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नई दिल्ली18 मिनट पहले
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अनिल अंबानी (फाइल फोटो)
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन यानी DMRC को अब अनिल अंबानी की कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस को करीब ₹8,000 करोड़ का भुगतान नहीं करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 10 अप्रैल को इस पेमेंट के आदेश को अवैध बताते हुए खारिज कर दिया।
ये मामला DMRC और DAMEPL के बीच 2008 में हुए एक समझौते से जुड़ा है। दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सब्सिडियरी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद रिलायंस इंफ्रा का शेयर 20% गिर गया।
आज यानी 10 अप्रैल को दोपहर 2:49 बजे रिलायंस इंफ्रा का शेयर 20% गिरावट के बाद 227.60 रुपए पर कारोबार कर रहा है। कंपनी का मार्केट कैप 9.01 हजार करोड़ रुपए है।
DMRC की ओर से जमा राशि भी DAMEPL को वापस करना होगा
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। बेंच ने कहा कि DMRC की ओर से अब तक जमा की गई राशि को भी DAMEPL को वापस करना होगा। ये राशि लगभग 3,300 करोड़ रुपए हैं।
2008 में हुआ था DMRC और DAMEPL के बीच समझौता
- DMRC और DAMEPL ने 2008 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से सेक्टर 21 द्वारका तक एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन के डिजाइन, इंस्टॉलेशन, कमीशन, ऑपरेशन और मेंटेनेंस के लिए 30 साल का समझौता किया था। यह लाइन दिल्ली एयरपोर्ट से गुजरनी थी।
- DMRC ने सभी सिविल स्ट्रक्चर्स को बनाया। सभी काम DAMEPL की देख-रेख में हुए। जुलाई 2012 में DAMEPL ने वायडक्ट में कुछ खामियां पाए जाने के बाद ऑपरेशन सस्पेंड कर दिए और DMRC को इस समस्या को ठीक करने के लिए नोटिस भेजा।
- खामियों के ठीक नहीं होने के बाद, अक्टूबर 2012 में DAMEPL ने इस डील को टर्मिनेट करने के लिए DMRC को नोटिस भेज दिया। इसके बाद अथॉरिटिज ने नवंबर 2012 में निरीक्षण किया और जनवरी 2013 में लाइन को ऑपरेशन के लिए मंजूरी दे दी।
- जनवरी में DAMEPL ने इस लाइन को फिर से शुरू किया, लेकिन 5 महीने के भीतर ही जून 2013 में प्रोजेक्ट छोड़ दिया। इसके बाद DMRC कॉन्ट्रैक्ट के आर्बिट्रेशन सेक्शन के तहत ट्रिब्यूनल पहुंच गई।
- 5 साल बाद 2017 में आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल ने DAMEPL के पक्ष में फैसला सुनाया और DMRC को करीब ₹2,800 करोड़ भुगतान करने का आदेश दिया। इसके बाद DMRC ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया, लेकिन वहां की सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी।
- हालांकि, बाद में डिविजन बेंच ने आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के आदेश को ‘भारत की पब्लिक पॉलिसी के विपरीत’ बताते हुए रद्द कर दिया। इसके बाद, अनिल अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी की आर्म ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
- 2021 में, SC ने फैसला सुनाया कि आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के फैसलों को चुनौती नहीं दी जा सकती और फैसले को बरकरार रखा। इस फैसले के बाद DMRC ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल, 2024 को अनुमति दे दी।
- 2021 के अंत तक आर्बिट्रल अवॉर्ड बढ़कर ₹7,045.41 करोड़ हो गया था। DMRC ने तब तक ₹1,000 करोड़ का पेमेंट कर दिया था और कोर्ट को बताया था कि वह आर्बिट्रल अवॉर्ड का पेमेंट करने की स्थिति में नहीं है। आज यह राशि बढ़कर ₹8,000 करोड़ हो गयी है।
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