5 मिनट पहले
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रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने आशंका जताई है कि फ्रांस के सैन्य अधिकारी पहले से ही यूक्रेन में मौजूद हैं।
रूस ने चेतावनी दी है कि अगर यूक्रेन में फ्रांसीसी सेना का कोई भी अफसर मौजूद रहेगा तो वह उस पर हमला जरूर करेगा। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि यूक्रेनी अधिकारियों ने बताया था कि उनके सैनिकों को फ्रांस ट्रेनिंग दे रहा है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लावरोव ने कहा, “मुझे लगता है कि फ्रांस के मिलिट्री इंस्ट्रक्टर यूक्रेन में हैं। यहां मौजूद हर सैन्य अधिकारी हमारी आर्मी के लिए एक टारगेट हैं।” दरअसल, यूक्रेन के टॉप कमांडर ने पिछले हफ्ते जानकारी दी थी कि यूक्रेन ने फ्रांस के साथ पेपरवर्क साइन किया है। इसके तहत फ्रांस के सैन्य प्रशिक्षक जल्द ही यूक्रेन के ट्रेनिंग सेंटर्स पहुंचेंगे।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की शुक्रवार (7 जून) को पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से मुलाकात करेंगे। इस दौरान दोनों नेता रूस के साथ जंग के बीच यूक्रेन की जरूरतों पर चर्चा करेंगे।
रूस बोला- स्विटजरलैंड में होने वाली बैठक रूस विरोधी गुट को बचाने की कोशिश
अफ्रीकी देश कॉन्गो के दौर पर गए रूसी विदेश मंत्री ने 15-16 जून को स्विट्जरलैंड में होने वाली यूक्रेनी पीस समिट पर भी बात की। उन्होंने कहा कि किसी भी चर्चा की शुरुआत तब हो सकती है, जब हम अभी की हकीकत को स्वीकार करेंगे। स्विटजरलैंड में होने वाली कॉन्फ्रेंस का कोई मतलब नहीं है। वह इस चर्चा के जरिए रूस विरोधी गुट को बचाना चाहते हैं, जो जल्द ही टूटने वाला है।
दरअसल, 2 साल से ज्यादा समय से जारी इस जंग में रूस अब तक यूक्रेन की 18% जमीन पर कब्जा कर चुका है। दूसरी तरफ, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रूस के बयान पर प्रक्रिया देने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि 6 जून को डी-डे की 80वीं सालगिरह से जुड़े कार्यक्रमों में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की उनके साथ मौजूद होंगे। मैक्रों तभी यूक्रेन के लिए फ्रांस के समर्थन से जुड़ी जानकारी साझा करेंगे।
फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा था- जरूरत पड़ी तो यूक्रेन में सैनिक भेजेंगे
दरअसल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पिछले महीने कहा था कि अगर यूक्रेन ने मदद मांगी तो वे अपने सैनिकों को वहां भेज सकते हैं। इसके ठीक एक दिन बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड कैमरून ने भी कहा था कि यूक्रेन अगर चाहे तो वह रूस पर हमला करने के लिए ब्रिटिश हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।
रूस ने इन दोनों बयानों का विरोध किया था। इसके बाद राष्ट्रपति पुतिन ने 28 मई को यूक्रेन को हथियार देने वाले देशों को चेतावनी दी थी। पुतिन ने दावा किया था कि यूक्रेन में पश्चिमी देशों के भाड़े के सैनिक लड़ रहे हैं और इन्हें सबसे ज्यादा फ्रांस भेज रहा है। इन भाड़े के सैनिकों की आड़ में वहां विशेषज्ञ भी मौजूद हैं, जो यूक्रेन की मदद कर रहे हैं।
यूक्रेन समर्थक देशों को पुतिन की चेतावनी- गंभीर परिणाम भुगतने होंगे
पुतिन ने अपनी सेना को परमाणु हथियारों की ड्रिल करने का आदेश दिया है। साथ ही उन्होंने पश्चिमी देशों को धमकी दी थी कि यूक्रेन जिस देश से मिले हथियारों से रूस पर हमला करेगा, उस देश को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
इससे पहले मार्च में भी फ्रांस के राष्ट्रपति ने यूक्रेन में सेना उतारने की संभावनाओं को खारिज करने से इनकार कर दिया था। फ्रांसीसी अखबार ला पेरिसियन से बात करते हुए मैक्रों ने कहा था कि मैं इसकी पहल नहीं करूंगा पर हमें रूसी सेना को खदेड़ने के लिए यूक्रेन में ग्राउंड ऑपरेशन चलाने की जरूरत है। लेकिन फ्रांस में इतनी (जंग में उतरने) की ताकत है, वो ऐसा कर सकता है।
जंग पर कैसे बदला मैक्रों का रुख
जंग के शुरुआती दौर में मैक्रों रूस के खिलाफ कठोर कदम उठाकर युद्ध का दायरा बढ़ाने के खिलाफ थे। वो हर मंच पर जाकर ये अपील करते थे कि नाटो देश रूस को अलग-थलग न करें। हालांकि, हाल ही के दिनों में उनका बिल्कुल पलट गया है। मैक्रों अब कहते हैं कि यूक्रेन को मदद देना कम करने का मतलब रूस के सामने घुटने टेक देना है।
मैक्रों ने पहले कहा था कि पुतिन से बातचीत के माध्यम बंद नहीं किए जाने चाहिए। उन्होंने अब एक इंटरव्यू में कहा कि रूस के जंग जीतने से पूरा यूरोप खतरे में पड़ेगा। उन्होंने यूक्रेन में सैनिक उतारने के बयान का बचाव करते हुए कहा ‘2 साल पहले हमने कहा था कि टैंक नहीं भेजेंग पर हमने भेजे। हमने कहा था कि मिसाइलें नहीं भेजेंगे पर हमने भेजी।’
मैक्रों ने खुलकर ये बात स्वीकार की है कि जंग पर उनकी सोच बदली है। उन्होंने इसकी वजह नवलनी की मौत और रूस की तरफ सायबर अटैक बताए हैं। उन्होंने कहा ‘रूस ऐसी ताकत बन गया है जो यहीं नहीं रुकेगा। अगर हमने यूक्रेन को अकेला छोड़ा तो रूस मोलदोव, रोमानिया और पोलैंड को धमकाएगा।
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