2 मिनट पहले
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अमेरिका में इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी में उम्मीदवारी के लिए इलेक्शन चल रहे हैं। इस दौरान रविवार सुबह (भारतीय समयानुसार) साउथ कैरोलिना राज्य के चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जीत दर्ज की है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, ट्रम्प को 59.7% वोट मिले, जबकि भारतीय मूल की निक्की हेली को 39.6%वोट हासिल हुए। दूसरी तरफ 4 फरवरी को डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राइमरी चुनाव हुए थे। इसमें जो बाइडेन जीत हुई थी। उन्हें 96.3% वोट मिले थे। वहीं दूसरे नंबर पर रहे डीन फिलिप्स को सिर्फ 2.0% ही वोट मिले थे।
अमेरिका में इस साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। इसके पहले दोनों पार्टियां-रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक, इस इलेक्शन के लिए अपने-अपने उम्मीदवार फाइनल करने में जुटी हैं।
साउथ कैरोलीना से सांसद रह चुकी हैं हेली चुनाव नतीजे सामने आने के बाद निक्की हेली ने कहा- मैं हार नहीं मानूंगी। चुनाव से पीछे नहीं हटूंगी। अगर ट्रम्प रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुने जाते हैं, तो पिछली बार की तरह बाइडेन चुनाव जीत जाएंगे।
इससे पहले आयोवा और न्यू हैम्पशायर राज्य में हुए चुनावों में भी ट्रम्प ने जीत हासिल की थी। इसके बाद रिपब्लिकन के विवेक रामास्वामी और रॉन डी-सेंटिस ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया था। इसलिए रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए ट्रम्प और हेली आमने-सामने हैं।
न्यू हैम्पशायर का चुनाव हारने के बाद निक्की हेली ने कहा था- साउथ कैरोलीना मेरा पसंदीदा राज्य है। मैं 24 फरवरी को यहां पूरी ताकत लगा दूंगी। मैं ट्रम्प को उम्मीदवारी और बाइडेन को राष्ट्रपति चुनाव में जरूर हराउंगी। दरअसल, निक्की हेली साउथ कैरोलीना से ही आती हैं। वो 2011-17 के बीच यहां से गवर्नर भी रह चुकी हैं।
कॉकस और प्राइमरी चुनाव में क्या अंतर
रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से पहला कॉकस आयोवा राज्य में हुआ था। दरअसल, प्राइमरी इलेक्शन को राज्य सरकार कराती है। वहीं, कॉकस पार्टी का अपना इवेंट होता है। प्राइमरी इलेक्शन में बिल्कुल वही वोटिंग प्रोसेस होता है, जो आम चुनाव में अपनाया जाता है। इस दौरान एक पार्टी का कार्यकर्ता दूसरी पार्टी के चुनाव में भी वोट डाल सकता है।
वहीं, कॉकस में एक रूम या हॉल में बैठकर पार्टी के प्रतिनिधि हाथ उठाकर या पर्ची डालकर वोटिंग कर सकते हैं। पार्टी की ही एक टीम ऑब्जर्वर की तरह काम करती है। आयोवा में ट्रम्प को 20, जबकि निक्की को 8 वोट मिले थे। नाम वापस ले चुके रॉन डी सेंटिस को 9 वोट मिले थे।
ट्रम्प ने निक्की हेली को नैंसी पेलोसी कहा, नाम का भी मजाक बनाया
19 जनवरी को ट्रम्प ने न्यू हैम्पशायर में रैली की थी। इस दौरान वो निक्की और संसद की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी में कन्फ्यूज हो गए थे। उन्होंने निक्की को पेलोसी समझकर उन पर आरोप लगाया था कि वो 6 जनवरी 2021 को संसद में हुई हिंसा को ठीक से संभाल नहीं पाईं। इस दौरान उन्होंने कई बार हेली की जगह पेलोसी का नाम लिया।
इस पर निक्की ने कहा था- मैं उनको बेइज्जत नहीं करना चाहती, लेकिन राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियों और उसके प्रेशर के बीच में हम ऐसे किसी व्यक्ति की मानसिक हालत को लेकर रिस्क नहीं ले सकते। दुनिया में तेजी से बदलाव हो रहे हैं और हम अटके हुए हैं। हमें यह सोचने की जरूरत है कि क्या अमेरिका को फिर से 2 ऐसे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चाहिए जो 80 साल के हैं। हमें ऐसे लोगों की जरूरत है जो बेहद एक्टिव हों।
ट्रम्प ने निक्की हेली के नाम को लेकर भी मजाक बनाया था। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लगातार निक्की को निंब्रा और निम्रदा कहकर संबोधित किया। इस पर उनकी काफी आलोचना भी हुई। दरअसल, निक्की हेली का पूरा नाम नम्रता निक्की रंधावा है।
निक्की ने 20 जनवरी को एक रैली में कहा था- ट्रम्प राष्ट्रपति बनने के लिए मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं हैं। वो कई बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तारीफ कर चुके हैं। चीन वो देश है, जिससे हमें कोविड मिला। मैंने ट्रम्प की तुलना में चीन और रूस को लेकर ज्यादा सख्त रुख अपनाया है।
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