अल्फा कैपिटल के पार्टनर डॉ. मुकेश जिंदल45 मिनट पहले
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भारत में सिस्टमैटिक इन्वेस्मेंट प्लान यानी SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश लगातार बढ़ रहा है। अक्टूबर, 2024 तक देश में SIP पोर्टफोलियो की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा हो गई। लेकिन सभी SIP एक जैसे नहीं होते। ये मुख्य रूप से 5 तरह के होते हैं। इनके बारे में जानकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उम्र और जरूरतों के हिसाब से कौन सी SIP आपके लिए सही है।
1. रेगुलर SIP इसके जरिये म्यूचुअल फंड की किसी स्कीम में हर माह, हर हो दो महीने में, तिमाही, छमाही या सालाना निवेश कर सकते हैं। यह SIP आप ऑनलाइन भी शुरू कर सकते हैं। इसके बाद निवेशक के खाते से तय तारीख को तयशुदा रकम डेबिट होकर निर्धारित म्यूचुअल फंड स्कीम में स्वत: निवेश हो जाती है। निवेशक शुरुआत में ही निवेश का अंतराल, अवधि, राशि और फ्रीक्वेंसी चुन सकते हैं। एक बार चुनने के बाद इसमें बार-बार बदलाव नहीं कर सकते।
2. फ्लेक्सिबल SIP इसमें निवेशक के पास SIP की राशि बदलने की आजादी होती है। यानी अगर किसी महीने निवेशक की आर्थिक स्थिति अच्छी है, तो वह SIP की रकम बढ़ा सकता है और यदि कोई वित्तीय कठिनाई है, तो रकम घटा भी सकता है। रेगुलर SIP की तुलना में इसमें निवेशक का अपने निवेश पर ज्यादा नियंत्रण रहता है। जरूरत पड़ने पर कुछ समय के लिए SIP को रोक भी सकते हैं, जिसे बाद में आसानी से चालू किया जा सकता है।
किन लोगों के लिए बेहतर: यह ऐसे निवेशकों के लिए है, जिनकी आय और खर्च अनिश्चित हैं या जिनके पास कभी भी बड़ी रकम आ सकती है। फ्रीलांसर, बिजनेस ओनर या सेल्फ-एम्प्लॉयड के साथ ही ऐसे निवेशकों के लिए ये भी तरीका बेहतर है, जो बाजार में उतार-चढ़ाव का लाभ लेना चाहते हैं।
3. स्टेप-अप SIP इसमें निवेश राशि नियमित रूप से बढ़ाई जाती है। निवेश राशि बढ़ने से कंपाउंडिंग का ज्यादा फायदा मिलता है। इससे लंबे समय में ज्यादा बड़ी रकम जुटाने में मदद मिलती है। महंगाई से रुपए की वैल्यू में आई गिरावट से भी निपटा जा सकता है।
किन लोगों के लिए है बेहतर: ऐसे कर्मचारी के लिए, जिन्हें हर साल या नियमित अंतराल पर वेतनवृद्धि मिलती है। वे कारोबारी, जिनका मुनाफा हर साल बढ़ता है या ऐसे निवेशक, जो घर खरीदने, बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट आदि के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करना चाहते हैं।
4. SIP विद इंश्योरेंस कई म्यूचुअल फंड कंपनियां इस तरह के खास ऑफर देती हैं। इसमें निवेश और बीमा, दोनों का लाभ मिलता है। निवेशकों को बीमा कवर के लिए अलग से प्रीमियम नहीं देना पड़ता है। इसके तहत निवेशक को टर्म इंश्योरेंस कवरेज के साथ लंबी अवधि में फंड एकत्रित करने का मौका मिलता है।
SIP अवधि में निवेशक की असामयिक मृत्यु होने पर नॉमिनी को निश्चित बीमा राशि मिल जाती है। आमतौर पर बीमा कवर शुरुआती वर्षों में कम होता है, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ता जाता है।
किन लोगों के लिए बेहतर: स्थिर आय वाले ऐसे निवेशकों के लिए यह अच्छा है, जो बड़ा फंड इकट्ठा करने के साथ ही परिवार को बीमा कवरेज भी देना चाहते हैं। जो लोग म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू कर रहे हैं या जिनके पास अलग से बीमा नहीं है और शुरुआती स्तर पर वित्तीय सुरक्षा चाहते हैं, उनके लिए भी यह बेहतर है।
5. ट्रिगर SIP इसके तहत निवेशक एक निश्चित शर्त या ट्रिगर के आधार पर SIP में निवेश करता है। इसमें हर महीने एक निश्चित राशि नियमित अंतराल पर निवेश की जाती है। लेकिन यह राशि तभी निवेशित या ट्रिगर होती है, जब बाजार में कोई विशेष स्थिति या स्तर बनता है। ट्रिगर कई तरह के हो सकते हैं, जैसे…
- इंडेक्स लेवल ट्रिगर: यदि निफ्टी या सेंसेक्स किसी विशेष स्तर पर पहुंचता है।
- फिक्स डेट ट्रिगर: इसके तहत किसी खास तारीख या समय सीमा को सेट करके म्यूचुअल फंड में निवेश किया जाता है।
- रिटर्न बेस ट्रिगर: अगर किसी फंड का मूल्य तय प्रतिशत तक बढ़ता या घटता है, तब इसमें निवेश किया जाता है।
- प्रॉफिट बुकिंग ट्रिगर: यदि किसी फंड का रिटर्न एक खास स्तर तक पहुंच जाता है, तो प्रॉफिट बुक या दोबारा निवेश किया जा सकता है।
- किन लोगों के लिए है बेहतर: ऐसे निवेशक जो बाजार की दिशा और ट्रेंड्स का अनुमान लगाने में माहिर हैं। जिनकी जोखिम उठाने की क्षमता ज्यादा है, वे भी इसे आजमा सकते हैं।
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