China is angry with the welcome of Taiwanese President on American Island | अमेरिकी आईलैंड में ताइवानी राष्ट्रपति के वेलकम से चीन नाराज: कहा- हमारी पूरे मामले पर बारीक नजर, जवाबी कार्रवाई करेंगे


हवाई2 मिनट पहले

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ताइवान के राष्ट्रपति का होनोलुलु एयरपोर्ट पर हवाई के गवर्नर जोश ग्रीन ने स्वागत किया गया। तस्वीर- रॉयटर्स - Dainik Bhaskar

ताइवान के राष्ट्रपति का होनोलुलु एयरपोर्ट पर हवाई के गवर्नर जोश ग्रीन ने स्वागत किया गया। तस्वीर- रॉयटर्स

ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते एक हफ्ते के पैसिफिक आईलैंड्स के दौरे पर हैं। उन्होंने इसकी शुरुआत अमेरिका के हवाई प्रांत से की, जहां रेड कार्पेट बिछाकर उनका स्वागत किया गया। इसके साथ अमेरिका ने ताइवान को और अधिक हथियार बिक्री के प्रस्ताव को मंजूरी दी। अमेरिका का ये फैसला चीन को नागवार गुजरा। उनसे अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया।

अमेरिकी विदेश विभाग ने ताइवान को F-16 जेट विमानों और राडार के लिए स्पेयर पार्ट्स और सपोर्ट की लगभग 385 मिलियन डॉलर की बिक्री को मंजूरी दी है।

अलजजीरा के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह इस पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखेगा और अपने देश की देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएगा। हथियार बिक्री के मुद्दे पर चीन ने कहा- अमेरिका का यह फैसला ताइवान इन्डेपेन्डेन्ट फोर्स को गलत मैसेज देगा। हम इस पर जवाबी कार्रवाई करेंगे।

मार्शल आइलैंड, तुवालु और पलाऊ भी जाएंगे

लाई चिंग-ते ने पर्ल हार्बर में USA एरिजोना मेमोरियल का दौरा किया। यहां उन्होंने कहा कि अमेरिका और ताइवान को युद्ध को रोकने के लिए एक साथ लड़ना चाहिए। शांति अमूल्य है और युद्ध में कोई विजेता नहीं होता।

हवाई के बाद लाई चिंग-ते मार्शल आइलैंड, तुवालु और पलाऊ का दौरा करेंगे। पैसिफिक रीजन में ये राष्ट्र ही ताइवान को एक स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता देते हैं।

ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते (बाएं) हवाई के होनोलुलु में बिशप संग्रहालय की निदेशक डी जे मेलर के साथ। तस्वीर- AFP

ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते (बाएं) हवाई के होनोलुलु में बिशप संग्रहालय की निदेशक डी जे मेलर के साथ। तस्वीर- AFP

ताइवान पर चीन के कब्जे का डर 1940 के दशक में जब चीन का शासन कम्युनिस्ट पार्टी के हाथ में आया तो बचे हुए राष्ट्रवादी देश छोड़ ताइवान द्वीप पर जा बसे थे। इन राष्ट्रवादियों ने ताइवान में लोकतांत्रिक शासन लागू किया था। चीन ताइवान को अपना ही हिस्सा मानता है। जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है। चीन इसलिए ताइवान पर कब्जा करना चाहता है।

ताइवान पर कब्जा करके चीन पश्चिमी प्रशांत महासागर इलाके में अपना दबदबा दिखाने के लिए आजाद हो जाएगा। इससे गुआम और हवाई जैसे अमेरिकी मिलिट्री बेस के लिए खतरा पैदा हो जाएगा। इसके अलावा ताइवान अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर का सबसे बड़ा निर्माता है।

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