US UK Ships Vs Yemen Houthi Rebels; Red Sea Ships Attack Update | भारत आ रहे अमेरिकी जहाज पर हमला: ब्रिटिश शिप पर भी ड्रोन अटैक; 3 दिन पहले US-UK ने हूती ठिकानों को निशाना बनाया था


1 घंटे पहले

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सोशल मीडिया पर भारत आ रहे अमेरिकी जहाज स्टार नासिया की हमले के बाद की यह तस्वीर वायरल हो रही है। - Dainik Bhaskar

सोशल मीडिया पर भारत आ रहे अमेरिकी जहाज स्टार नासिया की हमले के बाद की यह तस्वीर वायरल हो रही है।

लाल सागर में हूती विद्रोहियों ने दो जहाजों पर हमला किया। ये जहाज अमेरिका और ब्रिटेन के थे। इनमें से एक जहाज अमेरिका से भारत आ रहा था।

यूनाइटेड किंगडम मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशंस (UKMTO) के मुताबिक मंगलवार गेर रात लाल सागर में आगे बढ़ रहे अमेरिकी जहाज स्टार नासिया के नजदीक हूतियों की बोट देखी गई थी। वहीं, ब्रिटेन के जहाज मॉर्निंग टाइड पर मंगलवार सुबह हमला हुआ। दोनों जहाजों पर कितने क्रू मेंबर सवार थे इसकी जानकारी सामने नहीं आई है।

प्राइवेट सिक्योरिटी फर्म अंब्रे का कहना है कि हमले में सिर्फ जहाज को नुकसान पहुंचा है। कोई भी इसमें घायल नहीं हुआ।

सोशल मीडिया पर ब्रिटिश जहाज मॉर्निंग टाइड पर हुए हमले की यह फुटेज वायरल हो रही है।

सोशल मीडिया पर ब्रिटिश जहाज मॉर्निंग टाइड पर हुए हमले की यह फुटेज वायरल हो रही है।

3 दिन पहले अमेरिका-ब्रिटेन ने तीसरी बार यमन पर हमला किया था
अमेरिका और ब्रिटेन की सेना ने साथ मिलकर शनिवार 3 फरवरी देर रात यमन पर हमला किया। BBC के मुताबिक, सैनिकों ने हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके पर हमला किया। अमेरिकी एयरफोर्स के हवाले से बताया गया कि हमले 36 ठिकानों पर किए गए। इनमें हथियार रखने की जगह, मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्टम और रडार से जुड़ी साइट्स शामिल थे।

दरअसल, हूती विद्रोही लगातार लाल सागर में जहाजों को निशाना बना रहे हैं। इसके खिलाफ अमेरिका और ब्रिटेन कार्रवाई कर रहे हैं। दोनों देशों का यह तीसरा जॉइंट ऑपरेशन है। इसके पहले अमेरिका और ब्रिटेन ने 28 जनवरी और 11 जनवरी को यमन पर हमला किया था। वहीं, 11 जनवरी से अब तक अमेरिका 10 बार यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों को निशाना बना चुका है।

फुटेज यमन में हमले करने जा रहे अमेरिकी एयरफोर्स के RAF टायफून एयरक्राफ्ट की है।

फुटेज यमन में हमले करने जा रहे अमेरिकी एयरफोर्स के RAF टायफून एयरक्राफ्ट की है।

व्यापार बाधित न हो, इसलिए हूती विद्रोहियों को रोकना जरूरी
अमेरिका और ब्रिटेन ने बयान जारी कर कहा- हूती विद्रोहियों के हमलों के चलते लाल सागर से गुजरने वाले 2 हजार जहाजों को अपना रास्ता बदलना पड़ा।

इस समुद्री रास्ते से जहाज दुनियाभर में इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट करते हैं। इसी रास्ते पर दुनिया का करीब 15% शिपिंग ट्रैफिक होता है। हूती विद्रोहियों के हमलों से यूरोप और एशिया के बीच मुख्य मार्ग पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार को समस्‍याओं का सामना करना पड़ा है। इस समस्या को खत्म करने और व्यापार को बचाने के लिए हूती विद्रोहियों को रोकना जरूरी है।

दरअसल, इजराइल-हमास जंग के चलते हूती विद्रोहियों ने गाजा का समर्थन करने के लिए लाल सागर में जहाजों पर हमले शुरू किए हैं और वे शिपिंग रूट्स को निशाना बना रहे हैं।

23 दिसंबर 2023 को भी भारत आ रहे जहाज पर हमला हुआ था
23 दिसंबर 2023 को लाल सागर में MV Saibaba जहाज पर भी हमला हुआ था। यह जहाज भारत आ रहा था और इसमें सवार ऑपरेटिव टीम के सभी 25 लोग भारतीय थे। इस पर अफ्रीकी देश गैबॉन का झंडा लगा था। हमले के बाद इस ट्रेड रूट की सुरक्षा के लिए भारत ने अपने 5 वॉरशिप उतार दिए।

इसके पहले 19 दिसंबर को हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में एक कार्गो शिप गैलेक्सी लीडर को हाईजैक कर लिया था। यह जहाज तुर्किये से भारत आ रहा था। हूती विद्रोहियों ने इसे इजराइली जहाज समझ कर हाईजैक किया था।

यह वीडियो 19 दिसंबर को हूती संगठन ने जारी किया था, इसमें उसके लड़ाके जहाज को हाइजैक करते नजर आ रहे हैं।

यह वीडियो 19 दिसंबर को हूती संगठन ने जारी किया था, इसमें उसके लड़ाके जहाज को हाइजैक करते नजर आ रहे हैं।

प्रोफेसर अरुण कुमार बताते हैं कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी व्यापार के समुद्री मार्ग की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। अमेरिका, चीन, भारत सहित कई देश एक साथ नजर आ रहे हैं।

भारत का 80% व्यापार समुद्री रास्ते से होता है। वहीं 90% ईंधन भी समुद्री मार्ग से ही आता है। अगर समुद्री रास्ते में कोई हमला करेगा तो भारत के कारोबार पर असर पड़ेगा। इससे सप्लाई चेन बिगड़ जाएगी।

भारत आ रहे जहाज पर हमला करने वाले हूती विद्रोही कौन हैं?
साल 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू हुआ। इसकी जड़ शिया-सुन्नी विवाद है। कार्नेजी मिडल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरुआत से गृह युद्ध में बदल गया। 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।

अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सऊदी भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला, तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सउदी अरब का।

देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।



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