Hamas Gaza War; Israel PM Benjamin Netanyahu Arrest Warrant Vs ICC | नेतन्याहू के खिलाफ जारी हो सकता है अरेस्ट वारंट: इंटरनेशनल कोर्ट में उठी मांग; आरोप- फिलिस्तीनियों पर हमले करवाए, गाजा को तबाह करने की कोशिश


3 मिनट पहले

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इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के अलावा रक्षा मंत्री योव गैलेंट के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट की मांग की गई है। (फाइल) - Dainik Bhaskar

इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के अलावा रक्षा मंत्री योव गैलेंट के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट की मांग की गई है। (फाइल)

हमास के साथ जंग के बीच इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जा कर सकता है। उन पर हमास जंग में युद्ध अपराध का आरोप है। ICC के चीफ प्रॉसिक्यूटर करीम खान ने कोर्ट में नेतन्याहू और इजराइल के रक्षा मंत्री के खिलाफ अरेस्ट वारंट की मांग की है।

BBC के मुताबिक, करीम खान ने कहा है कि नेतन्याहू और इजराइल के रक्षा मंत्री पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर इजराइल सेना को फिलिस्तीनी नागरिकों को टारगेट करने का आदेश दिया। उन्होंने गाजा में मानवीय मदद को पहुंचने से रोका, जिससे वहां भुखमरी के हालात बन गए।

इसके अलावा नेतन्याहू ने जंग के बहाने फिलिस्तीनियों की हत्याएं करवाईं और गाजा को तबाह करने की कोशिश की। ICC के जज अब इस बात पर विचार कर रहे हैं कि वे नेतन्याहू के खिलाफ वारंट जारी करेंगे या नहीं।

हमास के लीडर इस्माइल हानिए के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी करने की मांग की गई है।

हमास के लीडर इस्माइल हानिए के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी करने की मांग की गई है।

नेतन्याहू बोले- वारंट मेरे नहीं बल्कि पूरे इजराइल के खिलाफ होगा
दूसरी तरफ नेतन्याहू ने सोमवार (20 मई) को अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेतुका और झूठा बताया। उन्होंने कहा कि अगर वारंट जारी होता है तो ये सिर्फ एक नेता नहीं बल्कि पूरे इजराइल के खिलाफ होगा।इजराइली नेताओं के अलावा अंतरराष्ट्रीय कोर्ट हमास के लीडर इस्माइल हानिए और याह्या सिनवार के खिलाफ भी युद्ध अपराधों को लेकर वारंट जारी कर सकता है।

हमास नेताओं पर आरोप हैं कि 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमले के दौरान वहां के नागरिकों और खासकर महिलाओं पर अत्याचार किए गए। UN और कई मीडिया रिपोर्ट्स में इजराइलियों की बेरहमी से हत्या और रेप के दावे किए गए हैं।

हमले के दौरान हमास ने करीब 250 इजराइली नागरिकों को किडनैप कर लिया था। इसके बाद इजराइल और हमास में जंग शुरू हो गई, जिसमें अब 35,500 फिलिस्तीनी मारे गए।

‘इजराइल और हमास के बीच कोई समानता नहीं’
सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी ICC के गिरफ्तारी वारंट का विरोध किया। उन्होंने कहा, “इजराइल और हमास के बीच कोई समानता नहीं है। इजराइल अपने नागरिकों की सुरक्षा करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहा है। अमेरिकी की विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी गिरफ्तारी वारंट को सिरे से खारिज कर दिया।

ब्लिंकन ने कहा कि नेतन्याहू को गिरफ्तार करने के लिए ICC के पास कोई अधिकार नहीं है। उनके मुताबिक, ICC ने अगर गिरफ्तारी वारंट जारी किया तो ये युद्धविराम समझौते तक पहुंचने में बड़ा रोड़ा साबित होगा।

दूसरी तरफ, यूरोपीय देश फ्रांस ने नेतन्याहू के खिलाफ अरेस्ट वारंट के मामले में अमेरिका का साथ देने से इनकार कर दिया है। फ्रांस ने कहा कि वह इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट और उसकी आजादी का समर्थन करता है। फ्रांस ने कई बार गाजा में मानवीय अपराधों के खिलाफ चेतावनी जारी की थी। अब ICC जो फैसला करेगा, वह उसे स्वीकार होगा।

ICC के प्रॉसिक्यूटर करीम खान ने बताया कि इजराइली रक्षा मंत्री योव गैलेंट, हमास के नेता इस्माइल हानिए और हमास के मिलिट्री चीफ मोहम्मद देइफ के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी करने की मांग की गई है।

2002 में शुरू हुआ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट
1 जुलाई 2002 को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी ICC की शुरुआत हुई थी। ये संस्था दुनियाभर में होने वाले वॉर क्राइम, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच करती है। ये संस्था 1998 के रोम समझौते पर तैयार किए गए नियमों के आधार पर कार्रवाई करती है।

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का मुख्यालय द हेग में है। ब्रिटेन, कनाडा, जापान समेत 123 देश रोम समझौते के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्य हैं। ICC ने यूक्रेन में बच्चों के अपहरण और डिपोर्टेशन के आरोपों के आधार पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था।

ICC के वारंट पर देश गिरफ्तारी के लिए बाध्य नहीं
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सभी सदस्य देशों को वारंट भेजता है। ICC का ये वारंट सदस्य देशों के लिए सलाह की तरह होता है और वो इसे मानने के लिए बाध्य नहीं होते हैं। इसकी वजह यह है कि हर संप्रभु देश अपने आतंरिक और विदेश मामलों में नीति बनाने के लिए स्वतंत्र होता है। दूसरी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की तरह ही ICC भी हर देश की संप्रभुता का सम्मान करती है।

अपने 20 साल के इतिहास में ICC ने मार्च 2012 में पहला फैसला सुनाया था। ICC ने ये फैसला डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के उग्रवादी नेता थॉमस लुबांगा के खिलाफ सुनाया था। जंग में बच्चों को भेजे जाने के आरोप में उसके खिलाफ केस चलाया गया था। इस आरोप में उसे 14 साल के लिए जेल की सजा सुनाई गई थी।

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