7 US presidents withdrew from elections | बाइडेन से पहले 7 राष्ट्रपति जो नहीं लड़े अगला चुनाव: किसी को करप्शन मिटाने की सजा मिली तो कोई गुलामी प्रथा का समर्थन कर फंसा


2 मिनट पहले

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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को 5 नवम्बर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया है। रविवार को उन्होंने चिट्ठी लिखकर इस बात का ऐलान किया। बाइडेन ने राष्ट्रपति प्रत्याशी के तौर पर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का नाम आगे बढ़ाया है।

27 जून को राष्ट्रपति पद की पहली डिबेट में बेहद खराब प्रदर्शन करने के बाद बाइडेन पर अगला चुनाव न लड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा था। बीते कुछ दिनों में वह बार-बार ये दावा करते रहे कि वे खुद चुनाव लड़ेंगे। नामांकन हासिल करने लायक डेलीगेट्स होने के बावजूद आखिरकार बाइडेन को अपना दावा छोड़ना पड़ा।

जो बाइडेन पहले राष्ट्रपति नहीं हैं जिन्होंने अगले चुनाव के लिए अपना दावा छोड़ दिया है। उनसे पहले 7 ऐसे राष्ट्रपति रह चुके हैं जो पद पर रहते हुए अगला चुनाव नहीं लड़ पाए।

लिंडन जॉनसन- 1968

राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन की 1968 में वियतनाम युद्ध पर जनता को संबोधित करने से पहले की तस्वीर। (Image-NYT)

राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन की 1968 में वियतनाम युद्ध पर जनता को संबोधित करने से पहले की तस्वीर। (Image-NYT)

वजह- वियतनाम युद्ध से परेशान हुई जनता, लोगों ने समर्थन से किया इनकार

जो बाइडेन की दावेदारी छोड़ने से 5 दशक पहले लिंडन जॉनसन पहले ऐसे पहले राष्ट्रपति थे जिन्होंने खुद ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। लिंडन 1960 के चुनाव में जॉन एफ कैनेडी के जीतने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे। साल नवंबर 1963 में कैनेडी की हत्या की बाद वे राष्ट्रपति बने।

एक साल के बाद जॉनसन ने 1964 का चुनाव जीत लिया। 1968 के राष्ट्रपति चुनाव में लिंडन अपनी पार्टी के लिए नामांकन हासिल करने के लिए सबसे आगे थे लेकिन धीरे-धीरे उनका समर्थन कम होने लगा। इसकी वजह वियतनाम युद्ध था। अमेरिका को इस जंग में मनमाफिक सफलता नहीं मिली। इस वजह से हर दिन उनकी एप्रूवल रेटिंग गिरती जा रही थी।

इसके बाद लिंडन जॉनसन को लग गया था कि वे आगे जीत नहीं पाएंगे। चुनाव लड़ने से ठीक 7 महीने पहले उन्होंने नेशनल टीवी पर घोषणा की कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके बाद उपराष्ट्रपति ह्यूबर्ट हम्फ्री को डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का टिकट मिला लेकिन वे रिपब्लिकन रिचर्ड निक्सन से चुनाव हार गए।

हैरी ट्रूमैन- 1952

सेकेंड वर्ल्ड वॉर खत्म होने के बाद हैरी ट्रूमैन अमेरिका के राष्ट्रपति बने।

सेकेंड वर्ल्ड वॉर खत्म होने के बाद हैरी ट्रूमैन अमेरिका के राष्ट्रपति बने।

वजह- कोरिया वॉर में कई अमेरिकी सैनिक मरे, एंटी इन्कमबैंसी भी थी

1945 में राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट की मौत के बाद उपराष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन अमेरिका के राष्ट्रपति बने। इसके बाद उन्होंने 1948 में राष्ट्रपति चुनाव जीता। साल 1952 के चुनाव में दूसरी बार राष्ट्रपति बनने की दौर में थे। उन्होंने प्राइमरी चुनाव लड़ना शुरू किया लेकिन कुछ ही दिन बाद उन्होंने घोषणा की कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे।

लिंडन जॉनसन की तरह ट्रूमैन की भी एप्रूवल रेटिंग बुरी तरह गिर गई थी। NYT के मुताबिक जनवरी 1951 में ट्रूमैन की अप्रूवल रेटिंग 23% पर खिसक गई थी। बाइडेन की हालिया अप्रूवल रेटिंग 38.5% है। इससे पता चलता है कि ट्रूमैन जनता के बीच किस हद तक नापंसद किए जाने लगे थे। ट्रूमैन की इस हालत की बड़ी वजहों में अमेरिका का कोरिया वॉर में उलझा रहना था।

