Sharad Shukla of Mirzapur spoke on rejection | रिजेक्शन पर बोले मिर्जापुर के शरद शुक्ला: किसी भी काम के लिए निरंतर अभ्यास जरूरी है, क्योंकि लक को भी इसकी जरूरत पड़ती है

57 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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वेब सीरीज मिर्जापुर 3 अमेजन प्राइम वीडियो पर 5 जुलाई को स्ट्रीम हुई है। इस सीरीज की खूब चर्चा हो रही है। इस सीजन में इस बार शरद शुक्ला का किरदार खूब उभर कर आया है। इस किरदार को निभाने वाले एक्टर अंजुम शर्मा ने दैनिक भास्कर से बातचीत की।

अंजुम शर्मा ने रिजेक्शन के बारे में बात करते हुए बताया है कि किसी भी काम के लिए निरंतर अभ्यास की बहुत जरूरत होती है। लक भी बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन लक को भी अभ्यास की बहुत जरूरत है।

आइए जानते हैं, सवाल जवाब के दौरान अंजुम शर्मा ने और क्या कहा….

करियर की शुरुआत में रिजेक्शन भी मिले होंगे?

ऑडिशन देना और उसमें फिट नहीं होना, इसे मैं रिजेक्शन नहीं मानता हूं। रिजेक्शन यह हुआ कि किसी फिल्म के लिए फाइनल होने के बाद कुछ ऐसा होता है कि चीजें आगे नहीं बढ़ीं। ऐसा मेरे साथ दो-तीन बार हुआ। तब थोड़ा दुख होता है। मैं थिएटर से जुड़ा रहा। इसलिए मेरा अभ्यास होता रहा। मेरी ग्रोथ कभी रुकी नहीं।

आज आप लोगों के लिए इंस्पिरेशन हैं, जो इंडस्ट्री में आना चाहते हैं, उन्हें क्या सुझाव देना चाहेंगे?

मेरा सिर्फ यह सुझाव है कि अगर आप इस रचनात्मक दुनिया में किसी भी रूप में काम करना चाहते हैं तो अभ्यास बहुत जरूरी है। लक भी बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन लक को भी अभ्यास की बहुत जरूरत है। अभ्यास करने से लक 100 गुना बढ़ सकता है। अपनी जिंदगी को चैलेंज नहीं बनाना है, जो कर रहे हैं उसी में खुश रहने की कोशिश करें।

आप कैसे एक्टिंग में आए?

फिल्में देखने का शौक बचपन से ही रहा है। हर फ्राइडे थिएटर में जाकर फिल्में देखता था। उस समय तक मन में ख्याल नहीं आया था कि एक्टिंग करनी है। बाद में जब सोचा कि क्या करना है, तब फिल्म में डिप्लोमा करने की बात समझ में आई। मैंने एक साल तक फिल्म इंस्टीट्यूट से डिप्लोमा किया। वहां वर्ल्ड सिनेमा को देखा, समझा। मुझे लग रहा था कि किसी जादू की नगरी में आ गया।

इंस्टीट्यूट से निकलने के बाद सिनेमैटोग्राफर कमलाकर राव को असिस्ट किया। उसके बाद कुछ समय तक डायरेक्शन में असिस्ट किया। इस दौरान मुझे समझ में आ गया कि एक्टिंग में करियर बनाना है। लेकिन इसके लिए तैयारी जरूरी थी।

ऑडिशन में सिलेक्ट होने के बाद मुझे लग रहा था कि एक्टिंग के लिए अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हूं। उसके बाद मैंने थिएटर करना शुरू किया। मकरंद देशपांडे के साथ 6 साल तक प्ले किया। इसी दौरान ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ में एक्टिंग करने का मौका मिला।

जब घरवालों को आपके एक्टिंग प्रोफेशन के बारे में पता चला तो उनका क्या रिएक्शन रहा?

घरवालों का आर्ट और म्यूजिक में इंट्रेस्ट रहा है। वे आर्ट और म्यूजिक के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे। लेकिन ऐसा नहीं था कि उसमें करियर ही बनाना है। जब फिल्म इंस्टीट्यूट जॉइन किया तो घर वालों का थोड़ा अजीब सा रिएक्शन था।

लेकिन वहां टेक्निकल चीजें सीखनी थी, इसलिए कुछ नहीं बोले। जब मैंने थिएटर करना शुरू किया तब घरवालों को पता चला कि एक्टिंग में मेरा इंट्रेस्ट है। वे यही समझाते थे कि जो काम समझ में आए वही करना। कहीं ऐसा ना हो कि आगे चलकर तकलीफ हो।



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