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यमन के हूती विद्रोहियो ने सोमवार को लाल सागर में दो अमेरिकी युद्धपोतों को निशाना बनाया। इस दौरान हूती विद्रोहियों ने युद्धपोतों पर कई मिसाइल और ड्रोन हमले किए। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को इसकी पुष्टि की।
रक्षा मंत्रालय के प्रेस सेक्रेटरी पेट राइडर ने बताया कि लाल सागर में बाब एल-मनदेब खाड़ी से गुजरते समय अमेरिकी युद्धपोतों पर ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने हमला किया। मंत्रालय ने बताया कि यूएसएस स्टॉकडेल और यूएसएस स्प्रुअंस पर हुए इस हमले को नाकाम कर दिया गया।
पेट राइडर ने कहा कि हमले के लिए कम से कम 8 ड्रोन, 5 एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल और तीन एंटी शिप क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था।
पिछले महीने अमेरिका ने हूतियों पर हमला किया था
अमेरिकी एयरफोर्स ने 17 अक्टूबर को यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर बमबारी की थी। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने बताया था कि एयरफोर्स ने B-2 स्टील्थ बॉम्बर से यमन की राजधानी सना के नजदीक 5 ठिकानों को निशाना बनाया।
ऑस्टिन के मुताबिक इस हमले के लिए राष्ट्रपति बाइडेन ने निर्देश दिए थे। ये हमले हूती विद्रोहियों के हथियारों को नष्ट करने के मकसद किए गए थे। हूती विद्रोहियों ने भी हमले की पुष्टि की थी। हालांकि इसमें कितना नुकसान हुआ है इस बारे में उन्होंने जानकारी नहीं दी। हूती के डिप्टी हेड नसरुद्दीन आमेर ने कहा था कि अमेरिका को इसकी कीमत चुकानी होगी।
अमेरिका ने हमला करने से एक महीने पहले ही में हिंद महासागर में मौजूद सीक्रेट मिलिट्री बेस डिएगो गार्सिया पर B-2 स्टील्थ बॉम्बर की तैनाती की थी।
गाजा में जंग के बाद से जहाजों को निशाना बना रहे हूती
इजराइल 7 अक्टूबर से ही गाजा पर हमला कर रहा है। इसके जवाब में हूती विद्रोही समंदर में इजराइल के सहयोगी देशों के जहाजों को निशाना बना रहे हैं। CNN के मुताबिक अब तक हूती विद्रोही समंदर में 100 से ज्यादा जहाजों पर हमले कर चुके हैं।
वहीं अब तक 2 जहाजों को डुबा चुके हैं। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र ने अक्टूबर में एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि हूती विद्रोही जहाजों को सुरक्षित तरीके से पास करने के लिए उनसे टैक्स भी वसूल रहे हैं।
यमन के हूती विद्रोही इजराइल पर युद्ध को खत्म करने का दबाव बना रहे हैं।
कौन हैं हूती विद्रोही
- साल 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू हुआ। इसकी जड़ शिया-सुन्नी विवाद है। कार्नेजी मिडिल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरुआत से गृह युद्ध में बदल गया। 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
- इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।
- अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सऊदी अरब भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सऊदी अरब का।
- देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।
- ईरान से मिल रहे समर्थन की बदौलत हूती विद्रोही एक ट्रेंड लड़ाका दल में बदल चुके हैं। हूती विद्रोहियों के पास आधुनिक हथियार और यहां तक कि अपने हेलिकॉप्टर भी हैं।
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ऑयल टैंकर पर हूती विद्रोहियों के हमले का वीडियो वायरल:ग्रीस के टैंकर पर एक साथ 6 विस्फोट किए, समुद्र में तेल फैलने का खतरा
यमन के हूती विद्रोहियो ने ग्रीस के झंडे वाले एक ऑयल टैंकर पर हमले की वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में हूती विद्रोही टैंकर पर चढ़ते नजर आ रहे हैं। टैंकर पर चढ़ने के बाद हूती विद्रोहियों ने विस्फोटक लगाकर एक साथ 6 जगह ब्लास्ट किया। इस ऑयल टैंकर का नाम सोनियन है। पूरी खबर यहां पढ़ें….
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