1 मिनट पहले
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लैंडर ओडिसियस की यह तस्वीर चांद पर लैंडिंग से पहले ली गई।
चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड होने वाला अमेरिकी प्राइवेट स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह पर तिरछा गिरा है। यह जानकारी स्पेसक्राफ्ट को बनाने वाली ह्यूस्टन बेस्ड प्राइवेट कंपनी इंट्यूटिव मशीन्स ने शुक्रवार देर रात दी।
इंट्यूटिव मशीन्स के लैंडर ओडिसियस को 15 फरवरी 2024 को लॉन्च किया गया था। 23 फरवरी को भारतीय समय के मुताबिक, 4 बजकर 53 मिनट पर इसकी चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडिंग हुई थी।
22 फरवरी को इंटुएटिव मशीन्स के ओडीसियस लैंडर ने टार्गेट लैंडिंग स्थल से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर और लगभग 10 किलोमीटर की ऊंचाई पर, चंद्रमा के शोमबर्गर क्रेटर की यह तस्वीर खींची थी।
लैंडिंग से पहले खराबी आई थी
कंपनी ने लैंडिंग को लेकर कहा था कि लैंडर ओडिसियस सही तरीके से लैंड हुआ लेकिन शुक्रवार देर रात कंपनी के CEO स्टीव अल्टेमस ने कहा कि डेटा में गड़बड़ी की वजह से यह जानकारी मिली थी। लैंडिंग से पहले ओडिसियस के नेविगेशन सिस्टम में कुछ खराबी आई थी। इसके बावजूद लैंडिंग कराई गई। अब लैंडर तिरछा गिरा है। हमें लगता है कि यह चांद की सतह पर उतरते ही उलट गया।
कंपनी के CEO अल्टेमस ने कहा- अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर जल्द ही इसकी तस्वीर भेजेगा।
एंटीना टूटने की आशंका
अल्टेमस ने कहा- लैंडर पर सूरज की किरणें पड़ रही हैं लेकिन उसके एंटीना सतह से टकरा गए हैं। उन्हें नुकसान पहुंचने की आशंका है। ऐसे में किसी भी तरह का सिगन्ल पृथ्वी पर आने की संभावना कम है। लेकिन साइंटिस्ट कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें डेटा और चांद की फोटो मिल सके।
23 फरवरी को जैसी ही लैंडिंग का सिग्नल मिला था प्राइवेट कंपनी इंट्यूटिव मशीन्स के कर्मचारी और साइंटिस्ट तालियां बजाने लगे थे।
चांद पर मौजूद धूल की स्टडी करेगा
ओडिसियस मून मिशन का मकसद चांद पर मौजूद धूल की स्टडी करना है। दरअसल, अपोलो मिशन पूरा करके लौटे अंतरिक्ष यात्रियों ने बताया था कि धूल की वजह से उनके इक्विपमेंट्स खराब हुए थे। इसलिए अब साइंटिस्ट समझाना चाहते हैं कि स्पेसक्राफ्ट के लैंड होने से उड़ने वाली धूल कैसे हवा में रहती है और फिर मून सरफेस पर बैठ जाती है।
ओडिसियस का लैंडिंग स्पॉट मून के साउथ पोल की सबसे अहम जगह से 185 मील दूर है।- (प्रतीकात्मक तस्वीर)
जहां लैंडिंग हुई वहां इंसानों को भेजने की तैयारी
ब्रिटिश मीडिया BBC के मुताबिक, लैंडर ओडिसियस जिस जगह पर लैंड हुआ है उसे मालापर्ट के नाम से जाना जाता है। यहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती। ये एक खाई के करीब समतल यानी प्लेन जगह है। मालापर्ट 17वीं सदी के बेल्जियन एस्ट्रोनॉमर थे। साइंटिस्ट्स का मानना है कि यहां पानी मौजूद है, लेकिन वो बर्फ के रूप में है।
यह इलाका उन जगहों की शॉर्टलिस्ट में है, जहां अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA आर्टिमिस मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने पर विचार कर रहा है।
तस्वीर ओडिसियस लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग से कुछ सेकेंड पहले की है।
स्पेसक्राफ्ट की स्पीड बढ़ी थी
वैसे तो ओडिसियस प्राईवेट मून मिशन है, लेकिन इसके पीछे अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का दिमाग है। मिशन में काम आने वाले 6 इंस्ट्रूमेंट्स NASA ने ही तैयार किए हैं।
