Taliban Football Stadium; Murder Case Convicts Publicly Executed | तालिबान ने हजारों लोगों के सामने दी मौत की सजा: स्टेडियम में हत्या के दोषियों पर 15 गोलियां चलाईं; परिजन माफी की गुहार लगाते रहे


कुछ ही क्षण पहले

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1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की पहली सरकार के दौरान अपराधियों को सार्वजनिक तौर पर कोड़े मारना और फांसी देना आम बात थी। (रिप्रेजेंटेश्नल इमेज) - Dainik Bhaskar

1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की पहली सरकार के दौरान अपराधियों को सार्वजनिक तौर पर कोड़े मारना और फांसी देना आम बात थी। (रिप्रेजेंटेश्नल इमेज)

अफगानिस्तान के गजनी शहर में तालिबान ने गुरुवार को हत्या के मामले में 2 दोषियों को सरेआम मौत की सजा दी है। तालिबान के सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, दोनों दोषियों को एक फुटबॉल स्टेडियम में गोली मार दी गई। इस दौरान हजारों लोग वहां मौजूद थे। हालांकि, उनमें से किसी को भी फोन या कैमरा रखने की इजाजत नहीं थी।

कोर्ट के स्टेटमेंट के मुताबिक, दोनों दोषियों ने 2 लोगों की चाकू मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा की इजाजत के बाद उन्हें सजा दी गई। गजनी पुलिस के प्रवक्ता अबु खालिद सरहदी ने बताया कि दोषियों को सजा मृतक व्यक्तियों के परिजनों ने ही दी। इस दौरान उन्होंने 15 गोलियां चलाईं।

तस्वीर नवंबर 2022 की है, जब अफगानिस्तान के फुटबॉल स्टेडियम में हजारों की भीड़ के सामने 12 लोगों को नैतिक अपराधों का आरोपी बताते हुए पीटा गया था।

तस्वीर नवंबर 2022 की है, जब अफगानिस्तान के फुटबॉल स्टेडियम में हजारों की भीड़ के सामने 12 लोगों को नैतिक अपराधों का आरोपी बताते हुए पीटा गया था।

सार्वजनिक तौर पर सजा देने का तीसरा मामला
वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, स्टेडियम में दोषियों के परिजन भी थे, जिन्होंने माफी की गुहार लगाई। हालांकि, उनकी अपील ठुकरा दी गई। 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद यह तीसरी बार था, जब दोषियों को सार्वजनिक तौर पर सजा दी गई। UN ने इसे मानवीय अधिकारों का उल्लंघन बताया।

वॉइस ऑफ अमेरिका के मुताबिक, तालिबान ने अब तक इस तरह से 4 लोगों को मौत की सजा दी है। वहीं महिलाओं समेत करीब 350 दोषियों को कोड़े मारने की सजा भी दी जा चुकी है। इसस पहले दिसंबर 2022 में तालिबान ने एक और हत्या के दोषी को ऐसी ही सजा दी थी।

3 महिलाओं समेत 12 अपराधियों को पीटा
तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने नवंबर 2022 में एक घोषणा की थी। इसमें सभी जजों को आदेश दिया था कि गुनहगारों को सरेआम सजा मिलनी चाहिए। इसके बाद 24 नवंबर को तालिबान ने फुटबॉल स्टेडियम में हजारों की भीड़ के सामने 12 लोगों को नैतिक अपराधों का आरोपी बताकर पीटा था। इन 12 लोगों में 3 महिलाएं भी शामिल थीं।

तालिबानी अधिकारी के मुताबिक इन लोगों पर चोरी, एडल्टरी और गे सेक्स के आरोप लगे थे। नवंबर के महीने में ऐसा दूसरी बार हुआ था जब तालिबान ने किसी अपराध के चलते लोगों को सार्वजनिक जगह पर सजा दी हो।

क्या है अफगानिस्तान का शरिया कानून
तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इशारा बताया था कि देश के काफी सारे मसलों पर शरिया कानून लागू होगा। दरअसल, शरिया इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए एक लीगल सिस्टम की तरह है।

इसमें रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर कई तरह के बड़े मसलों पर कानून है। शरिया का जिक्र इस्लाम की पवित्र किताब कुरान के साथ-साथ पैगंबर मुहम्मद के उपदेशों सुन्ना और हदीस में भी है। इन कानूनों के तहत आने वाले गुनाहों को सीधे भगवान की खिलाफत करना समझा जाता है। शरिया कानून में जिंदगी जीने का रास्ता बताया गया है।

शरिया के उल्लंघन पर मिलती है कड़ी सजा
सभी मुस्लिमों से उम्मीद की जाती है कि वो इन्हीं कानूनों के हिसाब से अपनी जिंदगी जिएंगे। एक व्यक्ति के दैनिक जीवन के हर पहलू, यानी उसे कब क्या करना है और क्या नहीं करना है, इसका रास्ता शरिया कानून है।

शरिया में पारिवारिक, वित्त और व्यवसाय से जुड़े कानून शामिल हैं। शराब पीना, नशीली दवाओं का इस्तेमाल करना या तस्करी करना शरिया कानून के तहत सबसे बड़े अपराधों में से एक है। जब कोई शख्स इस कानून को तोड़ता है तो उसे ईश्वर के खिलाफ किया गया अपराध माना जाता है। यही वजह है कि इन अपराधों में कड़ी सजा के नियम हैं।

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