इस जंग में 36 हजार अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। ट्रूमैन के शासनकाल में करप्शन के भी कई मामले सामने आए थे। डेमोक्रेटिक पार्टी लगातार 20 सालों से सत्ता में थी तो उन्हें एंटी इन्कमबैंसी का भी नुकसान झेलना पड़ा। इसके बाद इलिनोइस के गवर्नर एडले स्टीवेंसन ने ट्रूमैन की जगह चुनाव लड़ा लेकिन वे रिपब्लिकन नेता ड्वाइट आइजनहावर से हार गए।

चेस्टर आर्थर- 1884

चेस्टर आर्थर अमेरिका के 21वें राष्ट्रपति थे। वे 1881 से 1885 तक पद पर रहे।

चेस्टर आर्थर अमेरिका के 21वें राष्ट्रपति थे। वे 1881 से 1885 तक पद पर रहे।

वजह- भ्रष्टाचार मिटाने के कारण अपने ही बने दुश्मन, नहीं किया समर्थन

जेम्स गार्फील्ड की हत्या के बाद 1881 में उपराष्ट्रपति चेस्टर आर्थर राष्ट्रपति बने थे। वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने कोई भी सार्वजनिक पद नहीं संभाला था। कहा जाता है कि वे उपराष्ट्रपति पद का टिकट मिल गया था क्योंकि वे रिपब्ल्किन पार्टी के प्रेसिडेंट रोस्को कोंकलिंग के करीबी थे। जब तक वे उप-राष्ट्रपति रहे उन्होंने रोस्को कोंकलिंग का आंख मूंदकर समर्थन किया।

गार्फील्ड की हत्या के बाद ये भी दावा किया जाने लगा कि उनकी हत्या आर्थर और कोंकलिंग ने मिल कर कराई है। हालांकि राष्ट्रपति बनने के बाद आर्थर के व्यवहार में जबरदस्त बदलाव आया। वे एक पपेट प्रेसीडेंट के बदले खुद की चलाने वाले राष्ट्रपति बन गए।

आर्थर रिश्वतखोरी को रोकने में बेहद सख्त रवैया अपनाया। उन्होंने प्रमोशन के लिए उम्र नहीं, योग्यता को पैमाना बना दिया। द डेली मेल ने लिखा है कि चेस्टर ने राजनीति के सारे पुराने सिस्टम को ध्वस्त कर दिया था। इसका उन्हें नुकसान हुआ कि वे उन नेताओं और अधिकारियों के दुश्मन बन गए जो खुद भ्रष्टाचार में लिप्त थे। उन्हें अगली बार राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी लोगों का साथ नहीं मिला।

इसके साथ ही राष्ट्रपति रहते हुए आर्थर को किडनी की गंभीर बीमारी हो गई जिसके बारे में लोगों को पता नहीं था। उनकी हेल्थ लगातार गिरती जा रही थी। वे अगर अगली बार राष्ट्रपति बन भी जाते तो बीच कार्यकाल में ही उनकी मौत हो जाती। राष्ट्रपति पद छोड़ने के 2 साल बाद 1886 में उनकी मौत हो गई।

एंड्रयू जॉनसन- 1868

एंड्रयू जॉनसन अमेरिका के 17वें राष्ट्रपति थे। वे 1865 से 1869 तक पद पर रहे।

एंड्रयू जॉनसन अमेरिका के 17वें राष्ट्रपति थे। वे 1865 से 1869 तक पद पर रहे।

वजह- अलास्का खरीदने वाले जॉनसन पर चला महाभियोग, दोषी पाए गए

1865 में अब्राहम लिंकन की हत्या के बाद एंड्रयू जॉनसन अमेरिका के राष्ट्रपति बने। जॉनसन को कई वजहों से आज भी याद किया जाता है। वे अमेरिका के सबसे गरीब राष्ट्रपति थे और कभी स्कूल तक नहीं जा पाए थे। उन्होंने 1867 में सिर्फ 72 लाख डॉलर में रूस से अलास्का को खरीद लिया था। वे पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्हें महाभियोग के दौरान दोषी पाया गया।

