रियाद3 मिनट पहले
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सऊदी अमेरिका के साथ डिफेंस इंडस्ट्री पार्टनरशिप और हाई टेक्निक में इन्वेस्टमेंट को लेकर डील चाहता है। फाइल-फोटो
सऊदी अरब अमेरिका के साथ बड़ी डिफेंस डील साइन करने की मांग से पीछे हट गया है। इस डील के बदले सऊदी को इजराइल के साथ सामान्य रिश्ते बहाल करने थे। अब वो अमेरिका पर किसी छोटे डिफेंस मिलिट्री कॉरपोरेशन एग्रीमेंट साइन करने के लिए दबाव बना रहा है।
रॉयटर्स के मुताबिक, गाजा युद्ध की वजह से मिडिल ईस्ट और मुस्लिम देशों में इजराइल के खिलाफ गुस्सा है। ऐसे में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ऐसा कोई बड़ा समझौता नहीं करना चाहते हैं। हालांकि, MBS की शर्त है कि अगर इजराइल फिलिस्तीन देश बनाने के लिए ठोस कदम उठाता है तो वो उसे मान्यता दे सकते हैं।
वहीं, रिपोर्ट के मुताबिक, नेतन्याहू यह जानते हैं कि अगर वो हमास को किसी भी तरह की रियायत देते हैं तो उन्हें अपने देश में भारी विरोध का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में दोनों नेता अपने-अपने देश की आंतरिक राजनीति में उलझे हुए हैं।
बाइडेन के व्हाइट हाउस छोड़ने से पहले डील हो सकती है
वेस्टर्न डिप्लोमैट्स ने रॉयटर्स से कहा- इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अभी भी सऊदी अरब के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए एक्साइटेड हैं। अगर ऐसा होता है तो यह मील का पत्थर साबित होगा। इससे अरब दुनिया में इजराइल को बड़े पैमाने पर एक्सेप्टेंस मिलेगी।
सऊदी और अमेरिका को उम्मीद है कि जनवरी में राष्ट्रपति जो बाइडेन के व्हाइट हाउस छोड़ने से पहले एक छोटे डिफेंस मिलिट्री एग्रीमेंट पर साइन हो सकता है। इस समझौते में जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज, डिफेंस इंडस्ट्री में पार्टनरशिप और हाई टेक्निक में सऊदी इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देना शामिल है।
फुल डिफेंस डील को US सीनेट में दो तिहाई बहुमत जरूरी
रिपोर्ट के मुताबिक, किसी भी अमेरिकी-सऊदी फुल डिफेंस डील का अमेरिकी सीनेट में दो तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी है। जब तक सऊदी इजराइल को मान्यता नहीं देता, यह मुमकिन नहीं होगा। इस वक्त जिस समझौते पर बात चल रही है उसमें ईरान के खतरों से निपटने के लिए जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज शामिल है। यह अमेरिका और सऊदी डिफेंस फर्मों के बीच पार्टनरशिप को बढ़ावा देगा, और चीन-सऊदी की बढ़ती साझेदारी पर लगाम लगाएगा। यह समझौता एग्रीमेंट हाई टेक्नोलॉजी, खास तौर पर ड्रोन इंडस्ट्री में सऊदी निवेश को बढ़ावा देगा। हालांकि, इस डील में अमेरिका पर सऊदी को किसी भी हमले से बचाने की जिम्मेदारी नहीं होगी।
इस एग्रीमेंट को लेकर सबसे बड़ी चिंता डोनाल्ड ट्रम्प के व्हाइट हाउस वापस लौटने की है। ट्रम्प कभी भी अलग फिलिस्तीन देश बनाने के समर्थक नहीं रहे हैं। हालांकि, अरब अधिकारियों का मानना है कि ट्रम्प और उनके दामाद जेरेड कुशनेर के मोहम्मद बिन सलमान से काफी अच्छे रिश्ते हैं, ऐसे में वो उन्हें इसके लिए राजी कर लेंगे।
डोनाल्ड ट्रम्प और MBS के बीच काफी अच्छे रिश्ते हैं। ट्रम्प ने राष्ट्रपति रहते इजराइल, UAE और सऊदी के बीच डिफेंस डील कराने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
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