‘मेरे भाइयों, जब तक खान हमारे पास नहीं आ जाते, तब तक हम ये मार्च खत्म नहीं करेंगे। मैं आखिरी सांस तक यहां खड़ी रहूंगी। आपको मेरा साथ देना है। अगर कोई साथ नहीं देगा, तब भी मैं यहीं खड़ी रहूंगीं। ये सिर्फ मेरे पति का मसला नहीं है। ये इस मुल्क और यहां क
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26 नवंबर की दोपहर ये सुनते ही पाकिस्तान में इस्लामाबाद के डी-चौक पर सन्नाटा पसर गया। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की तीसरी पत्नी बुशरा बीबी एक शिपिंग कंटेनर पर खड़ी थीं। नकाब पहने और हाथों में माइक लिए वो इमरान की रिहाई के लिए पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) वर्कर्स को एकजुट कर रही थीं।
ये पहला मौका है जब बुशरा बीबी को इतने बड़े सियासी मंच पर देखा गया। राजनीति के कई जानकार इसे उनकी सियासी शुरुआत मान रहे हैं। हालांकि, पार्टी में इसके बाद विवाद और अनबन की बातें सामने आ रही हैं। पार्टी लीडर और खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर, बुशरा की सक्रियता से खुश नहीं हैं।
जेल में रहते हुए इमरान ने पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से ‘फाइनल कॉल’ रैली करने की अपील की थी, जिसमें बड़ी संख्या में समर्थक भी जुटे। इमरान फिर नई मांगों के साथ 14 दिसंबर को नए आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। वो अगस्त 2023 से भ्रष्टाचार और हिंसा भड़काने के आरोप में जेल में हैं। उन पर अब तक 188 केस चल रहे हैं।
इमरान की रिहाई की मांग को लेकर हुए इस आंदोलन का हासिल क्या है। इससे इमरान और बुशरा को क्या मिला। इसके बाद PTI में क्या बदला। पाकिस्तान के इस्लामाबाद से दैनिक भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़िए…
सबसे पहले बात PTI के प्रदर्शन की… इस्लामाबाद के हाई प्रोफाइल इलाके में इमरान की रिहाई के लिए हिंसक प्रदर्शन 24 नवंबर की बात है, खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर और बुशरा बीबी की लीडरशिप में पार्टी समर्थकों ने पेशावर से रैली शुरू की। पंजाब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन PTI ने सारे बैरियर तोड़ दिए। उन्होंने पेशावर-इस्लामाबाद मोटरवे पर रखे बड़े कंटेनर को हटा दिया और राजधानी इस्लामाबाद की ओर बढ़ गए।
बुशरा की लीडरशिप में एक बड़ा काफिला 25 नवंबर की रात इस्लामाबाद के पास पहुंचा। उन्होंने दूसरे राज्यों से आ रही बाकी रैलियों का इंतजार किया। फिर 26 नवंबर की सुबह इस्लामाबाद में दाखिल होने की कोशिश की।
हालांकि, तब तक सरकार ने राजधानी तक पहुंचने वाले सभी रास्ते बैरियर लगाकर बंद कर दिए थे। राजधानी के चारों तरफ सिक्योरिटी फोर्सेज के 20 हजार से ज्यादा जवान तैनात कर दिए गए थे। वहीं, PM हाउस और प्रेसिडेंट हाउस की सुरक्षा के लिए सेना बुला ली गई थी।
दूसरी ओर हजारों PTI वर्कर्स और समर्थक संसद भवन के सामने डी-चौक तक पहुंचने के लिए कमर कसे हुए थे। सारे बैरियर तोड़ इमरान समर्थक इस्लामाबाद के हाई सिक्योरिटी जोन (रेड जोन) डी-चौक पहुंचे। प्रदर्शनकारियों ने धरना देना शुरू कर दिया। हालांकि, तब रैली को लीड कर रहे अमीन और बुशरा वहां नहीं पहुंचे थे।
