया था। इजराइली सेना ने पिछले 78 दिनों में इन तीनों नेताओं को मार दिया है।
ऐसे में अब हमास में उनकी जगह लेने वाले नए लीडर की चर्चा शुरू हो गई है। सिनवार की मौत के बाद कुछ ऐसे लोग हैं जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे उसकी जगह ले सकते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक हमास के अगले चीफ बनने के लिए 4 दावेदार हैं।
1. खालिद मेशाल- हानियेह से पहले 21 सालों तक हमास चीफ रहा सिनवार की मौत के बाद उसकी जगह लेने वाले में खालिद मेशाल का दावा बेहद मजबूत माना जा रहा है। मेशाल का जन्म 28 मई 1956 को वेस्ट बैंक में रामल्लाह के करीब सिलवाड में हुआ था। वह 15 साल की उम्र में ही मिस्र के सुन्नी संगठन ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ में शामिल हो गया था।
साल 1987 में जब हमास का गठन हुआ तो उसमें मेशाल भी शामिल था। वह 1996 में हमास का पॉलिटिकल चीफ बना और 2017 तक इस पद पर रहा। इसके बाद हानियेह ने उसकी जगह ली। मेशाल भी हानियेह की तरह दोहा में रहता है। 2004 से 2012 के बीच वह सीरिया में रहकर काम करता था, लेकिन इसी दौरान सीरिया में गृहयुद्ध शुरू हो गया।
सीरिया में सुन्नी आबादी ज्यादा है, जबकि वहां के शासक बशर अल-असद शिया हैं। हमास एक सुन्नी संगठन है। ऐसे में मेशाल ने सीरिया में सुन्नी गुट का समर्थन किया। इससे राष्ट्रपति बशर अल-असद नाराज हो गए। मेशाल को सीरिया छोड़ना पड़ा। इसके बाद से ही मेशाल के सीरिया और ईरान के साथ बुरे संबंध चल रहे हैं।
खालिद मेशाल 2017 तक हमास का पॉलिटिकल चीफ था।
इजराइल ने जहर दिया फिर खुद ही बचाया, नाम पड़ा- जिंदा शहीद दुनिया को पहली बार 1997 में मेशाल की ताकत का अंदाजा हुआ। दरअसल मेशाल जॉर्डन में ठहरा हुआ था। इस दौरान उसे जहर दे दिया गया। जहर देने वाले मोसाद के एजेंट थे। भागते वक्त उन्हें पकड़ लिया गया था तभी पता चला इस घटना में इजराइल का हाथ है।
उधर मेशाल को अस्पताल ले जाया गया। उसकी सांसे धीमी हो रही थीं। डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द जहर का एंटीडोट नहीं मिला तो मेशाल की जान नहीं बच पाएगी।
इसके बाद जॉर्डन किंग हुसैन ने इजराइल को धमकी दी कि अगर आधी रात से पहले उस जहर का एंटीडोट नहीं भेजा गया तो वह इजराइल के साथ हुआ शांति समझौता तोड़ देंगे। इतना ही नहीं, जहर देने वाले मोसाद के एजेंट्स को फांसी पर लटका देंगे।
पहले तो इजराइल ने इस मामले में अपना हाथ होने से ही इनकार कर दिया, लेकिन जब अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने खुद नेतन्याहू को समझाया तो उन्हें मजबूर होकर एंटिडोट भिजवाना पड़ा। मेशाल जिंदा बच गया।
बाद में नेतन्याहू जॉर्डन भी गए और वहां पर किंग से माफी भी मांगी। ये पहली बार हुआ था कि इजराइल ने अपने किसी दुश्मन को मरने से बचाया। तब से उसका नाम ‘जिंदा शहीद’ पड़ गया।
विदेश नीति का बड़ा चेहरा है मेशाल मेशाल, हमास की विदेश नीति का बड़ा चेहरा है। उसे करिश्माई शख्सियत का बताया जाता है। वह डिप्लोमेसी में माहिर है। हमास के कई बड़े नेताओं पर यात्रा से जुड़े प्रतिबंध लगे हुए हैं, मगर मेशाल इससे अछूता है।