लिंकन की हत्या के बाद कई रिपब्लिकन नेता दास प्रथा जारी रखने वाले लोगों को सजा देने और गुलामों के अधिकारों की रक्षा करने वाले कानून बनाने की मांग कर रहे थे। जॉनसन इसमें बाधा बन रहे थे। वे बार-बार वीटो लगाकर कानून बनने से रोक रहे थे।

इसके बाद पहली बार जॉनसन के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। संसद में राष्ट्रपति को दोषी ठहराया गया। इससे उनकी छवि को बहुत नुकसान पहुंचा। जॉनसन को अगले चुनाव में डेमोक्रेट्स पार्टी ने नामित नहीं किया गया। इस वजह से एंड्रयू जॉनसन अगली बार राष्ट्रपति नहीं बन पाए।

फ्रैंकलिन पियर्स- 1856

फ्रैंकलिन पियर्स अमेरिका के 14वें राष्ट्रपति थे।

फ्रैंकलिन पियर्स अमेरिका के 14वें राष्ट्रपति थे।

वजह- दासता का समर्थन करना पड़ा भारी, पार्टी के नेता ही हुए खिलाफ

फ्रैंकलिन पियर्स जब अमेरिका के राष्ट्रपति थे तब वहां पर रेलवे का विस्तार हो रहा था। उत्तरी राज्यों में नई पटरियां बिछाने, स्टेशन बनाने के लिए व्यापारियों को भारी संख्या में गुलामों की जरुरत थी। इस दौरान 1854 में इलिनोइस में कैनसस-नेब्रास्का पैक्ट पेश किया था। ये पैक्ट दासता का समर्थन करता था।

राष्ट्रपति फ्रैंकलिन ने इस कानून का समर्थन कर दिया। इसकी वजह से अमेरिका में गृहयुद्ध का संकट पैदा हो गया था। डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक अपने ही राष्ट्रपति के खिलाफ हो गए। पार्टी ने पियर्स की उम्मीदवारी रद्द कर दी और उनकी जगह जेम्स बुकनन को अपना उम्मीदवार बनाया। बुकनन चुनाव जीत गए।

मिलार्ड फिल्मोर- 1852

मिलार्ड फिल्मोर अमेरिका के 13वें राष्ट्रपति थे।

मिलार्ड फिल्मोर अमेरिका के 13वें राष्ट्रपति थे।

वजह- गुलामी प्रथा को और मजबूत किया, इसलिए नहीं मिला सपोर्ट

मिलार्ड फिलमोर व्हिग पार्टी के नेता थे और 1850 में जैकरी टेलर की मौत के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे। उनके कार्यकाल में फ्यूजिटिव स्लेव एक्ट लागू हुआ था। इसमें गुलामों से जुड़े कई कानून बनाए गए थे। इसमें मालिक को आजाद हो चुके या फिर भाग चुके गुलामों को पकड़ने और उन पर मुकदमा चलाने का अधिकार दिया गया था।

इस कानून की खूब आलोचना हुई। जून 1852 में व्हिग पार्टी के सम्मेलन में फिलमोर को नहीं चुना गया और इसके बजाय विनफील्ड स्कॉट को उम्मीदवार बनाया गया। स्कॉट डेमोक्रेट फ्रैंकलिन पियर्स से चुनाव हार गये।

जॉन टाइलर- 1844

जॉन टाइलर अमेरिका के 10वें राष्ट्रपति थे।

जॉन टाइलर अमेरिका के 10वें राष्ट्रपति थे।

वजह- टेक्सास को शामिल कराने वाले टाइलर को करना पड़ा गुलामी प्रथा का समर्थन, इसलिए नहीं मिला टिकट

व्हिग पार्टी के नेता विलियम हेनरी हैरिसन की गंभीर बीमारी से मौत के बाद जॉन टाइलर को अमेरिका का राष्ट्रपति बनाया गया। यह पहली बार था जब किसी राष्ट्रपति की मृत्यु के बाद एक उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रपति का पद संभाला था।

टाइलर ही वो राष्ट्रपति थे जिनके कार्यकाल में टेक्सास, अमेरिका का हिस्सा बना था। टेक्सास इसी शर्त पर अमेरिका में शामिल हुआ कि वहां गुलामी प्रथा चलने दी जाएगी। टाइलर ने इसके लिए हामी भर दी। पार्टी में इसके खिलाफ बगावत शुरू हो गई। व्हिग पार्टी ने टायलर को नामांकन देने से मना कर दिया और उसकी जगह हेनरी क्ले को चुना। हालांकि क्ले चुनाव हार गए।



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