44 मिनट पहले
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ये फुटेज उस वक्त की है, जब पर्सीवरेंस रोवर ने मार्स पर लैंडिंग की थी। (क्रेडिट- नासा)
मंगल ग्रह पर पानी होने के सबूत मिले हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के मंगल ग्रह पर भेजे गए पर्सीवरेंस रोवर के डेटा से इसकी पुष्टि हुई है। इस रोवर को NASA ने 2021 में मार्स पर जीवन तलाशने के लिए भेजा था। इसने मंगल ग्रह के जजीरो क्रेटर से चट्टानों के सैंपल इकट्ठा किए थे। साथ ही जमीन के नीचे पानी की खोज के लिए एक्सपेरिमेंट किया था।
UCLA और ओस्लो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम को रोवर के डेटा से पता चला है कि मार्स की जमीन के 65 फीट नीचे मिट्टी के कणों में नमी है। वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को अपनी स्टडी पब्लिश की। उनका कहना है कि जजीरो क्रेटर मंगल ग्रह की वह सतह है, जहां कभी विशाल झील हुआ करती थी। वैज्ञानिकों ने डेटा की स्टडी कर अनुमान लगाया है कि मंगल पर कभी सूक्ष्मजीवों के रूप में जीवन था।
पर्सीवरेंस रोवर का वजन 1000 किलोग्राम है। यह परमाणु ऊर्जा से चलता है।
रहने लायक था मंगल ग्रह
वैज्ञानिकों का कहना है कि ठंडा और जीवनहीन दिखने वाला मार्स कभी गर्म, पानी वाला और रहने लायक था। साइंटिस्ट्स को पहले से इस बात का शक था कि जजीरो क्रेटर पर कभी पानी हुआ करता था, इसकी पुष्टि के लिए पर्सीवरेंस रोवर को यहां उतारा गया था।
पर्सीवरेंस मार्स रोवर 18-19 फरवरी 2021 की रात मंगल पर पानी की पुष्टि और जीवन की तलाश के लिए उतरा था। इसने भारतीय समय के अनुसार रात करीब 2 बजे मार्स की सबसे खतरनाक सतह जजीरो क्रेटर पर लैंडिंग की थी।
NASA ने दावा किया था कि पर्सीवरेंस की लैंडिंग अब तक के इतिहास में रोवर की मार्स पर सबसे सटीक लैंडिंग थी। 6 पहियों वाला यह रोवर सात महीने में 47 करोड़ किलोमीटर की यात्रा पूरी कर तेजी से अपने लक्ष्य के करीब पहुंचा था।
इसके आखिरी सात मिनट बेहद मुश्किल और खतरनाक रहे थे। इस दौरान यह सिर्फ 7 मिनट में 12 हजार मील प्रति घंटे से 0 की रफ्तार पर आ गया था। इसके बाद लैंडिंग हुई थी।
मार्स पर लैंडिंग के बाद पर्सीवरेंस मार्स रोवर ने ये इमेज क्लिक कर पृथ्वी पर भेजी। (क्रेडिट- नासा)
रोवर ने ऑडियो रिकॉर्डिंग भेजी थी
लॉन्चिंग के कुछ दिन बाद ही पर्सीवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की पहली ऑडियो रिकॉर्डिंग जारी की थी। 10 सेकेंड की इस ऑडियो क्लिप में बहुत मामूली आवाज थी। नासा के मुताबिक यह उसके पर्सीवरेंस रोवर के उतरने के बाद वहां मौजूद धूल और मिट्टी पर पड़े दबाव की वजह से पैदा हुई थी।
करीब 1 महीने बाद मार्च में इस रोवर ने करीब 21.3 फीट तक टेस्ट ड्राइव की थी। इससे मंगल की मिट्टी पर उसके पहियों के निशान बन गए थे। NASA ने इन निशानों की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की थी।
फोटो अप्रैल 2020 की है। तब केनेडी स्पेस सेंटर में नासा की मिशन मार्स टीम ने रोवर की फाइनल टेस्टिंग की थी।
पर्सीवरेंस रोवर का वजन एक हजार किलोग्राम
पर्सीवरेंस रोवर का वजन 1000 किलोग्राम है। यह परमाणु ऊर्जा से चलता है। पहली बार किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया गया। यह रोवर मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करेगा। इसमें 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है।