खालिद मशाल को लेकर भारत में भी विवाद हो चुका है। उसने पिछले साल अक्टूबर में फिलिस्तीनियों के समर्थन में आयोजित ऑनलाइन रैली को संबोधित किया था। ऑनलाइन रैली में हमास के एक बड़े नेता के शामिल होने से केरल BJP चीफ के सुरेंद्रन नाराज हो गए थे। उन्होंने आयोजकों पर कानूनी एक्शन लेने की मांग की थी।
मेशाल को याह्या सिनवार के ठीक उलट शख्सियत का माना जाता है। यही वजह है कि उसकी सिनवार से नहीं बनती। ईरान का भी मेशाल को समर्थन नहीं है, बावजूद वह हमास का चीफ बनने के के लिए सबसे काबिल माना जा रहा है।
2. जेहर जबरीन- फंडिग का जुगाड़ करता है, नाम पड़ा हमास CEO जबरीन का जन्म 1968 में वेस्ट बैंक में हुआ था। वह 1987 में हमास से जुड़ा। जबरीन फिलिस्तीन और इजराइल के बीच कैदियों की अदला-बदली में बड़ी भूमिका निभाता आया है। वह हानियेह के डिप्टी के तौर पर काम कर रहा था।
वह हमास की फंडिंग का काम भी देखता है, इसलिए उसे अक्सर हमास का CEO भी बुलाया जाता है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक इजराइल सहित पश्चिमी देशों ने हमास पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं।
इसके बावजूद वह हर साल हर साल करोड़ों डॉलर्स की फंडिंग जुटा लेता है। ये मामूली बात नहीं है।
जबरीन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि हमास की अल कासिम से उसका कोई रिश्ता नहीं है।
सिनवार की तरह इजराइली कब्जे से रिहा हुआ द डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक हमास के पास 500 मिलियन डॉलर्स से अधिक रकम है। इस पैसे का क्या और कैसे इस्तेमाल होना है ये जबरीन ही तय करता है। हमास में आर्थिक विभाग का सर्वेसर्वा होने की वजह से उसे बेहद खास रुतबा हासिल है। यही वजह है कि अमेरिका ने 2019 में उस पर प्रतिबंध लगा दिया था।
जबरीन का तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन से भी अच्छा रिश्ता है। इसके अलावा हिजबुल्लाह और ईरान से भी उसका अच्छा संबंध है। जबरीन को 1996 में एक इजराइली सैनिक की हत्या के बाद गिरफ्तार किया गया था। 15 साल तक वह जेल में रहा।
साल 2011 में इजराइली सैनिक के बदले हुई कैदियों की अदला-बदली में वह भी सिनवार के साथ रिहा हुआ था। एक इंटरव्यू में जबरीन ने कहा था कि वह हमास के पॉलिटिकल विंग से जुड़ा है। अल कासिम से उसका कोई संबंध नहीं है।
उसने आगे कहा कि इजराइल सेब और संतरे को मिलाने की कोशिश करता है लेकिन दोनों अलग हैं, एक नहीं हो सकते। अल कासिम और हमास दोनों का कोई रिश्ता नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सिनवार और मेशाल बड़े दावेदार हैं मगर उनके संबंध अच्छे नहीं हैं। दोनों एक दूसरे के नाम पर समर्थन देंगे इसकी कम ही उम्मीद है। जबरीन को इसका फायदा मिल सकता है।
3. खलील अल-हय्या- इजराइल से जंग के अलावा कुछ और नहीं चाहता खलील अल-हय्या भी जबरीन की तरह हानियेह के डिप्टी के तौर पद पर काम कर रहा था। अल-हय्या इजराइल से बातचीत का पक्ष में नहीं है। उसका मानना है कि इजराइल को हराकर ही फिलिस्तीन की समस्या का समाधान निकल सकता है।
