नई दिल्ली/इस्लामाबाद2 मिनट पहले
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तारीख- 25 दिसंबर 2015 जगह- काबुल, अफगानिस्तान PM मोदी काबुल में थे। उन्होंने भारत की मदद से 900 करोड़ रुपए की लागत से बने नए संसद भवन का उद्घाटन किया। इस दौरान मोदी ने एक भाषण भी दिया, जिसमें उन्होंने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर तंज कसा।
कुछ ही देर बाद दोपहर करीब डेढ़ बजे मोदी ने ट्वीट किया- “मैं लाहौर में पाकिस्तान के PM नवाज शरीफ से मिलने वाला हूं।” इस ट्वीट ने भारत-पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी। लोगों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि मोदी ऐसे अचानक पाकिस्तान जा रहे हैं।
ट्वीट करने के करीब साढ़े 3 घंटे बाद मोदी लाहौर एयरपोर्ट पर थे। वे हाथ हिलाकर अभिवादन करते हुए विमान से बाहर निकले। वहां मौजूद पाकिस्तानी PM नवाज शरीफ ने मोदी को गले लगाया और हंसते हुए कहा- ‘आखिरकार आप आ ही गए।’
इस घटना के लगभग 9 साल बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान दौरे पर गए हैं। ये इतने सालों में पहली बार है जब भारत से कोई शीर्ष नेता पाकिस्तान के दौरे पर पहुंचे हैं। भारत और पाकिस्तान के संबंधों में ऐसे उतार-चढ़ाव का लंबा इतिहास रहा है…
10 तस्वीरों में दोनों देशों के रिश्तों की जर्नी
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पाकिस्तानी पीएम मोहम्मद अली बोगरा से हाथ मिलाते हुए जवाहर लाल नेहरू
साल 1953 में भारत और पाकिस्तान ने पहली बार सारे विवाद भूलकर दोस्ती की पहल की थी। इसी दौरान भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जुलाई 1953 में पहली बार पाकिस्तान के दौरे पर गए थे। यहां उनका स्वागत पाकिस्तान के तीसरे प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा ने किया था।
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पालम एयरपोर्ट पर पाकिस्तानी पीएम बोगरा और उनकी पत्नी का स्वागत करने नेहरू खुद पहुंचे थे।
मई 1955 में पहली बार पाकिस्तानी PM मोहम्मद अली बोगरा भी भारत आए। इस दौरान उनके साथ दूसरी पत्नी आलिया बेगम भी भारत आई थीं। आलिया बेगम उस दौरान काफी चर्चा में थीं। दरअसल, बोगरा प्रधानमंत्री बनने से पहले अमेरिका में राजदूत थे। वहां लेबनान की आलिया बेगम उनके ऑफिस में स्टेनोग्राफर का काम करती थीं।
बोगरा जब 1953 में पाकिस्तान के पीएम बने तो उन्होंने आलिया को बुला लिया और उसे अपना सचिव नियुक्त किया। कुछ ही समय बाद दोनों ने शादी कर ली। बोगरा पहले से शादीशुदा थे और उनके 2 बेटे भी थे।
ऐसे में इस शादी को लेकर हंगामा मच गया। पाकिस्तान में नेताओं और अधिकारियों की पत्नियों में यह डर बैठ गया कि सियासत में बहुविवाह का चलन शुरू न हो जाए। इसलिए उन्होंने आलिया बेगम का बहिष्कार करने का फैसला किया। पाकिस्तान में किसी भी कार्यक्रम में आलिया बेगम को नहीं बुलाया जाता था। जहां वे जातीं थीं, वहां और किसी अधिकारी की पत्नी नहीं जाती थीं।
इसी बीच आलिया बेगम अपने पति बोगरा के साथ भारत आईं। यहां आने पर भी आलिया का बहिष्कार जारी रहा। किसी भी महिला ने उनका स्वागत नहीं किया। यहां तक कि इंदिरा गांधी जो कि बड़े कार्यक्रमों में पिता नेहरू के साथ होती थीं, वे भी इस मौके पर वहां नहीं थीं। हालांकि उनके वहां न होने की वजह का पता कभी नहीं चल पाया।
