Horror Movie Actress Jasmine Dhunna Disappearance Mystery | Dawood Ibrahim | वीराना एक्ट्रेस पर थीं अंडरवर्ल्ड की नजरें: 11 की उम्र में हीरोइन बनीं, 1988 में हुईं लापता, 35 साल से गुमनाम जिंदगी सवालों में

15 मिनट पहलेलेखक: ईफत कुरैशी

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साल 1988 की कल्ट क्लासिक फिल्म ‘वीराना’ का जिक्र हर किसी ने कहीं न कहीं जरूर सुना होगा। ये हॉरर फिल्म लीड एक्ट्रेस जैस्मिन धुन्ना की खूबसूरती और बोल्डनेस के चलते सुर्खियों में रही थी। किसी गुड़िया की तरह खूबसूरत गहरी आंखों वालीं जैस्मिन ने फिल्म में भूत बनकर लोगों का ध्यान खींचा था, लेकिन यही खूबसूरती उनकी गुमनामी और कई सवालों का कारण बनी। कहा जाता है कि उनकी खूबसूरती से मोहित होकर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम उन्हें हासिल करना चाहता था। जैस्मिन को लगातार अंडरवर्ल्ड से धमकी भरे कॉल आते थे और इसी बीच वो अचानक गुमशुदा हो गईं। 35 साल से उन्हें किसी ने देखा तक नहीं। वो कहां हैं और किस हाल में हैं, इससे जुड़ी कोई पुख्ता खबर अब तक सामने नहीं आई। कभी कहा गया कि अंडरवर्ल्ड के लोगों ने उन्हें किडनेप करवा लिया था, तो कहीं बोला गया कि वो जान बचाने के लिए गुमनाम जिंदगी जी रही हैं।

आज अनसुनी दास्तान में जानिए कहानी जैस्मिन धुन्ना के स्टारडम और गुमशुदगी की-

साल 1968 में जैस्मिन धुन्ना का जन्म मुंबई में हुआ था। मिडिल क्लास परिवार में जन्मीं जैस्मिन अपने पेरेंट्स की इकलौती संतान थीं। बड़े नाजों से पलीं जैस्मिन बचपन से ही फिल्में देखने और अभिनय करने में रुचि रखती थीं। यही वजह रही कि जब भी स्कूल में कोई कल्चरल प्रोग्राम होता, तो जैस्मिन हमेशा प्ले और डांस में हिस्सा लिया करती थीं। देखने में बेहद खूबसूरत जैस्मिन जब मंच पर अभिनय करती थीं, तो हर छोटे-बड़े शख्स का ध्यान खींच लिया करती थीं।

11 साल की उम्र में मिली थी पहली फिल्म

साल 1979 की बात है। जैस्मिन अपने स्कूल के एक प्रोग्राम में अभिनय कर रही थीं। प्रोग्राम में उस दौर के मशहूर राइटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर एन.डी.कोठारी भी शामिल हुए थे। जैसे ही जैस्मिन ने अभिनय शुरू किया, तो एन.डी.कोठारी उन्हें देखते ही रहे। एन.डी.कोठारी को महज 11 साल की जैस्मिन का अभिनय इस कदर पसंद आया कि उन्होंने प्ले खत्म होते ही उन्हें फिल्म का ऑफर दे दिया।

जैस्मिन की उम्र कम थी, ऐसे में एन.डी.कोठारी ने उनके पेरेंट्स से बात कर उन्हें राजी कर लिया। उस फिल्म का नाम था ‘सरकारी मेहमान’। इस फिल्म में 11 साल की जैस्मिन के साथ उनसे 22 साल बड़े विनोद खन्ना को साइन किया गया था। विनोद खन्ना उस दौर के स्टार थे, जबकि जैस्मिन एक मामूली स्कूल में पढ़ने वाली कम उम्र की लड़की थीं।

बिना कोई प्रोफेशनल एक्टिंग ट्रेनिंग लिए जैस्मिन ने फिल्म की शूटिंग के दौरान अपने बेहतरीन अभिनय का नमूना पेश किया, जिसे देख हर कोई हैरान था। फिल्म में उन्होंने बिंदिया नाम की चुलबुली गांव की लड़की का रोल प्ले किया था। इस फिल्म के गाने ‘परचा मोहब्बत का’ और ‘सुन सुन रे सरकारी मेहमान’ काफी सुने गए थे।