ली़डर्स की नामौजूदगी में कुछ पार्टी वर्कर्स आंदोलन की दिशा से भटक गए और रेड जोन में दाखिल होने की कोशिश करने लगे। इसी बीच, अमीन और बुशरा का काफिला डी-चौक पर पहुंचा। ये इस्लामाबाद का सबसे हाई प्रोफाइल इलाका है। राष्ट्रपति भवन, PM ऑफिस, संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट इसी इलाके में हैं।
बुशरा एक शिपिंग कंटेनर पर खड़ी हो गईं और समर्थकों में जोश भरते हुए कहा, ‘जब तक खान हमारे पास नहीं आते, तब तक हम वापस नहीं जाएंगे।’
उन्होंने समर्थकों से सपोर्ट मांगा और कहा कि इमरान खान देश के लिए अपनी सजा काट रहे हैं। हमें अपने लीडर के साथ खड़े होकर अपनी ड्यूटी पूरी करनी चाहिए।
तस्वीर 26 नवंबर की है, जब इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी की लीडरशिप में PTI समर्थकों ने इस्लामाबाद के डी-चौक पर प्रदर्शन किया।
बुशरा की एंट्री के बाद बिगड़े हालात, इमरान पर 14 नए केस जैसे ही दिन ढलने लगा, तनाव के हालात बनने लगे। पहले बिजली कटी और पूरा इलाका अंधेरे में डूब गया। रात होते ही सिक्योरिटी फोर्सेज ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ना शुरू कर दिया। इस दौरान मची अफरातफरी के बीच बुशरा बीबी धरनास्थल से चली गईं।
झड़प के दौरान आंसू गैस और रबर की गोलियां दागी गईं। इसमें 7 लोगों की मौत हुई, जिनमें 4 प्रदर्शनकारी और 3 पुलिसवाले शामिल थे। 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। हिंसा से निपटने के लिए इस्लामाबाद में धारा 245 लागू कर दी गई।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाते हुए 400 लोगों को अरेस्ट कर लिया। रावलपिंडी पुलिस के स्पोक्सपर्सन ने बताया कि 400 से ज्यादा लोगों को डिटेन किया गया। वहीं पंजाब से करीब 800 लोगों को अरेस्ट किया गया। पुलिस को संदिग्धों के पास से बड़ी संख्या में हथियार, वायरलेस कम्युनिकेशन डिवाइस, गुलेल और बॉल बेयरिंग मिली।
पुलिस ने इमरान खान के खिलाफ इस्लामाबाद में हिंसक प्रदर्शन के आरोप में 14 नए मामले दर्ज किए। इसके साथ ही इस्लामाबाद में इमरान के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या बढ़कर 76 हो गई।
इस्लामाबाद में हुए PTI के हिंसक प्रदर्शन में 7 लोगों की मौत हुई, जिनमें 4 प्रदर्शनकारी और 3 पुलिसकर्मी शामिल थे।
बुशरा बीबी के लीडरशिप रोल से PTI में सब ठीक नहीं इमरान खान की बहन अलीमा खान ने अडियाला जेल के बाहर से PTI के फाइनल मार्च का ऐलान किया था, तब कई पार्टी लीडर्स इस बात को हजम नहीं कर पाए थे। कई नेताओं ने ऐतराज भी जताया था। वहीं कुछ ली़डर्स ने इमरान से मुलाकात कर इस मामले पर बात भी की। हालांकि, ये सब किसी नतीजे तक नहीं पहुंचा। इमरान से भी उन्हें प्रोटेस्ट करने के ही ऑर्डर मिले।
अब प्रोटेस्ट के बाद भी PTI में कलह और विवाद की बातें सामने आ रही हैं। पार्टी लीडर्स बुशरा की सक्रियता से खुश नहीं हैं। प्रोटेस्ट शुरू होने से पहले मीडिया रिपोर्ट्स में भी कहा गया कि खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने प्रोटेस्ट में बुशरा की सक्रियता का विरोध किया। इसे लेकर दोनों के बीच कथित तौर पर विवाद भी हुआ था।
