Azerbaijan Supports Pakistan on Kashmir Issue | India | अजरबैजान के विदेश मंत्री ने PAK में उठाया कश्मीर मुद्दा: कहा- UN के प्रस्तावों के तहत समाधान निकले; पाकिस्तान ने दिया धन्यवाद


इस्लामाबाद2 मिनट पहले

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अजरबैजान के विदेश मंत्री जेहुन बायरामोव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर उनकी स्थिति हमेशा एक जैसी रही है। - Dainik Bhaskar

अजरबैजान के विदेश मंत्री जेहुन बायरामोव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर उनकी स्थिति हमेशा एक जैसी रही है।

अजरबैजान के विदेश मंत्री जेहुन बायरामोव दो दिवसीय यात्रा पर पाकिस्तान में हैं। यात्रा के दूसरे दिन उन्होंने पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ दिया।

जेहुन बायरामोव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर अजरबैजान की स्थिति हमेशा एक जैसी रही है। अजरबैजान कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थक है। हमारा मानना है कि कश्मीर समस्या का समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत होना चाहिए।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अजरबैजान के विदेश मंत्री ने नागोर्नो-काराबाख मुद्दे पर पाकिस्तान सरकार के राजनीतिक और नैतिक समर्थन की भी सराहना की। इसके जवाब में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने बारयामोव के कश्मीर मुद्दे को उठाने पर उनका धन्यवाद दिया।

नागोर्नो-कारबाख क्षेत्र आर्मेनियाई सीमा से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। यह काकेशस पर्वत में स्थित है और 4,400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

नागोर्नो-कारबाख क्षेत्र आर्मेनियाई सीमा से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। यह काकेशस पर्वत में स्थित है और 4,400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

आर्मेनिया का साथ देने से भारत से नाराज रहता है अजरबैजान
अजरबैजान के भारत से नाराज होने की वजह ये है कि भारत अर्मेनिया को समर्थन देता है। जबकि अजरबैजान और अर्मेनिया के बीच सीमा विवाद के चलते सालों से तनाव की स्थिति है। दरअसल,​ ​नागोर्नो-काराबाख इलाका तीन दशक से भी अधिक समय से अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। दोनों देश इस इलाके पर कब्जा करना चाहते हैं।

ये इलाका अंतरराष्‍ट्रीय रूप से अजरबैजान का हिस्‍सा है, लेकिन यहां रहने वाली अधिकांश आबादी आर्मेनियाई मूल की है। यही वजह है कि दोनों देश इस इलाके को अपना हिस्सा बताते हैं।

1991 में नागोर्नो-कारबाख के लोगों ने अजरबैजान से आजादी और खुद को आर्मेनिया का हिस्सा घोषित कर दिया था। इसके बाद से आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच इस हिस्से पर कब्जा करने को लेकर संघर्ष होता रहता है।

आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच अब तक 2 बड़ी लड़ाईयां हो चुकी हैं। दोनों देशों के बीच 2023 में भी झड़प हुई थी। इस इलाके में चलने वाले संघर्ष की वजह से अभी तक 30 हजार से ज्यादा आम नागरिक मारे जा चुके हैं

तस्वीर भारत के पिनाका रॉकेट सिस्टम की है। इसे लेकर भी आर्मेनिया और भारत के बीच डील हो चुकी है।

तस्वीर भारत के पिनाका रॉकेट सिस्टम की है। इसे लेकर भी आर्मेनिया और भारत के बीच डील हो चुकी है।

अजरबैजान का मददगार इजराइल, देता है हथियार
अजरबैजान को तुर्की, पाकिस्तान के अलावा इजराइल का भी समर्थन मिलता है। अजरबैजान को लेकर दावा किया जाता है कि वह इजराइल को ईरान के खिलाफ खुफिया ऑपरेशन का संचालन करने में मदद करता है। इसके बदले में इजराइल, अजरबैजान को ड्रोन, एयर डिफेंस सिस्टम सहित अन्य हथियारों से मदद करता है।

आर्मेनिया को भारत, ग्रीस, ईरान का मिलता है साथ
आर्मेनिया को भारत सहित ईरान, फ्रांस और ग्रीस का समर्थन मिलता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक तुर्की और अजरबैजान के बीच घनिष्ठ संबंध होने के कारण ग्रीस, आर्मेनिया का साथ देता है। गौरतलब है कि ग्रीस और तुर्की के बीच लंबे समय से दुश्मनी है।

अजरबैजान को इजराइल का सपोर्ट मिलने की वजह से ईरान, आर्मेनिया का मददगार है। इसके साथ ही पाकिस्तान का समर्थन करने की वजह से आर्मेनिया को भारत का साथ मिलता है। आर्मेनिया ने अपनी सेना को मजबूत करने के लिए भारत से कई हथियारों की खरीद की है।

भारत-आर्मेनिया के बीच हुई थी 6 हजार करोड़ की डिफेंस डील
पिछले साल आर्मेनिया ने भारत के साथ एक डिफेंस डील की थी। इसके लिए दोनों देशों में करीब 6 हजार करोड़ रुपए का समझौता हुआ। इसके तहत भारत ने आर्मेनिया को देश में निर्मित एंटी एयर सिस्टम आकाश सप्लाई करने की डील हुई थी।

हवाई हमले रोकने वाले इस सिस्टम में तोप, गोला-बारूद और ड्रोन शामिल हैं। इससे पहले भारत-आर्मेनिया में पिनाका रॉकेट और मिसाइल के लिए भी डील हुई थी। भारत और आर्मेनिया की इस डिफेंस डील पर अजरबैजान ने नाराजगी जाहिर की थी।

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