इधर, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट की स्पीड लैंडिंग से पहले बढ़ी थी। इसलिए ओडिसियस ने मून का एक अतिरिक्त चक्कर लगाया था। एक चक्कर बढ़ने की वजह से लैंडिंग के समय में बदलाव हुआ। पहले यह भारतीय समय के मुताबिक सुबह 4 बजकर 20 मिनट पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था।
लैंडिंग के पहले 19 मिनट तक होवरिंग (लैंडिंग वाली जगह के ऊपर घूमना) की गई।
प्राइवेट कंपनी इंट्यूटिव मशीन्स ने 22 फरवरी को चांद के नॉर्थ पोल के पास की सतह की यह तस्वीर शेयर की। ये ओडीसियस पर लगे नेविगेशन कैमरा से ली गई।
लैंडिंग का तरीका
- लैंडिंग से पहले ओडिसियस ने मून का ऑर्बिट पूरा किया था। इसके बाद यह सतह के करीब पहुंचा। इसके बाद स्पेसक्राफ्ट स्पीड कम हुई।
- लैंडिंग वाली जगह का पहले ही चुन ली गई थी। स्पेसक्राफ्ट में लगे कैमरे इसकी सटीक लोकेशन मिशन कंट्रोल रूम तक पहुंचा रहे थे। इन्हें पहले से फीड डेटा से क्रॉस चेक या मैच किया गया। इसके बाद लेजर बीम सरफेस पर डाली गई। इस स्पेसक्राफ्ट में सोलर पैनल लगे हैं। लैंडिंग के बाद सात दिन तक यह वहीं से चार्ज होगा।
लैंडर ओडिसियस 15 फरवरी 2024 को एलन मस्क की कंपनी स्पेस-X के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया गया। ये लॉन्चिंग फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से हुई थी।
51 साल बाद कोई अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट चांद पर उतरा
51 साल में पहली बार कोई अमेरिकी मिशन चांद पर उतरा है। इसके पहले 1972 में अपोलो 17 मिशन ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। इसके बाद अमेरिका ने साल 2022 में आर्टिमिस-1 मिशन को चांद पर रवाना किया था। लेकिन वह स्पेसक्राफ्ट चांद पर उतरा नहीं था। आर्टिमिस-1 ने चांद का चक्कर लगाया था।
NASA के अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए कोशिश करते रहेंगे। इसके तहत एस्ट्रोबोटिक कंपनी नवंबर 2024 में ग्रिफिन लैंडर को NASA के वाइपर रोवर के जरिए चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग के लिए लॉन्च करेगी।
पेरेग्रीन-1 मून मिशन फेल हुआ था
ओडिसियस मिशन अमेरिका का दूसरा प्राइवेट मिशन है। इसके पहले 8 जनवरी 2024 को अमेरिका ने अपना पहला प्राइवेट मून मिशन लॉन्च किया था। हालांकि अमेरिकी प्राइवेट कंपनी का पेरेग्रीन-1 लैंडर चांद पर नहीं उतर सका था। फ्यूल लीकेज और फेल बैटरी चार्जिंग की वजह से यह मिशन फेल हो गया था।
तस्वीर अमेरिकी प्राइवेट कंपनी के पेरेग्रीन-1 लैंडर की है। यह 23 फरवरी को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था।
सबसे पहले भारत पहुंचा था साउथ पोल पर
भारत के चांद पर खोजबीन के लिए मिशन चंद्रयान लॉन्च किया था। चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग कर इतिहास रच था। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाब लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन। चंद्रयान-3 ने 30 किलोमीटर की ऊंचाई से शाम 5 बजकर 44 मिनट पर ऑटोमैटिक लैंडिंग प्रोसेस शुरू की और अगले 20 मिनट में सफर पूरा किया। शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद पर पहला कदम रखा।
चांद पर पहुंचकर लैंडर ने मैसेज भेजा- मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं। अब रोवर रैंप से बाहर निकलेगा और अपने एक्सपेरिमेंट शुरू करेगा। ISRO ने चंद्रयान को श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया था। 41वें दिन चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग हुई। वहीं, अब तक 4 देशों ने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। इसमें भारत, अमेरिका, रूस और चीन शामिल हैं। पूरी खबर पढ़ें…
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