नई दिल्ली2 मिनट पहले
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भ्रामक विज्ञापन के मामले में आज पतंजलि आयुर्वेद की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे पहले 21 नवंबर 2023 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने बाबा रामदेव की कंपनी को मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन पब्लिश करने को लेकर ये फटकार लगाई थी। भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दायर की गई थी।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने इस मामले में सुनवाई कर रही है। जस्टिस अमानुल्लाह ने पिछली सुनवाई में कहा था कि- पतंजलि आयुर्वेद को सभी झूठे और भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है।
कोर्ट वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है
कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैजुअल स्टेटमेंट न दिए जाएं।
बेंच ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है।
10 जुलाई, 2022 को पब्लिश पतंजलि वेलनेस के विज्ञापन की तस्वीर। एडवर्टाइजमेंट में एलोपैथी पर “गलतफहमियां” फैलाने का आरोप लगाया गया था।
कोर्ट ने पिछले साल भी लगाई थी फटकार
पिछले साल भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ बयान देने के लिए बाबा रामदेव को फटकार लगाई थी।
भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने तब कहा था ‘बाबा रामदेव अपनी चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बना सकते हैं, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना क्यों करनी चाहिए। हम सभी उनका सम्मान करते हैं, उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए।’
कोविड की दवा बनाने के दावे को लेकर घिरी थी पतंजलि
रामदेव बाबा ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था।
- 2015 में कंपनी ने इंस्टेंट आटा नूडल्स लॉन्च करने से पहले फूड सेफ्टी एंड रेगुलेरिटी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस नहीं लिया था। इसके बाद पतंजलि को फूड सेफ्टी के नियम तोड़ने के लिए लीगल नोटिस का सामना करना पड़ा था।
- 2015 में कैन्टीन स्टोर्स डिपार्टमेंट ने पतंजलि के आंवला जूस को पीने के लिए अनफिट बताया था। इसके बाद सीएसडी ने अपने सारे स्टोर्स से आंवला जूस हटा दिया था। 2015 में ही हरिद्वार में लोगों ने पतंजलि घी में फंगस और अशुद्धियां मिलने की शिकायत की थी।
- 2018 में भी FSSAI ने पतंजलि को मेडिसिनल प्रोडक्ट गिलोय घनवटी पर एक महीने आगे की मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखने के लिए फटकार लगाई थी।
- कोरोना के अलावा, रामदेव बाबा कई बार योग और पतंजलि के प्रोडक्ट्स से कैंसर, एड्स और होमोसेक्सुअलिटी तक ठीक करने के दावे को लेकर विवादों में रहे हैं।