‘Irrfan Khan taught me to respect my co-actor’ | ‘इरफान खान ने मुझे को-एक्टर की इज्जत करना सिखाया’: रसिका दुग्गल बोलीं- उन्होंने कभी मुझे जूनियर होने का एहसास नहीं दिलाया

18 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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रसिका दुग्गल ने अपनी एक्टिंग और प्रतिभा से फिल्म इंडस्ट्री में एक अलग मुकाम हासिल किया है। उन्होंने फिल्मों और ओटीटी दोनों ही प्लेटफॉर्म पर कमाल का काम किया है। रसिका को ‘मिर्जापुर’ के ‘बीना त्रिपाठी’ के किरदार के लिए खूब प्रशंसा मिली। रसिका ने ‘हामिद’, ‘ह्यूमरसली योर्स’, ‘मंटो’, ‘किस्सा-किस्सा’, ‘दिल्ली क्राइम’ जैसे प्रोजेक्ट्स में भी बेहतरीन काम किया है। रोल चाहे कॉमिक हो या सीरियस, रसिका हमेशा खरी उतरी हैं। ऐसे में दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी के कुछ अहम पहलुओं के बारे में बात की। पेश हैं एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के कुछ प्रमुख अंश :

जमशेदपुर में बहुत अपनापन है- रसिका
बचपन की यादों को याद करते हुए रसिका ने कहा- मैं एक छोटे शहर से आई हूं। मेरा जन्म जमशेदपुर में हुआ। वहीं से मैं पली-बढ़ी हूं। मेरी फैमिली में कभी किसी को सिनेमा का क्रेज नहीं था। लेकिन हर भारतीय परिवार की तरह, चाहे आप चाहें या ना चाहें, फिल्में आपकी जिंदगी का हिस्सा बन ही जाती हैं। मेरे परिवार से कोई भी इस प्रोफेशन में नहीं आया था। इसलिए मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि एक्टिंग एक प्रोफेशन भी हो सकता है। स्कूल जाते और शाम को फ्रेंड्स के साथ खेलना- यही मेरी दिनचर्या हुआ करती थी। जमशेदपुर में बहुत सारे क्लब हैं- जैसे की स्विमिंग, टेनिस। मैं वहां भी जाया करती थी। जमशेदपुर में एक बात थी, आप कहीं भी चले जाएं, वो शहर आपको अपनेपन का एक अलग ही एहसास देता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां आप सबको जानते हैं। इम्तियाज, आर माधवन, आदर्श गौरव, शिल्पा राव भी जमशेदपुर से हैं।

स्कूल के समय से ड्रामा में रुचि थी- रसिका
रसिका से पूछा गया कि उन्होंने एक्टिंग में आने के बारे में कैसे सोचा? इस पर रसिका ने कहा- मेरे ख्याल से बचपन से मेरे अंदर एक्टिंग करने की ख्वाहिश थी, लेकिन मुझे एहसास नहीं हो पा रहा था। स्कूल के दौरान मैं प्ले परफॉर्म किया करती थी। मैं ड्रामा वाले सेक्शन में थी। जैसे ही प्रैक्टिस के लिए जाना होता था, मैं झट से क्लास से गायब हो जाया करती थी। सच कहूं तो उस समय मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि मैं कभी प्रोफेशनली एक्टिंग कर पाऊंगी।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के एलएसआर से मैंने अपना कॉलेज किया। वहां का थियेटर माहौल जबरदस्त था। काफी टैलेंटेड लोग थे। मैं कहूंगी थियेटर से मेरा परिचय दिल्ली यूनिवर्सिटी में ही हुआ। अनामिका हकसर के साथ मैंने अपना पहला नाटक किया था। हाल ही में उन्होंने एक फिल्म भी बनाई है। मुझे थियेटर की दुनिया बहुत मजेदार लगती थी। परफॉरमेंस के दौरान भी मैं एंजॉय किया करती थी, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि प्रोफेशनली भी ये किया जा सकता है।

