3 घंटे पहले
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म्यांमार में विद्रोही गुटों और सेना के बीच लड़ाई तेज हो रही है। यहां 2021 के बाद से गृह युद्ध चल रहा है। उससे जुड़ी तस्वीरें।
म्यांमार में हिंसा और तनाव के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय वहां रहने वाले भारतीयों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें भारतीय नागरिकों को वहां के रखाइन प्रांत की यात्रा नहीं करने के लिए कहा गया है। मंत्रालय की ओर से यह भी कहा गया कि रखाइन प्रांत में रह रहे भारतीय फौरन किसी सुरक्षित जगह चले जाएं।
विदेश मंत्रालय ने अपनी एडवाइजरी में कहा- बिगड़ती सुरक्षा स्थिति, लैंडलाइन समेत कम्युनिकेशन के अन्य साधनों की स्थिति बिगड़ रही है। जरूरी सामान की कमी भी हो रही है। इसे देखते हुए सभी भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे म्यांमार के रखाइन प्रांत की यात्रा न करें। जो भारतीय नागरिक पहले से ही रखाइन में हैं, उन्हें तुरंत यहां से बाहर निकलने की सलाह दी जाती है।
बीजिंग गुप्त रूप से विद्रोही समूहों और पूर्वोत्तर में सक्रिय विद्रोहियों का समर्थन कर रहा है। भारत की चिंता यह है कि चीन म्यांमार के विद्रोहियों के जरिए पूर्वोत्तर भारत में अशांति फैला सकता है।
म्यांमार में गृह युद्ध चल रहा है
रखाइन प्रांत और कई अन्य क्षेत्रों में अक्टूबर 2023 से जातीय समूहों और म्यांमार की सेना के बीच गंभीर लड़ाई देखी गई है।
दरअसल, फरवरी 2021 में म्यांमार में सेना ने लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर सस्ता पर कब्जा कर लिया। वहां की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था।
इसके बाद मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग ने खुद को देश का प्रधानमंत्री घोषित कर दिया था। सेना ने देश में 2 साल के आपातकाल की घोषणा की थी। इसके बाद से म्यांमार में गृह युद्ध चल रहा है।
म्यांमार का सीधा असर भारत पर पड़ रहा
1 फरवरी को विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन रणधीर जैसवाल ने कहा था- हम म्यांमार में बिगड़ती स्थिति से चिंतित हैं, जिसका सीधा असर हम पर पड़ रहा है। एक पड़ोसी देश और म्यांमार के मित्र के रूप में भारत लंबे समय से हिंसा के खात्मे और समावेशी संघीय लोकतंत्र की वकालत करता रहा है।
म्यांमार के साथ भारत की खुली सीमा है। ये चार राज्यों से लगती है। दोनों देशों के बीच 1600 किलोमीटर का बॉर्डर है। भारत-म्यांमार के बीच फ्री मूवमेंट का एग्रीमेंट 1970 में हुआ था। तब से सरकार इसे लगातार रिन्यू करती रही है। आखिरी बार इसे 2016 में रिन्यू किया गया था।
म्यांमार के लोग अवैध तरीके से भारत में घुस जाते हैं
म्यांमार में विद्रोही गुटों और सेना के बीच लड़ाई तेज हो रही है। इस बीच वहां के नागरिक और सैनिक भागकर भारत आ जाते हैं। ज्यादातर लोग मिजोरम में पनाह लेते हैं। इसे रोकने के लिए हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि भारत-म्यांमार बॉर्डर पर खुली सीमा की फेंसिंग की जाएगी। म्यांमार से भागकर आ रहे आतंकियों और घुसपैठ को रोकने के लिए दोनों देशों के बीच फ्री मूवमेंट को भी सरकार बंद करेगी।
म्यांमार शरणार्थी भारतीय बॉर्डर कैसे आसानी से पार कर लेते हैं
यंग मिजो एसोसिएशन के सचिव लालनुन्तलुआंगा कहते हैं कि भारत और म्यांमार की सीमा से इधर-उधर जाना आसान है। बॉर्डर के दोनों तरफ 25 किलोमीटर तक जाने की छूट है। ऐसे में म्यांमार से लोग आसानी से भारत पहुंच जाते हैं।
आइजॉल के गवर्नमेंट जॉनसन कॉलेज में प्रोफेसर डेविड लालरिनछाना का कहना है कि म्यांमार के चिन और मिजोरम के मिजो लोगों के बीच अच्छे रिश्ते हैं। ये अपने को एक-दूसरे के पूर्वज मानते हैं। यही वजह है कि चिन विस्थापितों लोगों को मिजोरम में सहयोग मिलता है।
म्यांमार में फरवरी 2021 में तख्तापलट के बाद से अवैध प्रवासियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इस दौरान करीब 40 हजार शरणार्थियों से मिजोरम में पनाह ली। वहीं करीब 4 हजार रिफ्यूजी मणिपुर पहुंचे।
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