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तस्वीर में पाकिस्तान के पीएम अयूब खान के साथ जवाहर लाल नेहरू
जवाहर लाल नेहरू दूसरी बार 1960 में पाकिस्तान के दौरे पर गए। वे पाकिस्तान से साथ इंडस वॉटर ट्रीटी समझौते पर दस्तखत करने गए थे। इस दौरान नेहरू ने कराची, रावलपिंडी, लाहौर समेत कई शहरों का दौरा किया। उन्हें देखने दूर-दूर से हजारों लोग आते थे।
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बाएं से- इंदिरा गांधी, पाकिस्तानी पीएम जुल्फिकार भुट्टो, बेनजीर भुट्टो और विदेश मंत्री स्वर्ण सिंह
1971 की जंग के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला में 3 जुलाई 1972 को एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ। इस पर भारत की तरफ से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से वहां के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने दस्तख्त किए। इसमें ये तय किया था कि दोनों देशों के बीच हर विवाद का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाएगा।
दोनों देशों के बीच जम्मू-कश्मीर को लेकर पुरानी स्थिति बरकरार रखने पर भी सहमति बनी। हालांकि शिमला में समझौता करने के बाद लौटते ही पीएम भुट्टो ने पाकिस्तान में सबसे पहले यही बयान दिया कि कश्मीर के मामले में उन्होंने अपनी नीति में कोई समझौता नहीं किया है।
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पाकिस्तानी पीएम बेनजीर भुट्टो के साथ भारत के तत्कालीन पीएम राजीव गांधी
राजीव गांधी ने जनवरी 1988 में पाकिस्तान दौरा किया। राजीव गांधी का ये दौरा इसलिए भी खास था क्योंकि जवाहर लाल नेहरू के दौरे के 28 साल बाद भारत के किसी प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान की सरजमीं पर पैर रखा था।
तब बेनजीर के पीएम बने सिर्फ 4 हफ्ते ही हुए थे। पाकिस्तान में राजीव गांधी ने सार्क सम्मेलन में हिस्सा लिया था। राजीव और बेनजीर ने कश्मीर मुद्दे पर अलग से बैठक की थी। बैठक में राजीव ने कश्मीर को अप्रासंगिक बताया था।
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बेनजीर भुट्टो, राजीव गांधी, आसिफ अली जरदारी, सोनिया गांधी (बाएं से दाएं)
बेनजीर ने इस्लामाबाद में सार्क देशों की बैठक के बाद पीएम राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया को बतौर मेहमान न्योता दिया था। दोनों देश तब सैन्य स्तर में कटौती करने के लिए भी राजी थे। राजीव गांधी ने भारतीय नेता मोरारजी देसाई को पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए- पाकिस्तान दिए जाने पर खुशी जताई थी।
बेनजीर ने दावा किया था कि उन्होंने भारत में सिख अलगाववादियों को मदद देनी बंद कर दी है, जिसे जनरल जिया उल हक ने बढ़ावा दिया था। राजीव और बेनजीर के दौर में दोनों देशों के बीच पनपते रिश्ते पाकिस्तान के मौलानाओं को रास नहीं आई। उन्होंने बेनजीर पर आरोप लगाया कि बेनजीर का राजीव गांधी से अफेयर है। यह भी कहा गया कि वह भारत की सीक्रेट एजेंट हैं।
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बस में अटल बिहारी वाजपेई और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा।
साल 1998 में भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने परमाणु परीक्षण किया था। दोनों देशों के परमाणु विस्फोटों की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही थी। इसी साल सितंबर में भारत और पाकिस्तान के पीएम संयुक्त राष्ट्र की बैठक में शामिल होने न्यूयॉर्क पहुंचे। यहां दोनों की मुलाकात हुई और भारत से पाकिस्तान के बीच बस सेवा शुरू करने का विचार बना।
