पेरिस3 मिनट पहले
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को फ्री तिब्बत के पोस्टर दिखाए गए।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2 दिन के फ्रांस दौरे पर हैं। इस दौरान सोमवार को पेरिस में तिब्बतियों ने उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए। तिब्बत की आजादी की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के काफिले को ‘फ्री तिब्बत’ के झंडे दिखाए। साथ ही उइगर मुस्लिम समुदाय ने भी जिनपिंग पर मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाकर उनके फ्रांस दौरे का विरोध किया।
दरअसल, 23 मई 1951 को चीन ने तिब्बत पर जबरन कब्जा कर लिया था। तब से तिब्बत के लोग लगातार अलग-अलग मंचों से इसका विरोध कर रहे हैं। जिनपिंग 2019 के बाद पहली बार यूरोप की यात्रा पर हैं। इसी यात्रा के विरोध में स्टूडेंट्स फॉर ए फ्री तिब्बत (SFT) नाम की संस्था ने चीन के खिलाफ बैनर और झंडे फहराए। इसके बाद पुलिस ने दो कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।
फ्रांस में जगह-जगह लोगों ने फ्री तिब्बत के पोस्टर लगे।
फ्रांसीसी नेता जिनपिंग का विरोध करेंगे
ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन से जिनपिंग के सामने उइगर, तिब्बतियों और हांगकांग के लोगों की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों का मुद्दा उठाने की मांग की है। साथ ही उन लोगों को जेल से छोड़ने को कहा गया है, जो सालों से अपने हक की आवाज उठाने के चलते चीन में कैद है।
पेरिस में लगभग दो हजार लोगों ने जिनपिंग का विरोध किया।
तिब्बती लोगों ने मैक्रों से कहा है कि वो चीन के बोर्डिंग स्कूलों में तिब्बती बच्चों के दमन के मामले में जिनपिंग से जवाब देने को कहें। वहीं फ्रांस के कई नेता यूक्रेन जंग में रूस का साथ देने पर जिनपिंग का विरोध करेंगे।
फ्रांस के प्रधानमंत्री गेब्रियल अटल (बाएं) ने पेरिस एयरपोर्ट पर जिनपिंग का स्वागत किया।
फ्रांस और चीन के बीच राजनयिक संबंधों के 60 साल पूरे
जिनपिंग फ्रांस और चीन के बीच राजनयिक संबंधों के 60 साल पूरे का जश्न मनाने के लिए पहुंचे। वो अपनी इस यात्रा के बाद हंगरी और सर्बिया भी जाएंगे। फ्रांस के प्रधानमंत्री गेब्रियल अटाल ने रविवार (5 मई) को जिनपिंग और उनकी पत्नी पेंग लियुआन का पेरिस एयरपोर्ट पर स्वागत किया।
जिनपिंग आज यूरोपियन कमीशन की चीफ उर्सुला वॉन डेर लेयेन और मैक्रॉन के साथ रात को एलसी पैलेस में राजकीय भोज करेंगे। इसी दौरान रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने की बात होगी। हालांकि, जिनपिंग साफ कर चुके है कि चीन जंग में किसी एक पक्ष का समर्थन नहीं करता है।
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