रैली में भी बुशरा सिर्फ शामिल ही नहीं हुईं, बल्कि लीडरशिप रोल में भी दिखीं। हालांकि, राजनीति में उनका इस तरह इन्वॉल्वमेंट नया नहीं है। प्रोटेस्ट से पहले भी वो पार्टी लीडर्स, एमपी और वर्कर्स की बैठकें लेती रही हैं। इमरान के संदेश भी उन तक बुशरा ही पहुंचाती रही हैं।
उन्होंने प्रोटेस्ट में भीड़ जुटाने के लिए पार्टी लीडर्स को टारगेट दिए थे। बुशरा ने नेशनल असेंबली मेंबर्स (MNAs) और नेशनल असेंबली का टिकट पाने वाले लीडर्स को 10 हजार लोग लाने का टारगेट दिया था। वहीं प्रोविंशियल असेंबली मेंबर्स और टिकट पाने वाले लीडर्स को 5,000 लोगों को जुटाने का जिम्मा सौंपा था।
बुशरा ने उनसे सबूत के तौर पर वीडियोज भी मांगे थे। इसके साथ ही टारगेट पूरा करने में फेल होने पर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की भी वॉर्निंग दी थी। इमरान खान ने भी पार्टी वर्कर्स से फाइनल मार्च का ऐलान करते हुए कहा था- प्रदर्शन में शामिल हो या पार्टी छोड़ो।
अब बात एक्सपर्ट्स की… रैली छोड़कर भागना PTI लीडर्स की पुरानी आदत इमरान समर्थकों के इस्लामाबाद पहुंचकर प्रदर्शन करने और इंटरनेशनल मीडिया में इसकी चर्चा को एक्सपर्ट पार्टी की बड़ी कामयाबी मान रहे हैं। इस आंदोलन का हासिल क्या है? ये जानने के लिए हमने पाकिस्तान में सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एनालिस्ट मुर्तजा सोलंगी से बात की।
मुर्तजा कहते हैं, ‘सरकार ने परंपरागत तरीकों आंसू गैस और लाठियों से PTI का मार्च रोकने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रही। पार्टी अपनी प्रोविंशियल सरकार की मदद से इस्लामाबाद पहुंच गई।‘
पंजाब से रैली में कम समर्थकों के पहुंचने के सवाल पर वो कहते हैं, ‘पंजाब के लोग PTI की रैली में शामिल नहीं हुए, क्योंकि इस्लामाबाद के डी-चौक में उनका कोई इंटरेस्ट नहीं था। चुनाव में पार्टी को वोट देना अलग बात है, लेकिन प्रदर्शन के लिए इस्लामाबाद पहुंचना अलग बात है।‘
इस प्रोटेस्ट के दौरान हुई हिंसा और मौत को लेकर सीनियर पॉलिटिकल एनालिस्ट शहजाद इकबाल सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं। वे कहते हैं, ‘सरकार भले ही रबर बुलेट्स चलाने की बात कर रही हो, लेकिन गोलियों की आवाज सभी ने सुनी भी और देखा भी। सरकार PTI समर्थकों पर एके-47 राइफल लाने का झूठा आरोप लगा रही है, जो कहीं नजर तक नहीं आई।’
शहजाद के मुताबिक, इस प्रोटेस्ट के जरिए भी इमरान और उनकी पार्टी की लीडरशिप कोई नया एग्जाम्पल नहीं सेट कर पाई। वे कहते हैं, ‘PTI लीडरशिप हमेशा अपने पार्टी वर्कर्स का इस्तेमाल करके खुद बच निकलती है, इस बार भी यही हुआ।‘
इमरान की रिहाई के सवाल के जवाब में वे कहते हैं, ‘इन आंदोलनों के जरिए इमरान खान को रिहाई नहीं मिलने वाली थी और न ही आगे मिलनी संभव है।‘
PML-N बोली: ये प्रदर्शन हमारी सरकार की नाकामी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के लीडर जावेद लतीफ इस रैली को इस्लामाबाद पर हमला बता रहे हैं। वे कहते हैं, ये खैबर पख्तूनख्वा सरकार का फेडरल गवर्नमेंट पर हमला है। उन्होंने अपने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अगर सरकार इन घटनाओं को नहीं रोक सकती तो फिर इस तरह सड़कें क्यों बंद कर दी गईं।