पहली फिल्म फ्लॉप हुई, परिवार ने छुड़वा दी एक्टिंग

12 जनवरी 1979 को रिलीज हुई फिल्म ‘सरकारी मेहमान’ से जैस्मिन को पहचान जरूर मिली, लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हो गई। पहली फ्लॉप फिल्म के बाद जैस्मिन के परिवार ने उन्हें फिल्मों में काम करने से रोक दिया। वो चाहते थे कि जैस्मिन पहले अपनी पढ़ाई पूरी करें।

पढ़ाई के साथ-साथ करने लगीं एक्टिंग

जैस्मिन ने परिवार की बात मान ली और अपना सपना अधूरा छोड़कर पढ़ाई पर फोकस करने लगीं। जैस्मिन ज्यादा दिनों तक खुद को ग्लैमर वर्ल्ड से दूर नहीं रख सकीं। कुछ साल बीते ही थे कि जैस्मिन ने दोबारा पेरेंट्स से फिल्मों में जाने की बात कही। जब परिवार ने कम उम्र का हवाला देते हुए उन्हें रोका तो वो पढ़ाई के साथ-साथ मॉडलिंग करने लगीं। कॉलेज के दिनों में जैस्मिन को बड़े-बड़े मॉडलिंग प्रोजेक्ट्स मिलने लगे।

मॉडलिंग के बीच मिली दूसरी फिल्म

जैस्मिन मॉडलिंग में नाम कमा ही रही थीं कि एक दिन उनके पास एन.डी.कोठारी का कॉल आया। वही एन.डी. कोठारी, जिन्होंने जैस्मिन को फिल्म ‘सरकारी मेहमान’ में काम दिया था। वो उस समय फिल्म ‘डिवोर्स’ बना रहे थे, जिसके लिए उन्हें एक खूबसूरत नौजवान लड़की की तलाश थी। जैसे ही उन्हें पता चला कि जैस्मिन मॉडलिंग कर रही हैं और दोबारा फिल्मों में आना चाहती हैं, तो उन्होंने झट से उनसे संपर्क कर उन्हें अपनी फिल्म में साइन कर लिया।

इस बार जैस्मिन ने फिल्म ‘डिवोर्स’ में विजयेंद्र घाटगे, शर्मिला टैगोर, बिंदू, जगदीप, केष्टो मुखर्जी जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ स्क्रीन शेयर की। विजयेंद्र घाटगे के साथ बनी उनकी जोड़ी को काफी पसंद किया गया, हालांकि 1984 में रिलीज हुई ये फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई। जैस्मिन की फिल्में फ्लॉप जरूर हो रही थीं, लेकिन हर फिल्म के साथ उनकी खूबसूरती की चर्चा बढ़ती जा रही थी।

रामसे ब्रदर्स की ‘वीराना’ से रातोंरात स्टार बनी थीं जैस्मिन धुन्ना

‘दो गज जमीन के नीचे’, ‘अंधेरा’, ‘तहखाना’, ‘गेस्ट हाउस’, ‘पुराना मंदिर’ जैसी बेहतरीन फिल्में बनाने वाले रामसे ब्रदर्स अपनी हॉरर फिल्मों के लिए इंडस्ट्री में अलग पहचान रखते थे। वो अकसर B या C ग्रेड की फिल्में बनाते थे, जिन्हें एडल्ट हॉरर फिल्मों की कैटेगरी में रखा जाता था।

करीब 17 हरर फिल्मों से पॉपुलैरिटी हासिल करने के बाद रामसे ब्रदर्स फिल्म ‘’वीराना’’ बनाने की तैयारी कर रहे थे। उनकी लगभग सभी फिल्मों में लड़के ही भूत बना करते थे, लेकिन वो इस फिल्म में एक ऐसी लड़की की कहानी दिखाना चाहते थे, जो लड़कों को लुभाती है और फिर उनका कत्ल करती है।