रसिका बचपन से श्रीदेवी की फैन थीं
परफॉरमेंस के दौरान कौन एक्टर्स या फिल्में आपको पसंद थीं? रसिका बचपन से ही श्रीदेवी की बहुत बड़ी फैन थीं। उन्होंने कहा- मैं श्रीदेवी के ऐड की भी नकल किया करती थी। श्रीदेवी उन चुनिंदा अदाकारों में से एक थीं, जिनकी कॉमिक टाइमिंग कमाल की थी।

रसिका ने अपनी थियेटर जर्नी बताई
जब मैं थियेटर में थी, उस दौरान सोचा था कि एनएसडी में अप्लाई करना चाहिए। लेकिन आस-पास इतने टैलेंटेड लोगों को देखकर मेरी हिम्मत नहीं हुई। उस दौरान मैंने सोशल कम्यूनिकेशन का कोर्स किया। उसमें फिल्म स्टडीज का पेपर था। वहीं से मेरा इंटेरेस्ट जागा। हालांकि मेरी समझ नहीं आया था कि कैसे शुरू करूं। मैं बतौर रिसर्चर एक प्रोजेक्ट से जुड़ी थी, लेकिन मुझे ज्यादा मजा नहीं आया।

एक दिन अखबार देख रही थी- उसमें एक ऐड था- FTI, 26 सालों के बाद अपना एक्टिंग कोर्स वापस शुरू कर रहा है। मैंने वहां अप्लाई किया था। एक्सपीरियंस के तौर पर मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में बस 3 शोज किए थे। लेकिन सौभाग्य से मेरा FTI में अड्मिशन हो गया। कोर्स जॉइन करने के 3-4 महीनों के बाद मुझे समझ आ गया कि मैं एक्टिंग करना चाहती हूं। एक्टिंग से मैंने ऐसा कनेक्शन महसूस किया, जो पहले कभी किसी के साथ नहीं महसूस हुआ था।

पहले मेरे अंदर आत्मविश्वास की कमी थी- रसिका
रसिका बोलीं- एक समय पर मेरे अंदर आत्मविश्वास की कमी थी, क्योंकि एक्सपीरियंस कम था। मेरे घर में हमेशा एक बात थी- कि जो करना है कर लो। हम दो बहनें हैं। मेरे मम्मी-पापा बहन पर प्रेशर जरूर बनाते थे, पर मुझपे नहीं। उनको लगता था, मैं जो भी करूंगी, ठीक-ठाक कर लूंगी।

मैंने वही किया, जो मुझे सही लगा- रसिका
रसिका ने अपनी FTI जर्नी के बारे में बात की। उन्होंने कहा- FTI जॉइन करते वक्त मैंने ये नहीं सोचा था कि स्टार बनना है। बस मुझे कोर्स इंटेरेस्टिंग लगा था। हमेशा से पता था कि वहां लोग विज्डम ट्री के नीचे बैठकर फिल्मों के बारे में सब सीख जाते हैं। 70 के दशक में जो भी इंडस्ट्री में आया था, वो FTI से ही आया था। मेरे पेरेंट्स भी सपोर्ट में थे। उन्होंने मेरे डिसिजन को सीरीयस नहीं लिया था।

मैं FTI से ग्रैजूएशन करके मुंबई आई। उस वक्त पेरेंट्स ने कहा था कि अगर काम ना मिले तो वापस आ जाना। उस समय मैंने मनीष झा के साथ ‘अनवर’ फिल्म, अनुराग कश्यप के साथ ‘नो स्मोकिंग’ की थी। बहुत लोगों ने कहा था कि अगर बड़े रोल करने हैं, तो छोटे रोल नहीं करने चाहिए। लेकिन मैं समझ नहीं पा रही थी कि लोगों को अपने काम से कैसे परिचय कराऊंगी। हालांकि मैंने वही किया जो मुझे सही लगा। मैंने छोटे-छोटे रोल भी किए क्योंकि मुझे एक्सपीरियंस चाहिए था। मैं चाहती थी लोग मुझे जाने, मेरे काम को पहचानें। सच कहूं तो मेरा ये डिसिजन बिल्कुल सही निकला।

