ओटावा8 मिनट पहले
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कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो 8 नवंबर को कनाडाई संसद पार्लियामेंट हिल में दिवाली समारोह में शामिल हुए। यहां पर उन्होंने खालिस्तान समर्थकों को लेकर बयान दिया।
भारत और कनाडा के बीच जारी कूटनीतिक विवाद के बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने पहली बार यह माना है कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक मौजूद हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ये लोग पूरे सिख समुदाय को रिप्रजेंट नहीं करते।
ट्रूडो ने यह बात 8 नवंबर को कनाडाई संसद पार्लियामेंट हिल में आयोजित दिवाली समारोह में कही। उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा में रहने वाले कई हिंदू PM मोदी के समर्थक भी हैं, लेकिन वे पूरे कनाडाई हिंदू समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
दरअसल, भारत का आरोप है कि कनाडा खालिस्तानी आंतकियों को शरण देता है। इस आरोप को अब तक कनाडाई PM और अन्य मंत्री खारिज करते आए हैं। ऐसे में ट्रूडो का बयान काफी अहम माना जा रहा है।
खालिस्तान समर्थक लोगों ने 3 नवंबर को ब्रैंम्पटन में एक हिंदू मंदिर पर हमला किया था।
हिंदू मंदिर पर खालिस्तानियों ने किया था हमला कनाडा के ब्रैम्पटन में 3 नवंबर को खालिस्तानी समर्थकों ने हिंदू सभा मंदिर परिसर में मौजूद लोगों पर हमला कर दिया था। इस दौरान हमलावरों के हाथों में खालिस्तानी झंडे थे। उन्होंने लोगों पर लाठी-डंडे से हमला किया था। इस दौरान मौके पर पहुंची पुलिस ने भी श्रद्धालुओं के साथ मारपीट की थी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
PM मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा की थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा-
मैं कनाडा में हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे डिप्लोमेट्स को डराने के कायरतापूर्ण प्रयास भी उतने ही निंदनीय हैं। ऐसे हिंसक कृत्य भारत के संकल्प को कभी कमजोर नहीं कर सकते। हमें उम्मीद है कि कनाडा सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून के शासन को बनाए रखेगी।
कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी मंदिर पर हुए हमले की निंदा की थी। उन्होंने कहा था- ‘ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में हुई हिंसा को स्वीकार नहीं किया जा सकता। हर कनाडाई को अपने धर्म का स्वतंत्र और सुरक्षित तरीके से पालन करने का अधिकार है।’
सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि ब्रैम्पटन में मंदिर पर हमले के दौरान पुलिस ने हमले का विरोध कर रहे लोगों को गिरफ्तार किया। इससे जुड़े वीडियो भी पोस्ट किए गए हैं।
गृह मंत्री शाह पर भी लगाया था आरोप कनाडा के विदेश उप-मंत्री डेविड मॉरिसन ने 29 अक्टूबर को एक संसदीय पैनल में दावा किया था कि अमित शाह ने कनाडा में सिख खालिस्तानियों को निशाना बनाने का आदेश दिया था। इस पर विदेश मंत्रालय ने एक नवंबर को कनाडाई उच्चायोग के अफसर को तलब किया था।
भारत ने कहा था कि यह आरोप निराधार और बेतुके हैं। कनाडाई अधिकारी जानबूझकर भारत को बदनाम करने की रणनीति के तहत आरोप लगा रहे हैं। फिर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इसे लीक करते हैं। इससे दोनों देशों के संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा।
कनाडा के विदेश उप-मंत्री डेविड मॉरिसन ने दावा किया था कि अमित शाह ने कनाडा में सिख खालिस्तानियों को निशाना बनाने का आदेश दिया था।
भारत ने अपने राजदूत को वापस बुलाया कनाडा ने भारत के हाई कमिश्नर संजय कुमार वर्मा समेत कुछ दूसरे डिप्लोमैट्स को कनाडाई नागरिक की हत्या में संदिग्ध बताया था। इसके बाद भारत ने हाई कमिश्नर को वापस बुला लिया था। वहीं 14 अक्टूबर को कनाडा के कार्यकारी हाई कमिश्नर स्टीवर्ट रॉस व्हीलर समेत 6 कनाडाई डिप्लोमैट्स को देश से निष्कासित कर दिया था। कनाडा ने भी भारत के 6 डिप्लोमैट्स को देश छोड़कर जाने के लिए कहा है।
भारत का आरोप- वोट बैंक के लिए भारत विरोधी राजनीति कर रहे PM ट्रूडो भारत और कनाडा के बीच संबंधों में एक साल से भी ज्यादा समय से गिरावट देखी गई है। इसकी शुरुआत जून 2020 में खालिस्तानी समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद हुई। पिछले साल सितंबर में PM ट्रूडो ने संसद में आरोप लगाया कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसी का हाथ है।
इसके बाद ट्रूडो ने पिछले महीने 13 अक्टूबर निज्जर हत्याकांड में भारतीय राजनयिकों के शामिल होने का आरोप लगाया था। इसके बाद भारत ने संजय वर्मा समेत अपने छह राजनयिकों को वापस बुला लिया।
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