उन्होंने अपनी सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि हिंसक प्रदर्शन में शहीद हुए जवानों के खून का हिसाब कौन देगा। देश के करोड़ों रुपए के नुकसान की भरपाई कौन करेगा।
इमरान पर 188 केस, 496 दिन से जेल में बंद इस्लामाबाद पुलिस, FIA और NAB ने इमरान खान के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को लेकर एक रिपोर्ट फाइल की है। रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान पर कुल 188 केस हैं। इनमें से 99 केस पंजाब में दर्ज हैं। 2 केस खैबर पख्तूनख्वा और 76 केस राजधानी इस्लामाबाद में हैं। 7 केस फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) के पास और 3 केस नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो (NAB) के पास पेंडिंग है।
इमरान 5 अगस्त 2023 से रावलपिंडी की अडियाला जेल में बंद हैं। इस्लामाबाद की लोकल कोर्ट ने उन्हें 5 अगस्त को तोशाखाना केस में दोषी करार दिया था। इसके बाद उन्हें इस्लामाबाद के जमान पार्क स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
इसी साल 20 नवंबर को तोशाखाना से जुड़े दूसरे मामले (तोशाखाना केस-II) में उन्हें जमानत मिल गई थी। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने जमानत के तौर पर 10 लाख पाकिस्तानी रुपए के बॉन्ड जमा करने का आदेश दिया था। हालांकि इस आदेश के बाद भी इमरान की रिहाई नहीं हो सकी।
तोशाखान केस, जिसमें पत्नी बुशरा की गलती से फंसे इमरान खान साल 2018 की बात है। प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान खान सऊदी अरब के दौरे पर गए थे। इसी समय इमरान को सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सोने और हीरों से बनी एक घड़ी गिफ्ट की थी। सऊदी से लौटने के बाद इमरान खान ने ये घड़ी अपनी पत्नी बुशरा को रखने के लिए दे दी।
कुछ दिनों बाद बुशरा ने ये घड़ी उस वक्त के एक मंत्री जुल्फी बुखारी को देकर कीमत पता करने को कहा। मंत्री ने पता किया तो वो घड़ी बेहद महंगी निकली। बुशरा ने मंत्री से कहा कि वे उस घड़ी को बेच दें।
बुशरा की दोस्त फराह खान और मंत्री जुल्फी बुखारी इस ब्रांडेड घड़ी को बेचने महंगी घड़ियों के एक शोरूम पहुंचे। इस शोरूम के मालिक ने इसकी मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी को फोन कर दिया और यहीं से इमरान की कलई खुल गई।
ये घड़ी बनाने वाली कंपनी को जैसे ही इसकी जानकारी हुई, उसने सीधे MBS के ऑफिस से संपर्क कर पूछा कि आपने जो 2 घड़ियां बनवाईं थीं, उनमें से एक बिकने के लिए आई है। ये आपने भेजी है या चोरी हुई है?
सऊदी प्रिंस के ऑफिस ने पाकिस्तान सरकार से संपर्क कर इसके बारे में जानना चाहा। इससे पूरा मामला सामने आ गया। कुछ समय बाद इमरान की पत्नी बुशरा और दोस्त जुल्फी बुखारी का ऑडियो लीक हुआ। इससे साफ हो गया कि इमरान के कहने पर ही बुशरा ने जुल्फी बुखारी से संपर्क किया था और उन्हें घड़ी बिकवाने को कहा था।
इस केस में पुख्ता सबूत मिलने की बात कहकर अदालत ने इमरान खान को दोषी माना था।
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