वॉशिंगटन1 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
लेखिका केहलर कहती हैं… हर बच्चा अद्वितीय है, अनजाने में बेटियों पर अतिरिक्त दबाव न डालें।
कुछ दिन पहले मेरी 4 साल की बेटी और मैं स्विमिंग क्लास जा रहे थे, तभी एक व्यक्ति ने कहा कितनी सुंदर बच्ची है। हम वहां से तुरंत निकल गए, बेटी ने पूछा- मां, उसने क्या कहा? मैंने झूठ बोला कि उस आदमी को तुम्हारी टोपी पसंद है। मैं नहीं चाहती थी कि उसे ‘सुंदर’ लेबल पर गर्व हो… लेखिका केटी केलेहर कहती हैं, ‘सुंदर’ शब्द का इस्तेमाल उन्हें यह सिखाता है कि यह आदर्श है, उन्हें ऐसा ही बनना चाहिए, पर अक्सर इसमें बाहरी रंग-रूप पर फोकस होता है। शायद ही कभी हम इस तारीफ के दुष्प्रभाव के बारे में विचार करते हैं। अपनी किताब ‘द अग्ली हिस्ट्री ऑफ ब्यूटीफुल थिंग्स’ में केटी ने इससे जुड़े जोखिमों पर चर्चा की है, पढ़िए…
उसे अंदरूनी खूबसूरती की अहमियत बताएं… सौंदर्य से जुड़े शब्दों की ताकत को खत्म कर दें
‘जब मैं बच्ची थी, तो मुझे लगता था कि सुंदर होना महत्वपूर्ण करेंसी है, जिसे संभावित रूप से शक्ति, धन या खुशी के लिए बदला जा सकता है। 12 साल की उम्र में मुझे सुंदर दिखाने के लिए मां ने हर वो जतन किए जो उन्होंने कभी किए थे। मैं मां को दोषी नहीं ठहराती, हालांकि मुझे इस बात पर नाराजगी होती है कि ‘सुंदर’ शब्द का मेरे जीवन पर कितना गहरा असर रहा है। जब मुझे लगता कि मैं ‘उतनी सुंदर नहीं हूं तो खुद को शक्तिहीन महसूस करती थी।
छोटी उम्र से ही हम लड़कियों को अच्छा और विनम्र होना, ध्यान आकर्षित करना सिखाते हैं। यह एक पतली रेखा है जिस पर हम उनसे चलने की उम्मीद करते हैं। जबकि सुंदर शब्द से हम अवचेतन रूप से बेटियों को जता देते हैं कि वे बाहरी तौर पर सुंदर हैं, भले ही हमारा इरादा ऐसा न हो। अनजाने में हम लड़कियों पर अतिरिक्त दबाव डाल रहे हैं कि वे गुणों या उपलब्धियों पर फोकस करने के बजाय अपने दिखने के तरीके के बारे में ज्यादा चिंतित हों।
कम उम्र में लड़कियों को ऐसे व्यवहार और शब्दों से रूबरू कराया जाना चाहिए, जो उनका व्यक्तित्व निखारने में मदद करें। हम अपनी इस धारणा को बदलने के लिए ‘वह स्मार्ट है या निडर है’ जैसी बातें कह सकते हैं क्योंकि सुंदर, सिर्फ दिखने के तरीके से जुड़ी सतही चीजों को मापता है। बेटी से उसकी किसी खासियत या कौशल के बारे में बात करें जो अद्वितीय है। शायद वह खाना बढ़िया बनाती है, या उसकी कोई बात बहुत प्रेरणादायक है।
इसके अलावा सुंदर शब्द का विरोध करने के बजाय हम इसे अनदेखा कर दें। इस शब्द को कमजोर कर दें, इसकी शक्ति खत्म कर दें और इसकी जगह दूसरे पहलुओं की तारीफ करें। अपने अनुभव से मैंने यही सीखा है कि हर बच्चा अद्वितीय है।
उसे महज तीन अक्षरों (सुंदर) में नहीं बांध सकते। मैं चाहती हूं कि हम सभी एक ‘वस्तु’ बढ़कर बनें। एक बच्चे को आत्म-मूल्य की आंतरिक, व्यापक भावना के साथ बड़ा करना छोटा काम नहीं है। लेकिन यही वह जगह है, जहां मैं अभी अपनी ऊर्जा लगा सकती हूं। यह अच्छा भी लगता है।’ – केटी केलेहर
Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.
Source link