Hundreds of Bangladeshis trying to enter India from Bangladesh | भारत में घुसने की कोशिश में जुटे सैकड़ों बांग्लादेशी: BSF जवान बॉर्डर पर रोक रहे, 5 राज्यों के 5 चेक पोस्ट से आंखों-देखी


4 मिनट पहले

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बांग्लादेश के हालात तनावपूर्ण चल रहे हैं। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद अल्पसंख्यकों पर हमले हुए हैं। इस वजह से बड़ी संख्या में लोग बॉर्डर पार कर भारत में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। गुरुवार को सैकड़ों बांग्लादेशी नागरिकों की इस कोशिश को BSF ने सीमा पार ही रोक दिया।

BSF के मुताबिक बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोगों के पलायन को देखते हुए 4,096 किमी लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर सोमवार से ही सभी यूनिट्स में ‘हाई अलर्ट’ जारी कर दिया गया है।

भास्कर रिपोर्टरों ने बांग्लादेश से सटे पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, मिजोरम और मणिपुर में मौजूदा स्थिति का जायजा लिया।

पश्चिम बंगाल: बॉर्डर पर गांव, रिश्तेदारों को भी शरण नहीं दे पा रहे लोग
भास्कर रिपोर्टर बांग्लादेश की सीमा से सटे जलपाईगुड़ी के फूलबाड़ी-हल्दीबाड़ी गांव पहुंचे। ये गांव भारत और बांग्लादेश में आधा-आधा बंटा हुआ है। बांग्लादेश से भारत आने-जाने का ये सबसे व्यस्त इलाका है। लेकिन, अभी सिर्फ ट्रक आ-जा रहे हैं।

हल्दीबाड़ी के ग्रामीण परेश राय ने बताया कि हिंसा के बाद से उनके कई रिश्तेदार शरण मांग रहे हैं, लेकिन BSF जवान हर 50 मीटर पर तैनात हैं। वे किसी को आने नहीं दे रहे हैं। रोज 25-50 बांग्लादेशी गांव तक आकर आवाज लगाते हैं, लेकिन जवानों के ललकारते ही भाग जाते हैं।

यहां महानंदा नदी बॉर्डर है। इसमें 109 किमी में बाड़ नहीं है। लोग यहीं से घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। बुधवार को भी 200 लोग सामने जमा हो गए थे। वो जवानों से मिन्नतें करते रहे, लेकिन उन्हें एंट्री नहीं मिली। BSF की डेढ़ किमी अंदर तक तैनाती है।

मेघालय: चार किमी में किसी को भी आने की परमिशन नहीं
भास्कर रिपोर्टर मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग से 118 किमी दूर डावकी मैत्री गेट पर पहुंचे। यहां 12-13 BSF जवान तैनात हैं। यहां एशिया की सबसे साफ नदीं उमंगोट बहती है। सामने बांग्लादेश का तमाबिल गांव है।

डावकी मैत्री गेट बांग्लादेश से सटी राज्य की 443 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा के उस 80 किमी के इलाके में आता है, जहां बाड़ नहीं है। डावकी के पंचायत प्रमुख मनखार सिंगसाई ने बताया कि 4 किमी क्षेत्र में बॉर्डर कई जगह खुला हुआ है। पहले रोज 300-400 लोग आते-जाते थे। अब सन्नाटा है।

स्थानीय राय कूपर सिनरेन ने बताया कि तीन दिन से घुसपैठ पूरी तरह बंद है। मेघालय में BSF के आईजी हरबक्श सिंह ढिल्लो के मुताबिक इस इलाके में नदी के उस पार जुट रहे बांग्लादेशियों को समझाकर सतर्क कर रहे हैं।

डावकी मैत्री गेट के करीब उमंगोट नदी के किनारे BSF के जवान।

डावकी मैत्री गेट के करीब उमंगोट नदी के किनारे BSF के जवान।

मिजोरम: दो महीने के लिए बॉर्डर सील, शरणार्थियों की भी एंट्री बंद
राजधानी आइजोल से 273 किमी दूर लांगतलाई का बॉर्डर सूना है। राज्य सरकार ने शाम 6 से सुबह 6 बजे तक बॉर्डर से 3 किमी के दायरे में हर किसी की आवाजाही रोक दी है। ये आदेश अगले दो महीने तक के लिए है। 7 बजे के बाद भी किसी को बॉर्डर आने या बांग्लादेश की तरफ जाने पर रोक है।

लांगतलाई बांग्लादेश के पर्वतीय जिले के चटगांव के बंदरबान और रंगामाअी से जुड़ा है। इसलिए पहाड़ से घुसपैठ की संभावना हमेशा बनी रहती हैं। यहीं शरणार्थियों के लिए शिविर भी बनाए गए हैं। लांगतलाई के वोंगजोंग शिफूई ने बताया कि मई में 54 लोग बांग्लादेश से आए थे। इन्हें शिविरों में रोका है, लेकिन अभी बॉर्डर पर हलचल नहीं है।

मिजोरम में बांग्लादेश से सटा लांगतलाई गांव का बॉर्डर सूना पड़ा है।

मिजोरम में बांग्लादेश से सटा लांगतलाई गांव का बॉर्डर सूना पड़ा है।

त्रिपुरा: थ्री लेयर सुरक्षा, कागज पुख्ता, तभी एंट्री, इसलिए सन्नाटा
त्रिपुरा में बांग्लादेशियों के लिए 8 एंट्री पॉइंट हैं। भास्कर रिपोर्टर अगरतला की अखौरा इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट पर पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश से किसी को भारत आना है तो कागजात दिखाकर यहां से आसानी से एंट्री मिल रही है।

इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के मैनेजर देबासीश नंदी ने बताया कि बांग्लादेश से आने वालों की संख्या एकदम घटी है। अब बमुश्किल 70-80 लोग ही आ रहे हैं। जिनके पास मेडिकल वीजा है, उन्हें ही एंट्री मिल रही है। स्कैनिंग और दस्तावेजों की जांच सख्त कर दी गई है। BSF और इमिग्रेशन अधिकारी तीन चरणों में जांच कर रहे हैं।

असम: गायों और नशीले पदार्थों की तस्करी चार दिन से बंद पड़ी
भास्कर रिपोर्टर असम के कछार में नथनपुर बॉर्डर पोस्ट पहुंचे। इसके करीब से बराक नदी बहती है। सामने बांग्लादेश का रघुर्चोक गांव है। BSF ने नदी में निगरानी नावें उतार दी हैं, जो 128 किमी को कवर कर रही हैं।

गांव के दो किमी के दायरे में किसी को भी आने की अनुमति नहीं है। स्थानीय गोपेश बर्मन ने बताया कि यह इलाका गायों व नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए कुख्यात है, लेकिन सख्ती बढ़ने से तस्करी बंद है। बांग्लादेश की तरफ से लोग आते तो हैं, लेकिन नदी में चल रही निगरानी नावों के अनाउंसमेंट सुनकर लौट जाते हैं।

असम से बांग्लादेश की 268 किमी सीमा है जहां नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। करीमगंज, कछार, धुबड़ी और दक्षिण शालमारा, मानकाचर में हाई अलर्ट है।

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