Pentagon confirms strikes against 85 targets in Iraq and Syria | अमेरिका का इराक-सीरिया के 85 ठिकानों पर हमला: ड्रोन हमले का जवाब दिया, जिसमें 3 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी


4 मिनट पहले

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अमेरिका ने शुक्रवार देर रात इराक और सीरिया के 85 ठिकानों पर मिसाइल से हमला किया। ये अटैक 13 दिन पहले जॉर्डन में ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत के जवाब में किया गया।

इराक में 20 जनवरी को अमेरिकी फौज पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला हुआ था। इसमें कई अमेरिकी सैनिक घायल हुए थे। अमेरिका की सेंट्रल कमांड ने इस हमले के पीछे ईरान के समर्थन वाले गुट को बताया था। तब से राष्ट्रपति जो बाइडेन और अन्य टॉप अमेरिकी नेता लगातार चेतावनी दे रहे थे कि अमेरिका मिलिशिया पर जवाबी हमला करेगा।

अमेरिकी एयरबेस पर दागे गए थे रॉकेट
ईरान के समर्थन वाले सैन्य गुटों ने कई रॉकेट और मिसाइलें दागीं थीं। इनमें से कई मिसाइलों को पहले ही हवा में ही मार दिया था। हालांकि, कुछ मिसाइलें एयरबेस पर अटैक करने में कामयाब रही। अमेरिकी एयरबेस पर हमले से पहले ईरान ने इजराइल पर सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक इमारत पर एयरस्ट्राइक करने का आरोप लगाया था। ईरानी मीडिया IRNA के मुताबिक, इसमें 5 लोगों की मौत हुई थी। मरने वालों में ईरान के 4 मिलिट्री एड्वाइजर और सीरिया में ईरानी सेना का चीफ इंटेलिजेंस ऑफिसर शामिल था।

इसके बाद ईरान ने बदला लेने की धमकी दी थी। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इजराइल-हमास जंग अब मिडिल ईस्ट में फैलने लगी है। ईरान और अमेरिका सीधे न लड़कर सीरिया और ईराक जैसे देशों का सहारा ले रहे हैं। जो पहले से ही आतंक की गिरफ्त में हैं। इजराइल-हमास जंग शुरू होने के बाद इराक-सीरिया में अमेरिका पर 140 से ज्यादा बार हमला हुआ है।

इराक में और अमेरिकी सैनिकों के घुसने पर पाबंदी
इराक के प्रधानमंत्री अल सुदानी ने अपने देश में और अमेरिकी सैनिकों के घुसने पर पाबंदी लगा दी है। सुदानी ने कहा है कि अमेरिकी सैनिकों को इराक से निकालने के लिए एक समय सीमा तय करने की जरूरत है। दरअसल, सूदानी नहीं चाहते की ईरान और अमेरिका की दुश्मनी से उनके देश में कोई नई जंग छिड़ जाए। सुदानी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि ये हमें बिल्कुल मंजूर नहीं है कि कुछ देश आपसी लड़ाई के बीच हमारी जमीन का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।

इराक में क्या कर रही अमेरिकी सेना
जुलाई 1979, 42 साल का सद्दाम हुसैन इराक का राष्ट्रपति बनता है। इसके बाद सद्दाम के इशारे पर सेना ईरान और कुवैत से जंग लड़ती है। 1991 में अमेरिका एक ऑपरेशन चलाकर कुवैत से इराकी सेना को खदेड़ता है। सद्दाम पर विरोधियों को बेरहमी से मरवाने के आरोप लगते हैं। 2001 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश इराक को दुष्ट देश घोषित कर देते हैं। यहीं से इराक में अमेरिकी घुसपैठ की नींव पड़ती है।

अमेरिका पर 9/11 के हमले के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इराक पर अलकायदा से मिले होने का आरोप लगाया। बुश के विदेश मंत्री कोलिन पॉवेल ने फरवरी 2003 में UNSC में दावा किया कि इराक केमिकल हथियार बना रहा है। इराक में घुसपैठ करने का अमेरिकी प्रस्ताव दूसरे देशों ने खारिज कर दिया। इसके बावजूद अमेरिका ने साथी देशों के साथ 20 मार्च 2003 को इराक पर हमला कर दिया।

सद्दाम को फांसी के 5 साल बाद यानी 2011 तक अमेरिकी सेना इराक में रही। इसके बाद 2014 में ISIS से लड़ने के लिए वापस लौट आई। फिलहाल इराक में अमेरिका के 2500 सैनिक तैनात हैं।



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