रसिका ने FTI के माहौल के बारे में बात की
FTI के माहौल के बारे में रसिका ने कहा- मेरी क्लास में दिव्येंदु शर्मा (मिर्जापुर के मुन्ना भाई) थे। मेरे से एक बैच जूनियर में राजकुमार राव, विजय वर्मा, सनी हिंदुजा, जयदीप अहलावत थे। उनका बैच कमाल का था। FTI से जब मैंने कोर्स शुरू किया तो मुझे लगा यहां सब स्टार बनने आए हैं। निशांत, जो कि अभी साउथ में अच्छा काम कर रहा है, उस दौरान मिथुन दा का बहुत बड़ा फैन था। उसने मिथुन जी के सारे इंटरव्यूज, फिल्में देखी हुई थीं। वहां मैं अपने अंदर के एक्टर को बेहतर तरह से जान पाई। आपके पास वक्त था कि आर्ट देखें, और फिल्मों के बारे में पढ़ें। रोज 6 बजे से 9 बजे तक हम फिल्में देखा करते थे। स्टूडेंट फिल्में बनाते थे। लोगों के प्रोजेक्ट्स में एक-दूसरे की हेल्प किया करते थे।

रसिका ने मुंबई के सफर के बारे में बताया
रसिका दुग्गल की दोस्त मुंबई में ‘अनवर’ पर बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम कर रही थी। उन्होंने कहा- मैं वीकेंड पर उसके यहां आई थी। मैंने उससे पूछा कि क्या कर रही हो आज। उसने बताया कि फिल्म के एक छोटे रोल के लिए ऑडिशन ले रही हूं। मैंने पूछा कि मैं आऊं तुम्हारे साथ। उसने कहा आ जाओ। उसने मुझसे वहां पूछा कि क्या तुम ऑडिशन देना चाहोगी? मैंने हामी भरी। चूंकि मेरे कपड़े अच्छे नहीं थे, इसलिए हम दोनों ने एक दुकान से टॉप खरीदा और फिर उसमें ऑडिशन दिया। कमाल की बात है कि डायरेक्टर को मेरा ऑडिशन अच्छा लगा और मैं फिल्म में कास्ट हो गई।

मैंने दिवंगत एक्टर इरफान खान से बहुत कुछ सीखा- रसिका
रसिका ने दिवंगत एक्टर इरफान खान के साथ ‘किस्सा-किस्सा’ में काम किया। उन्होंने इरफान खान के साथ अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए बताया- उस फिल्म में मैंने इरफान खान से बहुत कुछ सीखा। मैंने सीखा कि अपने को-एक्टर की इज्जत कैसे करें। इरफान खान स्टार थे। उन्होंने कभी मुझे ऐसा महसूस नहीं कराया कि मैं जूनियर हूं और वो सीनियर हैं। उन्होंने कभी मुझे इन्स्ट्रक्शन नहीं दिए।

मैं खुद को पॉजिटिव रखने पर विश्वास करती हूं
रसिका ने कहा- हर वक्त आप कुछ बेहतर चाहते हैं। ये चाह भी बहुत जरूरी है। जिंदगी का वसूल है कि हम जिस समय जो चाहते हैं, वो नहीं मिलता है। एक गैप हमेशा रहता है। आप पर निर्भर करता है कि आप उस गैप को कैसे देखते हैं। हम सब काफी मीटिंग और ऑडिशन दिया करते थे। कई दफा लोग बहुत इज्जत देते थे और कई बार लोग दोबारा मिलते ही नहीं थे। ऐसा भी होता था कि 3 घंटे तक हम अंधेरी के श्रीजी रेस्टोरेंट के बाहर लाइन लगा कर खड़े रहते थे। हां, कई बार मायूसी भी होती थी। लेकिन उस समय खुद को यही याद दिलाती थी कि मैं अकेली नहीं हूं।

मुझे याद है कि एक फिल्म के लिए मैंने काफी कोशिश की थी। लेकिन मुझे वो फिल्म नहीं मिली थी। उस दौरान मैं काफी मायूस हो गई थी। हालांकि मेरी दोस्त एडिटर थी, वो भी काफी परेशान थी। हम दोनों एक-दूसरे को चीयर अप किया करते थे।