सीरिया में 2011 में जब गृहयुद्ध छिड़ा था तब अल-हय्या ने भी बशर असद के खिलाफ दूसरे गुट का समर्थन किया था, लेकिन अब उसने सीरियाई शासक के साथ दोस्ती कायम कर ली है। अल-हय्या को हानियेह की तरह ही कड़े और संतुलित कदम उठाने के लिए जाना जाता है। उसकी लीडरशिप की तारीफ होती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक हमास को इस बुरे वक्त में बाहरी दुनिया का साथ चाहिए होगा। ऐसे में अल-हय्या की भूमिक बड़ी हो जाती है, क्योंकि उसके ईरान, तुर्की, सीरिया, कतर और मिस्र के साथ अच्छे संबंध हैं।
अल-हय्या के कई देशों से अच्छे रिश्ते हैं। यही वजह है कि उसका हमास चीफ के पद के लिए दावा मजबूत है।
4. मूसा अबु मरजोक हमास का पहला पॉलिटिकल ब्यूरो हेड
मूसा अबु मरजोक हमास के फाउंडर्स में से एक है। अबु बरजोक का जन्म 9 जनवरी 1951 को गाजा पट्टी में रफा के रिफ्यूजी कैंप में हुआ। अबु के मां-बाप यिब्ना के थे, 1948 के अरब इजराइल युद्ध के बाद उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा और वे शरणार्थी बन गए। मरजूक का भाई भी इजराइल के खिलाफ जंग में शामिल था। मरजूक छोटी उम्र में ही हमास के संस्थापक शेख अहमद यासीन के संपर्क में आ गया था।
बुरजोक ने 2019 में इजराइल चुनाव के बाद कहा था नेतन्याहू फिलीस्तीन की सीमाओं का सम्मान नहीं करते हैं।
बुरजोक ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है बुरजोक ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वह आबू धाबी में काम करता था। वहीं से उसने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। यूरोपीयन काउंसिल के मुताबिक, उसने वहां फिलिस्तीन मुस्लिम भाईचारा संगठन की एक ब्रांच शुरू की। इसी संगठन से हमास बना है।
इसके बाद वह अमेरिका चला गया। मरजोक 1992 में हमास के पॉलिटिकल ब्यूरो का पहला चेयरमैन बना। इसके बाद 1996 से 2013 तक हमास के पॉलिटिकल ब्यूरो का डिप्टी चेयरमैन रहा है। इसके बाद मरजूक हानियेह का डिप्टी बन गया। वह हमास के अंतर्राष्ट्रीय संबंध के मामले देखता है।
अमेरिका में बुरजोक पर आतंकियों की मदद करने और हमले करवाने के आरोप लगे। इन आरोपों के आधार पर उसे 22 महीने की जेल हुई और मई 1997 में उसे जॉर्डन भेज दिया गया। इसके लिए बुरजोक को अमेरिकी नागरिकता छोड़नी पड़ी थी। मगर इजराइल के दबाव की वजह से उसे जॉर्डन से भी निकाल दिया गया, जिसके बाद वह सीरिया चला गया।
………………………………………………………..
सिनवार की मौत से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…
इजराइल ने हमास चीफ सिनवार को मारा:यही 7 अक्टूबर के हमले का मास्टरमाइंड था; नेतन्याहू बोले- अब हिसाब बराबर, लेकिन जंग जारी रखेंगे
इजराइल पर 7 अक्टूबर 2023 को किए गए हमले का मास्टरमाइंड हमास चीफ याह्या सिनवार मारा गया है। इजराइल के PM बेंजामिन नेतन्याहू और विदेश मंत्री इजराइल काट्ज ने गुरुवार रात को सिनवार की मौत की पुष्टि की। नेतन्याहू ने वीडियो मैसेज में कहा- “हमने हिसाब चुकता कर दिया, लेकिन जंग अभी जारी है।” पूरी खबर पढ़ें…
Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.
Source link