1 मिनट पहले
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने संबोधन के दौरान कांग्रेस को भी 2008 में हुए हमले पर एक्शन न लेने के लिए घेरा।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत की आलोचना करने पर पश्चिमी मीडिया की निंदा की। हैदराबाद में एक कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा,” पश्चिमी मीडिया भारत के चुनावों में अपने आप को पॉलिटिकल प्लेयर समझती हैं।”
जयशंकर ने आगे कहा, “मैं पश्चिमी मीडिया में भारत के खिलाफ उठने वाली आवाजों से वाकिफ हूं। अगर वो लोकतंत्र की आलोचना करता हैं तो इसकी वजह जानकारी की कमी नहीं है। वे ऐसा करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इसका भारत के चुनाव पर असर पड़ेगा।”
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि गर्मी के बावजूद भारत में जितना मतदान होता है वो पश्चिमी देशों के सबसे बड़े वोटिंग रिकॉर्ड से भी ज्यादा है।
जयशंकर बोले- विदेशी मीडिया का भ्रम दूर करने की जरूरत
जयशंकर ने अपने संबोधन के दौरान विदेशी मीडिया आउटलेट में छपे एक आर्टिकल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “एक लेख में लिखा था कि भारत में इतनी गर्मी है, वे इस समय चुनाव क्यों करा रहे हैं? इस पर मैं कहना चाहता हूं कि इस गर्मी में भी भारत में जितना मतदान होता है वो आपके सबसे बड़े वोटिंग रिकॉर्ड से भी ज्यादा है।”
“हमारी राजनीति अब वैश्विक स्तर पर पहुंच रही है। विदेशी मीडिया को लगता है कि उन्हें इसमें दखल देने की जरूरत है। अब समय आ गया है कि हम उनका यह भ्रम दूर कर दें। ऐसा सिर्फ आत्मविश्वास के जरिए किया जा सकता है।”
पश्चिमी मीडिया के अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कांग्रेस पर भी 2008 के मुंबई हमले के बाद एक्शन न लेने का आरोप लगाया है। जयशंकर ने कहा, “2008 के हमले के बाद UPA सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया। हम हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि UPA सरकार का मानना था कि पाकिस्तान पर हमला न करना देश के लिए ज्यादा फायदेमंद है।”
अमेरिकी रिपोर्ट में दावा- भारत सरकार ने मीडिया कंपनियों पर दबाव डाला
विदेश मंत्री की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय पर आई है, जब 2 दिन पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने ह्यूमन राइट्स पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि भारत सरकार ने उन मीडिया आउटलेट्स पर दबाव डाला जो सरकार की आलोचना करते हैं।
2023 में, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने अपने प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत को 180 देशों में से 161वां स्थान दिया। इस सर्वे पर कई सवाल भी उठाए गए थे कि भारत तालिबान के शासन वाले अफगानिस्तान से नीचे कैसे आ गया। हालांकि भारत सरकार ने इन रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया था। सरकार ने कहा था कि यह सब राजनीतिक मकसद से किया गया है।
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