बोल्ड सीन करने के लिए रामसे ब्रदर्स ने जैस्मिन को चुना

फिल्म ‘वीराना’ के रोल के लिए रामसे ब्रदर्स एक खूबसूरत लड़की की तलाश में थे। इसी बीच किसी जानकार के जरिए उन तक जैस्मिन धुन्ना की तस्वीरें पहुंचाई गईं।

जैस्मिन की तस्वीरें इतनी खूबसूरत थीं कि रामसे ब्रदर्स की टीम ने उन्हें मीटिंग के लिए बुलाया। टीम ने उन्हें फिल्म की स्क्रिप्ट सुनाने के साथ-साथ ये भी बताया कि स्क्रिप्ट की डिमांड पर उन्हें फिल्म में कुछ बोल्ड सीन भी देने होंगे।

एक बड़ी फिल्म का इंतजार कर रहीं जैस्मिन झट से इस फिल्म में बोल्ड सीन करने के लिए राजी हो गईं। 1985 में ही रामसे ब्रदर्स ने फिल्म की शूटिंग शुरू कर दी। फिल्म में जैस्मिन के साथ हेमंत बिरजे, विजयेंद्र घाटगे, गुलशन ग्रोवर, सतीश शाह, कुलभूषण खरबंदा अहम किरदारों में थे।

बोल्डनेस के चलते 8 महीने तक रिलीज नहीं हुई फिल्म ‘वीराना’

1985 में बननी शुरू हुई फिल्म ‘वीराना’ साल 1987 तक बनकर तैयार हो गई। उस समय तक रामसे ब्रदर्स की ज्यादातर फिल्में सेंसर बोर्ड की नजरों से बच जाया करती थीं, लेकिन जब ‘’वीराना’’ बनी तो इस पर सेंसर बोर्ड की कड़ी नजरें थीं। फिल्म में रामसे ब्रदर्स की पिछली बोल्ड हॉरर फिल्मों से भी ज्यादा बोल्ड सीन थे, जिनपर सेंसर बोर्ड को आपत्ति थी।

सेंसर बोर्ड ने लगाए फिल्म में 46 कट

सेंसर बोर्ड को सबसे ज्यादा आपत्ति उस एक सीन से थी, जिसमें गुलशन ग्रोवर दरवाजे में बने छेद से जैस्मिन को नहाते हुए देख रहे थे। इसी तरह फिल्म के 46 अलग-अलग बोल्ड और हिंसक सीन्स पर भी बोर्ड ने ऐतराज जताया था। मेकर्स से कहा गया कि अगर वो फिल्म के उन 46 सीन्स में सुधार करते हैं तब ही फिल्म को रिलीज करने की परमिशन मिल सकेगी। रामसे ब्रदर्स ने फिल्म दोबारा एडिट करवाई और करीब 8 महीने तक अटकी रही फिल्म ‘वीराना’ 1988 में रिलीज हो सकी, वो भी 46 बड़े बदलावों के बाद।

6 मई 1988 को रिलीज हुई ‘वीराना’ जबरदस्त हिट रही और फिल्म से जैस्मिन धुन्ना रातोंरात स्टार बन गईं। कुछ लोगों ने हॉरर के लिए फिल्म देखी, तो वहीं एक बड़ा हिस्सा ऐसा भी रहा, जिसने पोस्टर में दिखाए गए जैस्मिन के बोल्ड अवतार के लिए फिल्म देखी। नतीजतन फिल्म ने लागत से 10 गुना ज्यादा कमाई की। फिल्म और जैस्मिन के साथ-साथ रामसे ब्रदर्स को भी मैनस्ट्रीम सिनेमा में पहचाना जाने लगा।

फिल्म ‘वीराना’ के हिट होते ही जैस्मिन को कई बड़ी फिल्मों के ऑफर आने लगे। उन्होंने कई फिल्में साइन कर रखी थीं। कहा जाता है कि उस समय जैस्मिन की खूबसूरती के चलते अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम उन्हें अपने साथ रखने की जिद पर अड़ गया था। ये वो दौर था जब फिल्म इंडस्ट्री में अंडरवर्ल्ड का दबदबा हुआ करता था। डॉन के कहने पर कई हीरोइनों को फिल्मों में रखा या निकाला जाता था, वहीं अंडरवर्ल्ड को फिल्म का प्रॉफिट देना और उनका पैसा फिल्मों में लगना भी आम बात थी।

