26 मिनट पहले
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26 जुलाई 1982 को फिल्म कूली की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन के साथ दर्दनाक हादसा हुआ था। को-स्टार पुनीत इस्सर ने शूटिंग के दौरान उन्हें जोरदार घूंसा मारा था, जिससे वो टेबल पर जा गिरे थे। उन्हें अंदरूनी चोट आई थी, जिसके चलते वो कई दिनों तक आईसीयू में रहे थे। इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी उनसे मिलने अस्पताल पहुंची थीं। अमिताभ उस दौरान दर्द में थे, जिससे जुड़ा एक किस्सा जया बच्चन के पिता तरुण कुमार भादुड़ी ने अपने लेख में शेयर किया था। उनके अनुसार, अमिताभ को दर्द में देख इंदिरा गांधी भी रो पड़ी थीं।
लेख के अनुसार, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जब अमिताभ बच्चन से मिलने आईसीयू पहुंचे, तो अमिताभ ने उनसे कहा था, आंटी बहुत दर्द हो रहा है, नींद भी नहीं आती मुझे। ये सुतने ही इंदिरा गांधी रो पड़ीं। इस समय राजीव गांधी ने उन्हें संभाला। खुद को संभालने के बाद इंदिरा गांधी ने अमिताभ बच्चन से कहा था, कोई बात नहीं बेटा, मुझे भी कई बार नींद नहीं आती, लेकिन जब आती है तो आराम मिलता है। तुम भी जल्दी सो जाओगे, फिर दर्द नहीं होगा। इतना कहते ही इंदिरा गांधी वॉर्ड से बाहर आईं और उन्होंने पीने के लिए पानी मांगा।
कूली फिल्म का वो सीन, जिस समय अमिताभ को चोट लगी थी।
तरुण भादुड़ी ने अपने लेख में बताया था कि अस्पताल से घर आने के बाद अमिताभ बच्चन ने तमाम देशवासियों का आभार व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था, इस दिन को हमेशा याद रखूंगा। उनकी सलामती में देशभर के लोग हवन और पूजा करवा रहे थे। अखबारों में उन दिनों आर्टिकल छपते थे, जिनमें लिखा जाता था कि अमिताभ के लिए दुआ करें।
एक पुरानी तस्वीर में इंदिरा गांधी के साथ अमिताभ बच्चन।
डॉक्टर्स ने दे दिया था जवाब, कोमा में रहे थे
26 जुलाई 1982 को अमिताभ बच्चन कुली फिल्म के लिए बैंग्लोर में एक एक्शन सीक्वेंस शूट कर रहे थे। शॉट की डिमांड के अनुसार पुनीत इस्सर को अमिताभ को मुक्का मारना था और उन्हें टेबल पर जाकर गिरना था। ये काम बॉडी डबल का था, लेकिन अमिताभ ने परफेक्शन के लिए खुद इसे शूट किया। मुक्का तेज लगा जिससे टेबल का एक कोना अमिताभ के पेट पर लग गया। खून नहीं आया था, लेकिन दर्द से बिग बी का बुरा हाल था।
अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद ली गई अमिताभ की तस्वीर।
अस्पताल गए तो डॉक्टर्स सही कारण नहीं समझ सके। पेन किलर के सहारे बिग बी ने दो दिन काटे, लेकिन जब दर्द बंद नहीं हुआ तो फिर उन्हें बेंगलुरु के सेंट फिलोमेना हॉस्पिटल में एडमिट किया गया। एक्स-रे हुआ लेकिन अब भी सही कारण नहीं पता चल सका। कई टेस्ट हुए, लेकिन जब चोट का ही पता नहीं चला तो इलाज कैसे होता।
तीसरे दिन जब दर्द असहनीय हुआ तो डॉक्टर्स ने दोबारा एक्स-रे कर इसे बारीकी से एग्जामिन किया। देखा कि एक्स-रे में डायफ्राम के नीचे गैस दिख रही थी, जो लीकेज का संकेत थी। दरअसल चोट लगने से अमिताभ की अंतड़ियां फंट गई थीं और सही समय पर इलाज न मिलने पर इंफेक्शन फैल चुका था। चौथे दिन जाने माने सर्जन एच.एस.भाटिया ने अमिताभ का केस देखा और तुरंत ऑपरेशन का सुझाव दिया।
ऑपरेशन से पहले अमिताभ को 102 बुखार हो गया और उनकी हार्टबीट 72 की जगह 180 हो गई। ऑपरेशन हुआ तो देखा कि अंदर से आंतें फंट चुकी हैं। ऐसी कंडीशन में 3-4 घंटे जिंदा रहना भी मुश्किल था, लेकिन वो 4 दिनों से जूझ रहे थे। चौथे दिन बिग बी कोमा में चले गए। दो ऑपरेशन हुए और दो महीनों तक उन्हें हॉस्पिटल में रखा गया।
जिस सीन में अमिताभ को चोट लगी, उस सीन को रोककर दिखाया जाता है।
हादसे से पहले ही अमिताभ बच्चन को लिवर की समस्या थी और साथ ही वो अस्थमैटिक भी थे। ऑपरेशन के अगले ही दिन उन्हें निमोनिया हुआ जिससे हालत और बिगड़ गई। बैंगलोर में इलाज के बाद उन्हें एयरबस से मुंबई लाया गया था। क्रेन से उन्हें ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में स्ट्रेचर पर शिफ्ट किया गया था। 8 अगस्त को उनका दोबारा ऑपरेशन हुआ। अस्पताल के बाहर उनके चाहने वालों की चौबीसो घंटे भीड़ रहती थी। पूरे देश में कहीं पूजा करवाई जा रही थी तो कहीं यज्ञ। जया बच्चन खुद भी अमिताभ की सलामती के लिए सिद्धि विनायक गई थीं, लेकिन जब वो पहुंचीं तो देखा कि उनसे पहले ही कई लोग बिग बी के लिए वहां पूजा कर रहे थे। लोगों की दुआएं रंग लाईं।
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