रियल लाइफ में मैं बहुत इमोशनल हूं- रसिका
रसिका ने अपना इमोशनल साइड बताते हुए कहा- मैं फिल्में देखकर रोने लगती हूं। मैं उस तरह की ऑडियंस हूं जो फिल्में देखकर बहुत हंसती है, या बहुत रोती है। सच कहूं तो स्ट्रगल के समय मैं बहुत रोई हूं। मुझे लगता है एक्स्प्रेसिव होना बहुत जरूरी भी है। मैं मानती हूं- कोई भी फीलिंग हो, उसे पूरी तरह से महसूस करना और जाहिर करना अच्छा होता है।

मझे ऑडिशन देने में कोई प्रॉब्लेम नहीं है- रसिका
रसिका ने थोड़ा टीवी भी किया है। उन्होंने यशराज का एक प्रोजेक्ट किया था, जिसमें उनके साथ पंकज त्रिपाठी थे। रसिका से ओटीटी के बारे में भी बात हुई। उन्होंने कहा- हालांकि जब ओटीटी आया और ‘मिर्जापुर’ रिलीज हुई, तो मुझे उम्मीद नहीं थी कि इस कदर मुझे इस रोल के लिए तारीफ मिलेगी। रसिका ने ऑडिशन की अहमियत बताई। उन्होंने कहा- एक डायरेक्टर के लिए ये जानना बहुत जरूरी होता है कि एक्टर मेरे किरदार पर फिट हो पा रहा है या नहीं। एक्टर-डायरेक्टर के लिए ऑडिशन अच्छा रहता है।

मैं ‘दिल्ली क्राइम’ के किरदार में खुद को देखती हूं
रसिका ने अपने किरदारों को निभाने के बारे में कहा- आप अपनी उतनी ही छाप छोड़ सकते हैं, जितना स्क्रिप्ट में आपका किरदार लिखा गया हो। फिर चाहे मैं ‘मिर्जापुर’ की बात करूं या फिर ‘दिल्ली क्राइम’ की। ‘दिल्ली क्राइम’ की ‘नीति सिंह’ मेरे दिल के बहुत करीब है। मैं खुद को उस किरदार में देखती हूं।

मैं अलग-अलग किरदारों के लिए अलग-अलग तैयारी करती हूं
किरदारों की तैयारी के बारे में रसिका ने कहा- हर रोल के लिए तैयारी अलग करनी पड़ती है। प्रेपेरेशन प्रोसेस को बदलना बहुत जरूरी है। कैरेक्टर के आस-पास की दुनिया से भी परिचित होना जरूरी है। ‘हामिद’ फिल्म के दौरान मैंने 10 दिनों तक कश्मीर के गांव की औरतों के साथ समय बिताया। उसी तरह से ‘दिल्ली क्राइम’ के दौरान मैंने पुलिस ऑफिसर के साथ समय बिताया था, जिनसे बाद में मेरी दोस्ती भी हो गई थी। रसिका को इस किरदार के लिए ‘एमी अवार्ड्स’ भी मिला था।

इंडस्ट्री में आने वाले लोगों से कहूंगी- लगे रहो, आपका समय भी जरूर आएगा
आप जिंदगी में इंस्पिरेशन किसको मानती हैं? इस पर रसिका ने कहा- मैं अलग-अलग समय पर अलग-अलग लोगों से इंस्पायर होती हूं। जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानती हैं? रसिका पिछले 17 सालों से एक्टिंग कर रही हैं। इस चीज को वो अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि मानती हैं।

रसिका ने किसी कॉमेडी फिल्म में लीड रोल करने की ख्वाहिश भी जताई। रसिका को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की सबसे अच्छी चीज ये लगती है कि यहां सबके लिए काम है। उन्होंने कहा- हमारे देश में इतने बड़े लेवल पर फिल्में बनती हैं। कितने ऐसे भी देश हैं, जहां फिल्में बनती ही नहीं हैं। मुझे एक्सपेरिमेंट करना बहुत अच्छा लगता है। ओटीटी के आने से राइटिंग को वो अहमियत मिली, जो कहीं खो गई थी।



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