तिब्बतियों के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु 89 वर्षीय दलाई लामा की सेहत ठीक है, लेकिन उनकी उम्र को देखते हुए उनके उत्तराधिकारी को लेकर तिब्बतियों में चिंताएं हैं। तिब्बती परंपरा में दलाई लामा तुल्कुओं या प्रबुद्ध व्यक्तियों में सबसे प्रमुख होते हैं, जो आध
.
वर्तमान दलाई लामा को उनके पूर्ववर्ती 13वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में तब पहचाना गया था जब वे मात्र दो साल के थे। लेकिन ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ द्वारा तिब्बत पर अनाधिकृत कब्जे के चलते चिंता है कि इस बार इस प्रक्रिया में खलल आ सकता है।
दलाई लामा बौद्ध भिक्षुओं से परामर्श के बाद लेंगे फैसला दलाई लामा के देहत्याग के बाद चीनी निश्चित रूप से उनकी संस्था पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे, इसलिए दलाई लामा भविष्य की सावधानीपूर्वक योजना बना रहे हैं। 24 सितंबर, 2011 को दलाई लामा ने घोषणा की थी कि जब वह 90 साल के होंगे तो वे वह तिब्बत बौद्ध परम्परा के शीर्ष लामा, तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म में रुचि रखने वाले अन्य संबंधित लोगों के साथ परामर्श करेंगे और यह मूल्यांकन करेंगे कि दलाई लामा की संस्था उनके बाद जारी रहे अथवा नहीं।
यदि ऐसा निर्णय लिया गया कि एक 15वें दलाई लामा को मान्यता दी जानी चाहिए तो ऐसा करने का उत्तरदायित्व प्रमुख रूप से दलाई लामा के ‘गदेन फोडंग ट्रस्ट’ के संबंधित अधिकारियों पर होगा। यह निर्णय इस वर्ष होगा। दलाई लामा के कार्यालय ने पहले कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया है।
1950 में चीन ने तिब्बत पर किया हमला गौरतलब है कि वर्ष 2011 के बाद भी तिब्बत का धार्मिक नेतृत्व दलाई लामा के पास ही बना रहा। लेकिन राजनीतिक नेतृत्व प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित निर्वासित तिब्बती सरकार के राष्ट्रपति या सिकयोंग को हस्तांरित कर दिया गया। वर्ष 1950 में चीन ने तिब्बत पर हमला किया और वर्ष 1959 में इसके खिलाफ आंदोलन हुआ, जिसका चीन ने क्रूरता से दमन किया। इस घटना के बाद दलाई लामा अपने कई समर्थकों के साथ भारत भाग आए और उसके बाद उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित संसद की स्थापना की।
चीन कर सकता है हस्तक्षेप केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के राष्ट्रपति या सिकयोंग पेन्पा त्सेरिंग ने कहा कि हमारा मानना है कि निश्चित तौर पर चीन दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति में हस्तक्षेप करेगा। वह इसकी पिछले 17 साल से तैयारी कर रहा है। चीन की सरकार ने वर्ष 2007 में एक आदेश जारी किया था जिसमें सभी अवतरित लामाओं के उत्तराधिकारी की नियुक्ति प्रक्रिया में उसकी मौजूदगी की जरूरत बताई गई थी।
पंचेन लामा को कर दिया गया गायब त्सेरिंग ने कहा कि जिसका उद्देश्य धर्म को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना था। हालांकि न तो चीन की और न ही किसी अन्य सरकार की इसमें कोई भूमिका होनी चाहिए। चीनियों ने वर्ष 1995 में तब हस्तक्षेप किया जब एक लड़के (ज्ञानचेन नोरबू) को पंचेन लामा के तौर पर चुना गया। महामहिम (दलाई लामा) द्वारा चुने गए पंचेन लामा (गेधुन छोयी न्यिमा) को गायब कर दिया गया और हमें अब तक पता नहीं कि वह जिंदा भी है या नहीं।
तिब्बत में चीनी दमनचक्र दूसरी तरफ, तिब्बत में चीनी दमनचक्र और बढ़ गया है। बीजिंग अब तिब्बती बौद्ध धर्म को चीनी बनाने की आवश्यकता की बात कर रहा है। छोटे बच्चों को अपनी भाषा से परिचित होने से पहले चीनी सीखने के लिए बोर्डिंग स्कूलों में भेजा जा रहा है। अमेरिका चीनियों से बिना किसी पूर्व शर्त के तिब्बतियों से बातचीत के बाद समझौता करने का आग्रह कर रहा है।
‘यूएस तिब्बत पॉलिसी एंड सपोर्ट एक्ट 2020’ के तहत अमेरिका ने कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकार का मामला चीनियों के हस्तक्षेप के बिना तिब्बतियों द्वारा स्वयं संभाला जाना चाहिए। अभी तक भारत इस मुद्दे पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी करने से दूर रहा है। लेकिन चूंकि भारत तिब्बत के साथ 4,000 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, इसलिए सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह मसला भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.
Source link