इसी बीच खबरें रहीं कि दाऊद इब्राहिम लगातार जैस्मिन को धमकियां दिलवा रहा है। धमकियों में कहा गया था कि अगर जैस्मिन उनसे नहीं मिलीं तो उन्हें जान का खतरा हो सकता है।

अचानक हुईं गुमनाम, सालों तक नहीं मिली खबर

उस समय छपीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जैस्मिन ने दाऊद इब्राहिम की धमकियों से परेशान होकर मुंबई पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवाई थी। लेकिन उस दौर में अंडरवर्ल्ड का ऐसा दबदबा था कि पुलिस भी जैस्मिन की कोई मदद नहीं कर सकी।

दाऊद इब्राहिम की धमकियों के बीच जैस्मिन धुन्ना अचानक लोगों की नजरों से दूर हो गईं। जो भी फिल्में उन्होंने साइन की थीं, वो सारी छोड़ दीं। जैस्मिन के अचानक गायब हो जाने से कई अलग-अलग तरह की थ्योरीज सामने आईं।

पहली थ्योरी- जैस्मिन को दाऊद इब्राहिम के लोगों ने किडनेप करवा लिया है।

दूसरी थ्योरी- जैस्मिन ने दाऊद इब्राहिम के डर से भारत छोड़कर गुमनामी की जिंदगी चुन ली है।

तीसरी थ्योरी- उन्होंने जॉर्डन में रहने वाले एक शख्स से शादी कर वहीं घर बसा लिया है।

जहां एक तरफ जैस्मिन की गुमशुदगी की कई अलग-अलग बातें सामने आ रही थीं, वहीं एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट में उनके परिवार के हवाले से दावा किया गया है कि जैस्मिन का करियर बर्बाद करने के लिए कुछ लोगों ने उनका नाम दाऊद इब्राहिम से जोड़ा था, जिससे डायरेक्टर उन्हें फिल्म में न लें।

सालों बाद भी अनसुलझी है गुत्थी, 31 साल बाद मिली थी खबर

तमाम तरह की थ्योरीज सामने आईं, लेकिन 1988 की फिल्म ‘वीराना’ में आखिरी बार देखी गईं जैस्मिन धुन्ना की कोई पुख्ता खबर नहीं मिली। समय के साथ लोग जैस्मिन को भूल गए। गुमनाम होने के 31 साल बाद साल 2017 में जैस्मिन तब चर्चा में आईं, जब उनके साथ फिल्म ‘वीराना’ बनाने वाले श्याम रामसे ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि जैस्मिन जिंदा हैं।

श्याम रामसे के बयान के अनुसार, जैस्मिन अपनी मां के बेहद करीब थीं। जब उनकी मां बीमार रहने लगीं तो जैस्मिन ने फिल्मी दुनिया छोड़कर मां की जिम्मेदारी उठाई। जब उनकी मां का निधन हुआ तो सदमे में जैस्मिन ने लोगों से दूरी बना ली। उन्होंने ये भी बताया कि जैस्मिन मुंबई में ही रहती हैं।

लोगों ने जिक्र किया, लेकिन नहीं दी पुख्ता जानकारी

कुछ साल पहले ‘वीराना’ फिल्म में नजर आए एक्टर हेमंत बिरजे ने बॉलीवुड ठिकाना को दिए एक इंटरव्यू में जैस्मिन का जिक्र किया था। जब उनसे जैस्मिन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जैस्मिन जिंदा हैं और मुंबई के वर्सोवा इलाके में उनका घर है। उन्होंने ये दावा भी किया कि वो जैस्मिन से संपर्क में हैं। जैस्मिन विदेश में रहती हैं और कभी-कभी भारत आती हैं। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वो कभी जैस्मिन से मिले नहीं।

महज तीन फिल्मों में नजर आईं जैस्मिन को लोगों की नजरों से दूर हुए अब 35 साल बीत चुके है, लेकिन न ही उनसे जुड़ी कोई पुख्ता जानकारी मिल सकी है न ही उन्हें कहीं देखा गया है।

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