फरवरी 1999 को बस यात्रा के शुरुआत की घोषणा हुई। पीएम अटल बिहारी वाजपेई बस यात्रा को हरी झंडी दिखाने अमृतसर जाने वाले थे। इसकी जानकारी पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ को मिली। तब उन्होंने भारतीय पीएम को फोन किया और पाकिस्तान आने की दरख्वास्त की।
अटल तैयार हो गए। पीएम अभिनेता देव आनंद, शत्रुघ्न सिन्हा, पत्रकार कुलदीप नैयर जैसी हस्तियों के साथ बस से पाकिस्तान पहुंचे। इसी यात्रा के दौरान पाकिस्तान की एक महिला पत्रकार के एक अटपटे सवाल पर अटल जी की हाजिर जवाबी ने सबको चौंका दिया था।
दरअसल, महिला पत्रकार ने अटल जी के सामने शादी का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि अगर वे मुंह दिखाई में कश्मीर दें तो वो उनसे शादी करने के लिए तैयार है। इसका जवाब देते हुए अटल जी ने कहा कि उन्हें भी दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए।
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जनरल परवेज मुशर्रफ के साथ अटल बिहारी वाजपेई। बीच में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन हैं।
साल 1999 में भारत और पाकिस्तान की सेना के बीच कारगिल जंग हुई। इस जंग के सूत्रधार पाकिस्तान के जनरल परवेज मुशर्रफ थे। पाकिस्तान के हारने के बाद उन्होंने तख्तापलट कर सत्ता हथिया ली। मुशर्रफ 2 साल बाद जुलाई 2001 मे भारत के दौरे पर थे।
भारत और पाकिस्तान ने वार्ता के लिए ऐतिहासिक शहर आगरा को चुना था। भारत की ओर से प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी इसकी अगुवाई कर रहे थे। यह वार्ता उस समय वैश्विक मीडिया में चर्चा का विषय बनी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत ने आतंकी दाऊद इब्राहिम को भारत को सौंपने की मांग की थी। वहीं, मुशर्रफ ने कश्मीर मुद्दा छेड़ दिया था। इन दो वजहों से यह वार्ता विफल रही थी।
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लाहौर एयरपोर्ट पर नवाज शरीफ से हाथ मिलाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
2015 में नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान जाने वाले चौथे प्रधानमंत्री थे। नरेंद्र मोदी बिना किसी पूर्व योजना के पाकिस्तान पहुंच गए थे। पीएम मोदी ने एक टीवी चैनल को इंटरव्यू में बताया था कि अफगानिस्तान यात्रा के दौरान 25 दिसंबर को उन्होंने पाक पीएम नवाज शरीफ को जन्मदिन की बधाई देने के लिए फोन किया था।
बातचीत के दौरान शरीफ ने मोदी को पाकिस्तान आने का न्योता दिया और कहा कि उन्हें भी मेहमाननवाजी का मौका दिया जाए। तब शरीफ अपनी नातिन की शादी के लिए लाहौर में थे। उन्हें लाहौर ही बुला लिया। मोदी ने भी हामी भर दी। अचानक पीएम मोदी के लाहौर जाने का इंतजाम किया गया।
लाहौर हवाई अड्डे पर मोदी का स्वागत करने शरीफ खुद आए थे। मोदी, नवाज के घर करीब 90 मिनट ठहरे। इस दौरान उन्हें कश्मीरी चाय, दाल, साग और देसी घी में बना खाना परोसा गया। इसके बाद शरीफ ने अपनी नातिन के दावते वलीमा ने वही पगड़ी पहनी जो मोदी ने उन्हें गिफ्ट की थी। मोदी के इस दौरे की पूरी दुनिया ने तारीफ की थी। पाकिस्तानी मीडिया ने तो इसे मोदी का डिप्लोमेटिक मास्टरस्ट्रोक करार दिया था।
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