Russia Intercontinental Ballistic Missile (ICBM) Testing Update | Vladimir Putin | रूस ने सीक्रेट बैलिस्टिक मिसाइल की टेस्टिंग की: यह परमाणु हमला करने में सक्षम; पहली हाइपरसोनिक मिसाइल भी तैनात की


मॉस्को11 मिनट पहले

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रूस ने बैलिस्टिक मिसाइल की टेस्टिंग का वीडियो शेयर किया। यह थर्मो-न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम है। - Dainik Bhaskar

रूस ने बैलिस्टिक मिसाइल की टेस्टिंग का वीडियो शेयर किया। यह थर्मो-न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम है।

रूस ने शुक्रवार को अपनी कापुस्तिन यार रेंज से टॉप सीक्रेट इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) की टेस्टिंग की है। रूसी मीडिया RT के मुताबिक, यह मिसाइल परमाणु हमले में सक्षम है। रूस के रक्षा मंत्रालय ने इस मिसाइल के परीक्षण की पुष्टि की।

मंत्रालय ने कहा कि यह मिसाइल रूस की सुरक्षा को पुख्ता करने में मदद करेगी। RT के मुताबिक, ICBM एक सॉलिड फ्यूल मिसाइल है, जो थर्मो-न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम है। इसे जमीन पर किसी एक जगह या चलते वाहन पर भी तैनात किया जा सकता है। हालांकि इसकी क्षमताओं और खासियत को लेकर फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी गई है।

रूस ने नई परमाणु मिसाइल की क्षमताओं को लेकर अब तक कोई जानकारी नहीं दी है।

रूस ने नई परमाणु मिसाइल की क्षमताओं को लेकर अब तक कोई जानकारी नहीं दी है।

पुतिन बोले- नए हथियार किसी भी कोने में हमला कर सकते हैं
​​​​​इससे पहले रूस ने शुक्रवार को अपनी हाइपरसोनिक न्यूक्लियर मिसाइल का पहला रेजिमेंट तैनात किया। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने राष्ट्रपति पुतिन को इसकी जानकारी दी। हालांकि, रूस ने यह मिसाइल कहां तैनात की है, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है।

रॉयटर्स के मुताबिक, इस सिस्टम का नाम ऐवानगार्ड है। राष्ट्रपति पुतिन के मुताबिक, रूस के नई जेनरेशन वाले परमाणु हथियार दुनिया के किसी भी कोने में हमला कर सकते हैं। यह किसी भी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भेदते हुए अटैक करने में सक्षम हैं। फिलहाल किसी भी देश के पास हाइपरसोनिक हथियार नहीं हैं।

रूस अभी RS-24 यार्स मिसाइलों का इस्तेमाल करता है। रूसी भाषा में ‘यार्स’ शब्द का अर्थ ‘एटमी हमले को रोकने वाला रॉकेट’ होता है। RS-24 यार्स के जरिए रूस ने अपने RT-2PM2 टोपोल-M मिसाइल सिस्टम को रिप्लेस किया था। हालांकि, पिछले कुछ समय से आ रही खबरों में दावा किया गया था कि रूस RS-24 का एडवांस सिस्टम बना रहा है।

क्या होती हैं सॉलिड फ्यूल मिसाइल
ऐसी मिसाइलों में लिक्विड यानी तरल ईंधन की बजाय सॉलिड फ्यूल का इस्तेमाल किया गया था। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक सॉलिड फ्यूल पर चलने वाली मिसाइलें ज्यादा सुरक्षित होती हैं। इन्हें तेजी से तैनात किया जा सकता है।

दरअसल, लिक्विड फ्यूल वाली मिसाइलों में लॉन्च से ठीक पहले ही ईंधन भरना पड़ता है जिसमें काफी घंटे लगते हैं। वहीं, सॉलिड फ्यूल वाली मिसाइलों को तेजी से फायर किया जा सकता है, जिससे उन्हें इंटरसेप्ट करना यानी उन्हें डिटेक्ट कर रोकना मुश्किल होता है।

इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में भी रूस ने परमाणु बमों को ले जाने में सक्षम ब्यूरवेस्टनिक मिसाइल की टेस्टिंग की थी। इस पर पुतिन ने कहा था कि ये परमाणु मिसाइल हजारों मिल दूर से हमला कर सकती है। रूस ने सरमत मिसाइल सिस्टम का काम भी पूरा कर लिया है।

रूस ने आर्कटिक में बनाई थी नई न्यूक्लियर फैसेलिटी

वहीं सितंबर 2023 में रूस की कुछ सैटेलाइट तस्वीरें वायरल हुई थीं। इसमें आर्कटिक के नोवाया जेमल्या आईलैंड पर रूस की नई न्यूक्लियर फैसिलिटी दिखाई गई थी। साल 1955 से 1990 तक इसी जगह पर सोवियत यूनियन ने परमाणु परीक्षण किए थे। साइंस एंड ग्लोबल सिक्योरिटी जर्नल के मुताबिक, यहां 130 परमाणु परीक्षण हुए थे।

सैटेलाइट इमेज के मुताबिक, 2021 से 2023 के बीच नई न्यूक्लियर फैसिलिटी में काफी कंस्ट्रक्शन हुआ। यहां जहाजों को आते-जाते देखा गया। आर्कटिक के पहाड़ों को खोद कर कई सुरंग भी बनाई गईं। हालांकि रूस ने इस सिलसिले में कोई बयान नहीं दिया था।

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