नई दिल्ली19 घंटे पहलेलेखक: प्रवेश कुमार जैन
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सरकार ने एग्रीकल्चर और उससे जुड़े सेक्टरों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए दिए। पिछले साल 1.25 लाख करोड़ रुपए दिए गए थे। यानी इस बार किसानों के लिए बजट 21.6% यानी 27 हजार करोड़ रुपए बढ़ाया गया।
हालांकि किसानों की लगातार मांग के बाद भी मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी, MSP को लेकर बजट में कोई घोषणा नहीं हुई। वहीं किसान सम्मान निधि की राशि भी नहीं बढ़ाई गई, ये 6,000 रुपए ही रहेगी।
एग्रीकल्चर बजट से जुड़ी बड़ी बातें –
1. एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए तैयार किया जाएगा
अगले दो सालों में देश भर में 1 करोड़ किसानों को सर्टिफिकेशन और ब्रांडिंग के जरिए नेचुरल फार्मिंग से जोड़ा जाएगा और इसकी शुरुआत कराई जाएगी। ग्राम पंचायत और साइंटिफिक इंस्टीट्यूशन के जरिए इसका इंप्लीमेंटेशन किया जाएगा। 10,000 नीड-बेस्ड बायो-इनपुट सेंटर्स स्थापित किए जाएंगे।
किसानों की मदद के लिए 5 राज्यों में नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे। नाबार्ड के जरिए किसानों को मदद दी जाएगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत करने पर काम होगा। किसान की पैदावार को मौसम के असर से बचाने पर काम किया जाएगा। सरकार ने बताया कि 32 फसलों की 109 नई किस्में लाई जाएंगी, जो मौसम के अनुकूल होंगी।
2. MSP पर कोई घोषणा नहीं
बजट में किसानों की सबसे बड़ी मांग MSP को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने एक महीने पहले लगभग सभी मुख्य फसलों पर बढ़ी हुई MSP की घोषणा की थी। साथ ही किसानों को मिलने वाली सम्मान निधि में भी इजाफा नहीं किया गया।
3. दलहन और तिलहन में किसानों को आत्मनिर्भर बनाएंगे
दलहन और तिलहन में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इनके प्रोडक्शन, स्टोरेज और मार्केटिंग को मजबूत करेंगे। अंतरिम बजट में की गई घोषणा के अनुसार सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए स्ट्रैटजी बनाई जाएगी।
4. सब्जियों की सप्लाई चेन को मजबूत करेंगे
सब्जियों की सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए फार्मर-प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन, सहकारी समितियों और स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देंगे। इनके कलेक्शन, स्टोरेज और मार्केटिंग पर फोकस करेंगे। राज्यों के साथ पार्टनरशिप के तहत सरकार 3 सालों में किसानों और उनकी भूमि को कवर करने के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) बनाने पर काम करेंगे।
6 करोड़ किसानों और उनकी जमीन की डिटेल्स को किसान और लैंड रजिस्ट्री में लाया जाएगा। इसके अलावा झींगा उत्पादन करने वालों की मदद के लिए सरकार ब्रीडिंग सेंटरों का नेटवर्क बनाने के लिए फाइनेंशियल सपोर्ट देगी। उनकी फार्मिंग, प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट के लिए NABARD के जरिए फाइनेंसिंग सुविधा दी जाएगी।
5. नेशनल कोऑपरेशन पॉलिसी लाएगी सरकार
सरकार कोऑपरेटिव सेक्टर के विकास के लिए नेशनल कोऑपरेशन पॉलिसी लाएगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करना, इस पॉलिसी का टारगेट होगा।
अंतरिम बजट में एग्रीकल्चर को 1.27 लाख करोड़ रुपए मिले
- मोदी सरकार ने इस साल 1 फरवरी को अंतरिम बजट में एग्रीकल्चर सेक्टर को 1.27 लाख करोड़ रुपए दिए थे।
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि फसलों पर नैनो D.A.P. का इस्तेमाल होगा।
- डेयरी विकास के क्षेत्र में अच्छा काम होगा और दुग्ध किसानों को बढ़ावा दिया जाएगा।
- ग्रीन डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए बायो-मैन्युफैक्चरिंग और बायो-फाउंड्री की नई योजना की शुरुआत होगी।
- 4 करोड़ से ज्यादा किसानों को फसल बीमा योजना का फायदा मिला।
- मत्स्य संपदा योजना से 55 लाख नए रोजगार मिले।
- नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट यानी eNAM के तहत 1,361 मंडियों का एकीकरण किया गया।
- सपोर्टिंग ट्रेडिंग वॉल्यूम 3 लाख करोड़ रुपए हुआ।
अब तक 9.26 करोड़ किसानों को सम्मान निधि का लाभ मिला
सरकार अभी 2,000 रुपए की 3 किस्तों में किसानों को हर साल 6,000 रुपए देती है। इस योजना के तहत सरकार अब तक 17 किस्तों में किसानों के खाते में 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि भेज चुकी है।
प्रधानमंत्री ने 18 जून को PM किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त जारी की थी। तब 9.26 करोड़ किसानों के खाते में 2-2 हजार रुपए की किस्त भेजी गई थी। इस योजना की शुरुआत 2019 में किसानों को आर्थिक मदद देने के लिए की गई थी।
सरकार ने जून में 14 खरीफ फसलों की MSP बढ़ाई थी
सरकार ने पिछले महीने जून में 14 खरीफ फसलों की MSP बढ़ाई थी। नई MSP से सरकार पर 2 लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। यह पिछले फसल सीजन की तुलना में 35 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है। सरकार का मानना है कि MSP फसल की लागत का कम से कम 1.5 से 2 गुना होना चाहिए। MSP में 24 फसलें शामिल हैं।
खरीफ की फसलों में कौन-कौन सी फसलें आती हैं?
धान (चावल), मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उड़द, तुअर, कुल्थी, जूट, सन, कपास आदि। खरीफ की फसलें जून-जुलाई में बोई जाती हैं। सितंबर-अक्टूबर में इनकी कटाई होती है।
क्या है MSP या मिनिमम सपोर्ट प्राइस
MSP वो गारंटीड मूल्य है, जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है, भले ही बाजार में उस फसल की कीमत कम हो। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का असर किसानों पर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।
सरकार हर सीजन से पहले CACP यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेज की सिफारिश पर MSP तय करती है। यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है, तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती हैं, तब MSP उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइस का काम करती है।
अब एग्रीकल्चर से जुड़े कुछ जरूरी फैक्ट्स…
स्केचः संदीप पाल
ग्राफिक्स: कुणाल शर्मा, अंकित पाठक
फोटोग्राफी: दिलीप चौकसे
{*Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.}
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